Bokaro: सोमवार को स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध राइडर कंपनी में कार्यरत लगभग 700 स्वास्थ्यकर्मियों (Health Workers) का धैर्य आखिरकार टूट गया। छह माह से वेतन नहीं मिलने से नाराज कर्मचारियों ने कार्यालय के दोनों मुख्य द्वारों पर धरना देकर कामकाज ठप कर दिया। अचानक शुरू हुए इस विरोध से पूरे दफ्तर परिसर में हड़कंप मच गया और तनावपूर्ण स्थिति बन गई।
गतिविधियां बाधित
धरने की वजह से कार्यालय की गतिविधियां पूरी तरह से बाधित हो गईं। अंदर मौजूद कर्मचारी बाहर नहीं निकल सके, जबकि बाहर खड़े कर्मियों को भीतर प्रवेश नहीं मिला। कर्मचारियों का आरोप है कि वे कई बार अपनी समस्याएं अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन के सामने रख चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। वेतन न मिलने से उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया
प्रदर्शन में एएनएम, जीएनएम, सुरक्षा गार्ड, हेल्थ वर्कर समेत विभिन्न श्रेणियों के स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे। कर्मचारियों का कहना है कि परिवार की जिम्मेदारियों और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद न तो समय पर मानदेय दिया जा रहा है और न ही पीएफ व ईएसआई जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मांगों पर अड़े रहे
हालात की जानकारी मिलते ही सिटी थाना प्रभारी सुदामा दास मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर स्थिति को शांत कराने का प्रयास किया। पुलिस की मौजूदगी में समझाइश का दौर चलता रहा, लेकिन कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका साफ कहना था कि जब तक वेतन भुगतान और पीएफ-ईएसआई से जुड़ी समस्याओं का ठोस समाधान नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा
यह मामला केवल कर्मचारियों के हक और आजीविका तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ सकता है। यदि स्थिति जल्द नहीं संभाली गई तो आम लोगों को इलाज और स्वास्थ्य सुविधाओं में परेशानी झेलनी पड़ सकती है।

