Bokaro: शाहीन बाग और दिल्ली बॉर्डर का किसान आंदोलन, जैसा ही रूप ले रहा है बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के खिलाफ विस्थापितों का आंदोलन। नौकरी की मांग को लेकर ‘विस्थापित अपरेंटिस एसोसिएशन’ के बैनर तले प्रदर्शनकारी लगातार छह दिनों से बीएसएल के एडीएम बिल्डिंग का मुख्य गेट जाम कर धरना दे रहे है। साथ ही आंदोलनकारियों ने बीएसएल प्लांट के मेन गेट जाने वाले रास्ते को भी एडीएम के सामने ब्लॉक कर रखा है।
एडीएम बिल्डिंग (Ispat Bhawan) को बीएसएल का हेडक्वार्टर भी कहते है। कंपनी के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश से लेकर कई एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और उच्च अधिकारियों का ऑफिस भी इस बिल्डिंग में है। बीएसएल प्लांट का संचालन एहि से होता है। विस्थापित इसी बिल्डिंग का मुख्य गेट जाम कर आंदोलन कर रहे है।

अब शहर के विभिन्न राजनितिक पार्टियों के नेतागण और यूनियन लीडर भी धरना स्थल पहुँच कर अपना समर्थन विस्थापितों को दे रहे है। भीड़ बढ़ रही है और साथ में विस्थापितों के प्रति लोगो कि सुहानुभूति भी। भाजपा के धनबाद सांसद पी एन सिंह का कहना है कि उन्होंने पहले भी विस्थापितों के मुद्दे को उचित फोरम में उठाया है और फिर से इस मसले को सही जगह रखने जा रहे है। वहीं कांग्रेस की स्वेता सिंह, मंजूर अंसारी, झामुमो के मंटू यादव सरीखे नेताओं ने विस्थापितों के विरोध का नैतिक समर्थन किया है।
उनका कहना है कि बीएसएल प्रबंधन विस्थापितों के साथ गलत कर रहा है। विस्थापित अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे है, और प्रबंधन बेरुख़ी से पेश आ रहा है। सांसद प्रतिनिधि ए के वर्मा, स्वेता सिंह, मंजूर अंसारी, संग्राम सिंह तो स्पॉट पर पहुंच कर अपना समर्थन विस्थापितों को दिया है। विस्थापित आंदोलन को अब लोगो का सेंटीमेंट्स भी मिल रहा है। शहर के बीचों-बीच बीएसएल के खिलाफ हो रहे आंदोलन से, महारत्ना स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) का खासा इमेज लॉस हो रहा है।
स्तिथि यह है कि पिछले छह दिनों से बीएसएल के अधिकारी पीछे के गेट से घूम कर एडीएम बिल्डिंग के अंदर अपने ऑफिस जा रहे है। धरने पर बैठे कम से कम 250 आंदोलनकारी मेन गेट को जाम कर स्पॉट पर टेंट लगा और गद्दा बिछा सो रहे है। वही खाना भी बना रहे है और खा भी रहे है। एक से एक स्टाइल में गाना बजाना कर रहे है और बीएसएल के खिलाफ नारा लगा रहे है। विस्थापित दिन और रात वही कैंप कर रहे हैं। स्पॉट पर पूरा मजमा लगा हुआ है। पिछले मंगलवार से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अब और मजबूत होता जा रहा है। मौके पर पुलिस बल तैनात है।
संगठन के एक सदस्य साहिद रजा ने कहा, “हम सभी ने बीएसएल में प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त किया था। बीएसएल प्रबंधन ने पहले कहा था कि विस्थापित लोगों को सीधे रोजगार नहीं दिया जा सकता है। प्रशिक्षु बनने के बाद ही उन्हें रोजगार मिल सकता है। इसी क्रम में उन्होंने अप्रेंटिस किया था।” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन हमें अप्रेंटिसशिप किए हुए काफी समय हो गया है, बीएसएल हमें नौकरी नहीं दे रहा है। हम अपनी मांगें पूरी होने तक मौके से हटने और अपना आंदोलन खत्म नहीं करने वाले हैं।
जिला प्रसाशन दोनों पक्षों (बीएसएल और विस्थापित) के बीच वार्ता करने कि पहल कर रहा है। प्रसाशन ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि कोई भी कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा न करे। वही बीएसएल का इंडस्ट्रियल रिलेशन (IR) डिपार्टमेंट जो इन समस्याओ को डील करता है इस मामले में फेलियर साबित हो रहा है। संपर्क करने पर बीएसएल के संचार प्रमुख मणिकांत धान इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे है।

