Bokaro: झारखण्ड के बोकारो इस्पात संयंत्र (SAIL-BSL) में कार्यरत एक ऑपरेटिव ट्रेनी (non-executive) का ट्रांसफर करीब 2100 किलोमीटर दूर कर्नाटक स्तिथ विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील प्लांट (VISL) में किया जाना, स्टील ऑथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के हर प्लांट और यूनिट में कर्मचारियों-अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
बता दें, विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील प्लांट, कर्नाटक राज्य में बंगलूरु के उत्तर-पश्चिम में 260 किलोमीटर पर भद्रावती में स्थित है। यह सेल का भारत में उसके हेडक्वार्टर से सबसे दूर स्तिथ प्लांट है। इस प्लांट के विनिवेश का कार्य प्रगति पे है। 29 सितम्बर को सेल कॉर्पोरेट ऑफिस से निकले इस ट्रांसफर आर्डर के बाद बीएसएल सहित सेल के अन्य इकाइयों के कर्मियों के बीच चर्चा का दौर जारी है। कुछ ट्रेड यूनियनो ने इसके खिलाफ आवाज़ भी उठानी शुरू कर दी है क्यूंकि यह एक रेयर ट्रांसफर केस है।
हालांकि ऑफिस आर्डर में ट्रांसफर करने के पीछे के कारणों को प्रबंधन ने नहीं लिखा है, पर बताया जा रहा है कि बीएसएल और सेल के टॉप अधिकारी उक्त कर्मचारी से खासे नाराज चल रहे थे। उनके नाराजगी के पीछे का कारण उक्त कर्मचारी द्वारा सोशल मीडिया में SAIL-BSL प्रबंधन के खिलाफ लगातार कैंपेन चलाना है। बता दें, इन दिनों सेल में वेज रिविज़न को लेकर हो रही देरी से सारे कर्मचारी और अधिकारी खफा है।
ट्रेड यूनियनो ने वेज रिविज़न की मांग करते हुए हड़ताल भी किया। कई बार एनजेसीएस मीटिंग भी हुई पर नतीजा कुछ नहीं निकला। इसी दौरान प्रबंधन का विरोध करने के लिए उक्त कर्मचारी ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और कैंपेन चलाने लगा। उसके प्लेटफॉर्म की ख्याति इतनी हुई की कुछ सालो में हज़ारो कर्मचारी उसके फॉलोवर्स हो गए। बीएसएल ही नहीं सेल के दूसरे प्लांट के कर्मचारी भी उसमे जुड़ने लगे। पर बात सिर्फ वेज रिविज़न में देरी की नहीं, बल्कि प्रबंधन के कई और पहलुओं पर उक्त कर्मचारी द्वारा लगातार सोशल मीडिया में अभियान चलाना उन्हें भारी पड़ा।
सोशल मीडिया कैंपेन में कर्मचारियों द्वारा खुलकर विरोध से हो रहे सेल की बदनामी से प्रबंधन विचलित हो गया। इस पर लगाम लगाने के लिए सेल प्रबंधन ने पहले उन सोशल मीडिया एकाउंट्स को चिन्हित किया जो भड़काऊ कैंपेन चला रहे है। अकाउंटस पर निगाह रखकर और इंटरनल इन्क्वायरी के आधार पर उक्त बीएसएल कर्मचारी का ट्रांसफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि सेल को किसी कर्मचारी द्वारा विरोध करने से गुरेज नहीं है, पर विरोध का तरीका मर्यादित होना चाहिए।
सोशल मीडिया में अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर प्रबंधन का विरोध करना, अधिकारियों पर सीधे-सीधे टिका-टिप्पणी करना और प्लांट के आतंरिक समस्याओ को प्रदर्शित करने आदि से सेल के शीर्ष अधिकारी नाराज है। जिसका रिएक्शन और फिर एक्शन अब दिखने लगेगा। वैसे कुछ लोगो का कहना यह भी है कि उक्त कर्मचारी प्रबंधन के विरोध में कोई भी आपत्तिजनक पोस्ट नहीं करता था, इसलिए उसके खिलाफ करवाई न करके उसका ट्रांसफर कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार सेल का एक विंग गुप्त रूप से सोशल मीडिया (फेसबुक, वाटसएप्प, टेलीग्राम, ट्विटर आदि) पर कर्मचारियों द्वारा या नाम बदलकर चलाये जा रहे कैंपेन या एकाउंट्स पर नजर रखे हुए है। कर्मचारियों द्वारा प्लांट या प्रबंधन सम्बंधित किये जा रहे हर पोस्ट पर नजर बनाये हुए है। ऐसे लोगो पर एक्शन की शुरुआत बीएसएल से शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि कुछ और कर्मचारियों का नाम और उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स और एक्टिविटी की जाँच हो रही है। ट्रेड यूनियन के नेताओ ने इस ट्रांसफर को लेकर यह कहा :