Bokaro: 18-दिन की बच्ची, जिसे दो हफ्ते पहले सड़क किनारे मरने के लिए फेंक दिया गया था, उसकी जान बचाने के लिए बोकारो के एसपी, डीसी और बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) की टीम ने जमीन-आसमान एक कर दिया है। उस बच्ची के पीठ में एक बड़ा घाव पाया गया था जिससे लगातार खून और पस का रिसाव हो रहा था। बीजीएच के डॉक्टरो की टीम ने न्यूरोसर्जन आनंद कुमार के नेतृत्व में आज उस बच्ची के घाव का ऑपरेशन किया। यह ऑपरेशन काफी जटिल था जिसमे तीन घंटे लगे। डॉक्टरों ने उसके आधे पीठ को खोलकर ब्रेन से नीचे स्पाइन की ओर जा रही नसों से बह रहे ब्रेन फ्लूड को सर्जरी कर रोका।
बताया जाता है कि इस घाव के चलते बच्ची के शरीर के नीचे का हिस्सा काम नहीं कर रहा था। डॉक्टरों के भाषा में बोला जाये तो वह बच्ची एक तरह की रेयर बीमारी ‘Myelomeningocele’ से पीड़ित थी। शायद इसी कारण उसके माँ-बाप ने उसकी बीमारी को ला-इलाज समझ उसे सड़क पर मरने के लिए फेंक दिया था। पर उपरवाले को शायद उस बच्ची को ज़िन्दगी देनी थी। इसलिए वह सेक्टर 8 में स्थानीय लोगो को जीवित मिली। लोगो ने उसे हरला थाना प्रभारी गजेंद्र कुमार पांडेय को सौंप दिया। पुलिस ने उसे चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। पर उस बच्ची की गंभीर स्तिथि को देखते हुए चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने उसे बीजीएच में भर्ती कराया।
पिछले 5 सितम्बर से एक ‘सीक्रेट मिशन’ की तरह उपायुक्त कुलदीप चौधरी, एसपी चन्दन कुमार झा और बीजीएच के डॉक्टर्स और नर्सेज उस बच्ची की जान बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे है। मानवता की इससे बड़ी मिशाल और क्या होगी की एक तरफ बीजीएच के शिशु रोग विभाग की नर्सेज उसकी माँ बनकर उसका ख्याल रख रही है, तो डॉक्टर्स पिता का पूरा फ़र्ज़ निभा रहे है। साथ ही डीसी और एसपी खुद उसकी हर जरुरत पूरा करने में जुटे है। जिस भावना के साथ यह अधिकारी और बीजीएच की टीम उस अबोध-अनाथ बच्ची की देखभाल कर रहे है उसे उस गहराई से समझाने या बताने के लिए हर शब्द कम है।
इन सब बातों में सबसे बड़ी बात यह भी है की बीजीएच ने उस बच्ची को RIMS या किसी और सेंटर में रेफेर नहीं किया। बल्कि बीजीएच के डॉक्टर्स ने खुद उस बच्ची का इलाज करने की ठानी है। बीजीएच में उसका बढ़िया इलाज और केयर हो रहा है। यह कोई आम बात नहीं है, अमूमन ऐसे मिले बच्चों को प्रसाशन, बीजीएच और सदर अस्पताल के डॉक्टर्स रांची के RIMS या धनबाद पीएमसीएच भेज देते है। सूत्रों की माने तो हो सकता है की उस बच्ची का एक छोटा ऑपरेशन और करना पड़े। पर वह आगे उसके रिकवरी पर निर्भर करता है।
आज ऑपरेशन के बाद वह बच्ची बीजीएच के शिशु वार्ड के चर्चित पेडिएट्रिशन डॉक्टर इंद्रनील के टीम की केयर में है। उसका ऑपरेशन बीजीएच के प्रख्यात न्यूरोसर्जन डॉक्टर आनंद कुमार की टीम ने किया है। एनेस्थेटिक्स गौतम साहा, अजय, राजेश जेना और न्यूरो विभाग के मोहित और उमाशंकर का सर्जरी में अहम योगदान रहा। बीजीएच के डायरेक्टर पंकज शर्मा बच्ची की मॉनिटरिंग कर रहे है। सदर अस्पताल के डॉ एन पी सिंह ने प्रसाशन की और से बच्ची की सर्जरी का कंसेंट दिया। डीसी बोकारो कुलदीप चौधरी और एसपी चन्दन कुमार झा बच्ची की देख-रेख और इलाज में कोई भी कमी आने नहीं दे रहे है। इन सभी लोगो में बीजीएच के शिशु रोग विभाग की नर्सेज का विशेष योगदान है।
बता दें, की बच्ची 5 सितम्बर के शाम को सेक्टर 8 के राय चौक के समीप स्ट्रीट 39 में सड़क किनारे एक कपडे में लिपटी पड़ी मिली थी। प्रसाशन, पुलिस और बीजीएच के डॉक्टर्स बिना किसी को बताये इस नोबेल कार्य को कर रहे है।