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Bokaro: मॉक ड्रिल के जरिए लोगों को सिखाए गए बचाव के तरीके, जनता ने बढ़-चढ़ कर लिया हिस्सा


Bokaro: गृह मंत्रालय भारत सरकार क निर्देशानुसार उपायुक्त विजया जाधव एवं पुलिस अधीक्षक श्री मनोज स्वर्गियारी की निगरानी में जिले के तीन स्थानों पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल बीएसएल प्लांट क्षेत्र (नगर प्रशासन भवन, सेक्टर 04), आइईएल प्लांट क्षेत्र गोमिया एवं जोधाडीह मोड़ चास में किया गया।

तीनों स्थानों पर जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों ने मोर्चा संभाला था। मॉक ड्रिल में जिला प्रशासन के पदाधिकारियों के साथ बीएसएल/आइईएल के पदाधिकारीगण, स्थानीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस के सदस्यगण, सीआइएसएफ जवान, सीआरपीएफ जवान, होम गार्ड्स, नेशनल कैडेट कोर (NCC), नेशनल सर्विस स्कीम (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्राएं और काफी संख्या में आमजनों ने हिस्सा लिया।

जोधाडीह मोड़ चास स्थित माक ड्रिल स्थान पर स्वयं उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक उपस्थित रहें। उन्होंने हमले के हालात से निपटने,कि जाने वाली तैयारियों से सभी को अवगत कराया। वह मॉक ड्रिल वाले अन्य स्थानों पर भी इंसिडेंट कमांडरों एवं वरीय पदाधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रही व जरूरी दिशा – निर्देश दिया।

बीएसएल प्लांट क्षेत्र नगर प्रशासन भवन सेक्टर 04 स्थित मॉक ड्रिल स्थल पर डीपीएलआर निदेशक श्रीमती मेनका, एसडीओ चास सुश्री प्रांजल ढ़ाडा ने मोर्चा संभाला था। सभी गतिविधियों की निगरानी करते हुए मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइनस के अनुरूप मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

वहीं, आइईएल प्लांट क्षेत्र स्थित मॉक ड्रिल स्थल पर एसडीओ बेरमो श्री मुकेश मछुआ एवं आइईएल प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन की देख रेख में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

शाम 04 बजे एक साथ बजा सायरन

शाम चार बजे एक साथ तीनों मॉक ड्रिल स्थल पर सायरन बजा। जिसके बाद उन इलकों में जाने वाले सभी रास्तों पर बेरिकेटिंग करते हुए रास्तों को रोका गया। पूरा क्षेत्र पुलिस जवान, अधिकारी और ग्राउंड वर्कर से भरा दिखा। माक ड्रिल के दौरान लोगों को सतर्क करते हुए उन्हें खतरे के दौरान उससे बच निकलने की जानकारी माइकिंग के माध्यम से दी गई।

तीनों स्थल पर बमबाजी के बाद घटना की सूचना सैडो नियंत्रण कक्ष एवं कंपोजिट कंट्रोल रूम को देने। वहां से राहत व बचाव कार्य को लेकर फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस एवं स्वयं सेवी सदस्य तुरंत मौके पर पहुंचें। घायलों को तुरंत बनाएं गएं मेक शिफ्ट अस्पताल पहुंचाया गया, जहां मेडिकल सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई गई। इस दौरान भवन में आग लगने पर उससे निपटने का अभ्यास किया गया। इस दौरान वहां पानी की बौछार की गई और कार्यरत कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।

इस मॉक ड्रिल के दौरान प्रशासन की ओर से लगातार लाउडस्पीकर पर माक ड्रिल में शामिल सभी लोगों को दिशा – निर्देश दिए जाते रहें। मॉक ड्रिल में कई एंबुलेंस र फायर ब्रिग्रेड के वाहनों को शामिल किया गया था। इस दौरन दुश्मन देश के किसी भी हमले से बचने के लिए लोगों को हर तरीके और उपाय का इस्तेमाल करना बताया गया। बमबारी व आग लगने जैसे हालात पैदा होने पर किस तरह खुद को और दूसरों को बचाना है, इस पर सिविल डिफेंस एवं फायर ब्रिगेड द्वारा जानकारी देते हुए मॉक ड्रिल को पूरा किया गया।

संपूर्ण ब्लैक आउट रहा तीनों स्थल, आम लोगों ने किया सहयोग

मॉक ड्रिल के दौरान अपराह्न 06 से 07 बजे तक तीनों मॉक ड्रिल स्थल पर संपूर्ण ब्लैक आउट का अनुपालन किया गया। इस दौरान आम लोगों ने भी सहयोग किया। घरों की बत्तियों, स्ट्रीट/गार्डन लाइट्स को बंद रखा, खिड़कियों – दरवाजों पर पर्दा डाला, इनवर्टर एवं जनरेटर आदि का भी इस्तेमाल नहीं किया।

इस दौरान वरीय पदाधिकारियों ने बताया कि ब्लैक आउट क्या हैं और यह क्यों जरूरी है। किसी भी देश पर जब युद्ध का खतरा होता है या फिर हवाई हमले की संभावना बनी हुई होती है, तो उस स्थिति में दुश्मन द्वारा जमीन पर मौजूद रोशनी को निशाना बनाया जाता है। इस कड़ी में घरों में जलती हुई रोशनी, गाड़ियों की हेडलाइट्स व सड़कों पर जलती हुई बत्तियां भी दुश्मन के लिए निशाना साधने में मदद करती हैं।

लेकिन, ब्लैक आउट में जब पूरी जमीन पर अंधेरा होता है, तो इसमें हवाई क्षेत्र से दुश्मन को निशाना साधने में मुश्किल होगी। क्योंकि, पूरी तरह से अंधेरा होने की वजह से दुश्मन किसी भी चीज को निशाना नहीं बना सकता है। ऐसे में जान-माल का नुकसान अधिक होने की संभावना कम होती है।

मॉक ड्रिल की गतिविधि एवं सूचनाओं को एक – दूसरे टीम के साथ साझा करने, जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करने के दायित्व निष्पादन में अपर समाहर्ता मो. मुमताज अंसारी एवं जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी श्री शक्ति कुमार भी जुटें रहें। जानकारी हो कि, तीनों मॉक ड्रिल स्थल के लिए अलग-अलग शैडो नियंत्रण कक्ष एवं मेक शिफ्ट अस्पताल बनाया गया था।

 

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