Bokaro: बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी (HOD) और बोकारो के प्रसिद्ध किडनी रोग विशेषज्ञ, मुक्तेश्वर रजक ने बीजीएच को अलविदा कह दिया। उनका दिया हुआ इस्तीफा बोकारो इस्पात प्लांट (BSL) प्रबंधन ने मंगलवार को मंजूर कर लिया है। डॉ मुक्तेश्वर के इस्तीफा देने की खबर से किडनी के मरीज खासतौर पर वैसे पेशेंट जो बीएसएल कर्मी या रिटायर्ड है काफी आहात है।
डॉक्टर रजक बीजीएच ही नहीं बल्कि इस जिले के एकमात्र DM in Nephrology है। पुरे झारखण्ड में 13 नेफ्रोलॉजिस्ट में सिर्फ छह DM in Nephrology है। डॉ रजक का बीजीएच छोड़कर जाना बीजीएच और बीएसएल के लिए बहुत बड़ा नुक्सान है, जिसकी भरपाई कर पाना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है। डॉ रजक ने 6 अगस्त 2022 को अपना इस्तीफा प्रबंधन को सौंपा था।
बताया जा रहा है कि बीएसएल के आला अधिकारियों ने डॉ रजक को काफी रोकने की कोशिश की पर वह नहीं माने। इस्तीफा में नौकरी छोड़ने का कारण में डॉक्टर रजक ने ‘पर्सनल रीज़न’ लिखा है। पर उनको जानने वाले कह रहे है कि डॉ रजक बीजीएच के किसी चीज़ से काफी दुखी होकर इतना बड़ा फैसला लिया है। फिलहाल डॉ रजक सेल के पालिसी के अनुसार इस माह के 30 तारीख तक सेवा देंगे।
डॉ रजक को बीएसएल प्रबंधन की और से सेपेरेशन आर्डर मिल चूका है। इस लेवल के सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टर को संभाल कर नहीं रख पाने के लिए लोग फिर बीएसएल प्रबंधन को कोसेंगे। सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का बीजीएच छोड़ कर जाने का सबसे बड़ा खामियाजा बीएसएल कर्मी और बीएसएल से रिटायर्ड लोगो को उठाना पड़ेगा। जहां बीएसएल या रिटायर्ड कर्मी सिर्फ मेडिकल कार्ड दिखा कर इलाज करा लेते थे, अब बाहर में प्राइवेट क्लिनिक या निजी अस्पतालों में 800 -1000 रुपया फीस देना होगा।
डॉ रजक के जाने के बाद बीजीएच के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट पर खासा असर पड़ेगा। नेफ्रॉलजी विभाग करीब-करीब बंद हो जायेगा। हर माह करीब 800 बीएसएल कर्मी नेफ्रो डिपार्टमेंट में अपना इलाज कराते है। अगर बीएसएसल प्रबंधन जल्द ही नेफ्रोलॉजिस्ट बहाल नहीं करता है तो उसके कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मियों को अब बाहर के अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ेगा।
बीजीएच में सुपर-सपेशलिस्ट डॉक्टर्स की घनघोर कमी है। बुलाने के बावजूद भी उस लेवल के डॉक्टर बीजीएच नहीं आ रहे है। ऐसे वक़्त में डॉ मुक्तेश्वर का इस्तीफा देना प्रबंधन के घोर संवेदनहीनता को दर्शाता है। कहने वाले कह रहे है कि डॉ मुक्तेश्ववर का बीएसएल प्रबंधन को इस्तीफा देना कोई हलकी बात नहीं है। इसका असर लम्बे समय तक रहेगा।
बता दें, पिछले डेढ़ साल में डॉ मुक्तेश्वर दूसरे नामी डॉक्टर है, जिन्होंने बीजीएच को इस्तीफा सौंप कर अलविदा कहा है। इसके पहले बीजीएच के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, डॉ सतीश कुमार ने इसी तरह इस्तीफा दिया था। डॉ रजक के जाने के बाद, बीजीएच में अब सिर्फ तीन सुपर-स्पेशलिस्ट बचे है। जिनमे न्यूरो डिपार्टमेंट के हेड, न्यूरोसर्जन, डॉ आनंद कुमार, बर्न डिपार्टमेंट के हेड, प्लास्टिक एंड बर्न सर्जन, डॉ अनिन्दा मंडल और पेडिएट्रिक विभाग के डॉ निलय शामिल है। अगर प्रबंधन संजीदा नहीं हुआ तो इन सुपर-स्पेसियलिस्टो को भी रोक पाना ज्यादा दिनों तक संभव नहीं है।
बताया जाता है कि योग्य डॉक्टरों की योग्यता को नज़रअंदाज़ करके पदोन्नती न करना भी डॉक्टरों के छोड़ कर जाने का एक सबसे बड़ा कारण है। अच्छों पर सितम अपनों पर करम वाला इंटरनल पॉलिटिक्स भी हावी है। डॉ रजक अगले माह से कोआपरेटिव कॉलोनी के आरएनबी अस्पताल संभालेंगे और वेलमार्क में बैठेंगे।