Bokaro: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गंगा नदी के प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान बोकारो स्टील टाउनशिप (Bokaro), चास नगर निगम (Chas) और नगर निगम फुसरो, में सीवेज प्रबंधन की चिंताजनक स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। नदी में प्रदूषण से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान, एनजीटी के सामने झारखंड के चार जिलों, जिनमें साहिबगंज, रामगढ़, धनबाद, और बोकारो में “सीवेज प्रबंधन की बहुत ही खराब तस्वीर” उभर कर आई है। इन सब का कचरा दामोदर नदी में जाता है, जो गंगा की एक सहायक नदी है।
बोकारो स्टील टाउनशिप का सीवेज प्रबंधन चिंता का विषय
13 सितंबर को पारित आदेश में, एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और उनकी पीठ ने चार जिलों के डीसी द्वारा दायर रिपोर्ट का अध्ययन किया। इसमें बोकारो स्टील टाउनशिप के सीवेज प्रबंधन को विशेष रूप से चिंताजनक बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 31.97 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज उत्पन्न हो रहा है, लेकिन इसके निपटान का कोई ठोस उपाय अब तक नहीं किया गया है।
चास नगर निगम का सीवेज निर्वहन गंगा में
बोकारो जिले के अंतर्गत आने वाले चास नगर निगम ने 12.44 एमएलडी सीवेज डिस्चार्ज होता है, जो 70 नालों के माध्यम से नदी में सीधे छोड़ा जा रहा है। यह न केवल जल अधिनियम का उल्लंघन है बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के भी विपरीत है। फुसरो नगर निगम में भी स्थिति विकट है, जहां 3.92 एमएलडी सीवेज के उपचार के लिए कोई सुविधा नहीं है।
धनबाद और अन्य जिलों की स्थिति
धनबाद में सीवेज उपचार की कोई सुविधा मौजूद नहीं है, और बड़ी संख्या में होटल बिना राज्य प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के संचालित हो रहे हैं। रामगढ़ और साहिबगंज जिलों की स्थिति भी चिंताजनक है, जहां सीवेज उपचार की जानकारी या जल गुणवत्ता के आंकड़े अधूरे हैं।
NGT के निर्देश और राज्य पर जुर्माना
एनजीटी ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (JSPCB) को तीन महीने के भीतर आवश्यक परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने का निर्देश दिया है। बोर्ड के पास मल कोलीफॉर्म (faecal coliform) के स्तर का परीक्षण करने की सुविधा भी नहीं है। इसके अलावा, न्यायाधिकरण ने पिछले महीने राज्य सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है, क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण के मामले में राज्य ने पर्याप्त सहयोग नहीं किया।
आगे की कार्यवाही
इस मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को निर्धारित की गई है। एनजीटी ने संबंधित जिलों से अपेक्षा की है कि वे समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें और सीवेज प्रबंधन में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाएं।