Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रबंधन तंत्र की नींव हिला दी है। फर्जी दस्तावेजों के जरिये कर्मचारियों के नाम पर भविष्य निधि (PF) और को-ऑपरेटिव लोन की अवैध निकासी कर एक बड़े आर्थिक फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। इस संगठित फर्जीवाड़े में सीएंडआइटी (C&IT) विभाग के ईआरपी सेक्शन में कार्यरत कर्मचारी रंजन की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएसएल प्रबंधन ने उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
FIR न होने पर उठे सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर घोटाले के उजागर होने के बावजूद अब तक कोई एफआईआर (FIR) दर्ज नहीं की गई है, जिससे बीएसएल प्रबंधन की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस फर्जीवाड़े की जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं और इसमें एक से अधिक लोगों की संलिप्तता हो सकती है।
C&IT विभाग पर उठे गंभीर आरोप
विशेष रूप से यह तथ्य चौंकाने वाला है कि C&IT विभाग, जो बीएसएल के पूरे कंप्यूटर सिस्टम और डेटा नेटवर्क को नियंत्रित करता है, वहीं से ऐसा फर्जीवाड़ा होना शीर्ष अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। सीजीएम, जीएम और डीजीएम स्तर के अधिकारियों की नाक के नीचे इस तरह की गतिविधि का चलना यह इशारा करता है कि सिस्टम के भीतर कहीं न कहीं गहरी साजिश और आंतरिक गठजोड़ सक्रिय हो सकता है।
जांच में खुल सकते हैं और राज
स्थानीय कर्मचारियों और यूनियन प्रतिनिधियों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। ताकि यदि अन्य कर्मचारियों के खातों से भी रुपये की अवैध निकासी हुई हो, तो वह भी उजागर हो सके। इस घोटाले के सामने आने के बाद से बीएसएल कर्मियों में भारी चिंता का माहौल है। कई BSL कर्मचारी अपनी संतुष्टि और सुरक्षा के लिए स्वयं अपने पीएफ खातों और को-ऑपरेटिव लोन रिकॉर्ड्स की जांच कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे भी कहीं इस तरह की धोखाधड़ी के शिकार तो नहीं हो चुके हैं।
BSL प्रबंधन ने दी आधिकारिक जानकारी
BSL के प्रमुख संचार अधिकारी मणिकांत धान ने मामले कि पुष्टि करते हुए कहा कि, “दोषी कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है और जांच जारी है। रंजन द्वारा निकाली गई PF राशि की पूरी वसूली की जा चुकी है। को-ऑपरेटिव सोसाइटी लोन के मामले में भी अलग से जांच चल रही है और रकम की वसूली का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले की गहराई से जांच के लिए आंतरिक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित की गई है।” उन्होंने कहा कि यह बीएसएल में इस तरह का पहला मामला है।
सहकर्मी के नाम पर उठाया लोन, बदला वेतन खाता
जांच में खुलासा हुआ है कि रंजन ने सीआरएम-III विभाग के कर्मचारी उमेश कुमार के नाम पर 10.50 लाख रुपये का फर्जी लोन निकाला था। इसमें से 5 लाख रुपये PF खाते से और 5.50 लाख रुपये को-ऑपरेटिव सोसाइटी से निकाले गए। इतना ही नहीं, उसने उमेश कुमार का सैलरी खाता भी बदल दिया था ताकि किसी को संदेह न हो। बीते तीन महीनों से वह पे-फोन के जरिए समय पर वेतन और बोनस भेजता रहा ताकि मामला उजागर न हो।
उमेश कुमार के आवेदन से खुला फर्जीवाड़ा
यह पूरा मामला तब सामने आया जब उमेश कुमार ने अपने बेटी की पढ़ाई के लिए लोन के लिए आवेदन किया। बैंक और PF रिकार्ड खंगालने पर पता चला कि उनके नाम से पहले ही लोन निकाल लिया गया है। प्रबंधन के दबाव में रवि रंजन ने PF राशि लौटा दी, जबकि को-ऑपरेटिव लोन की रिकवरी जारी है।
BSL सिस्टम में सुधार की दिशा में कदम
बीएसएल (BSL) प्रबंधन ने इस घटना के बाद सभी तकनीकी मॉड्यूल की जांच शुरू कर दी है। अब ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की जगह प्रत्यक्ष सत्यापन अनिवार्य किया गया है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

