Bokaro: झारखण्ड के सबसे प्रगतिशील कहे जाने वाले ज़िले में स्तिथ डालमिया सीमेंट प्लांट अपने प्रोडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाने की ओर अग्रसर है। इसके लिए कंपनी ने बीते अगस्त को राज्य सरकार के साथ MOU कर बालीडीह स्तिथ अपने संचालित सीमेंट प्लांट के बगल में 16 एकड़ जमीन हासिल की है। बताया जा रहा है कि डालमिया इस जमीन पर 577 करोड़ रुपये के लागत से 2 मिलियन टन कैपेसिटी का नया सीमेंट प्लांट स्थापित करेगी।
पर इन सब विकास योजनाओ के बीच डालमिया सीमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, महेंद्र सिंघी एक और मुद्दे पर संजीदा है। वह है पर्यावरण बचाव से जुड़े प्रयासों को लेकर। इसके लिए कंपनी ने गंभीर कदम उठाने शुरू कर दिए है। यह बोकारो वासियो के लिए ख़ुशी कि बात है कि ज़िले में संचालित स्टील प्लांट, पावर प्लांट, कोल माइंस और जियाडा के सैकड़ो MSME के बीच डालमिया सीमेंट ने प्रोजेक्ट शुरू होने के पहले ही पर्यावरण बचाव को लेकर अपना रुख साफ़ कर दिया है।डालमिया सीमेंट ने 2031 तक अपने सीमेंट का 100% कम कार्बन बनाने की योजना बनाई है। कंपनी ने केंद्र सरकार से 20 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि की मांग की है। जिसपर वह बांस के पेड़ लगाएगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक महेंद्र सिंघी ने कहा है कि सीमेंट के उत्पादन में जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के रिप्लेस्मेंट के रूप में बांस का इस्तेमाल किया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि डालमिया सीमेंट क्षमता विस्तार में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिससे 2023-24 तक क्षमता 33 मिलियन टन से 50 मिलियन टन हो जाएगी। 2031 तक, यह 100 प्रतिशत सीमेंट का उत्पादन करेगा जो “कम कार्बन सीमेंट” होगा। जिसके लिए वृहद् स्तर पर बांस का पौधारोपण किया जायेगा।सिंघी ने कहा कि डालमिया सीमेंट ‘कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (CCU)’ की तकनीक के लिए दो कंपनियों- यूके की कार्बन क्लीन सॉल्यूशंस और नॉर्वे की एलर सॉल्यूशंस के साथ बातचीत कर रही है। डालमिया सीमेंट यूनिलीवर सहित कुछ कंपनियों के साथ अपने संयंत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने के लिए बातचीत कर रही है।
डालमिया कंपनी अपने हरित उपायों के लिए कार्बन ऑफसेट की मांग कर रही है, क्योंकि सीसीयू (CCU) कार्यक्रम के लिए ₹3,000-करोड़ (जो ₹10,000-करोड़ के विस्तार परिव्यय में शामिल नहीं) के निवेश की जरुरत है। सिंघी ने कहा कि डालमिया कंपनी पहले से ही दुनिया की “ग्रीन सीमेंट” थी। पिछले दो वर्षों में कंपनी अपने जीवाश्म ईंधन की खपत में 16 प्रतिशत की कमी लाने में सफल रही है।
(Source: Business Line)