Bokaro: झारखण्ड के बोकारो में कुछ दिनों पूर्व सिख छात्र का कृपाण उतरवाकर परीक्षा हॉल में प्रवेश दिए जाने की घटना से सिख समुदाय मर्माहत है। बोकारो के अलावा जमशेदपुर, रांची और अन्य ज़िलों में इस घटना का कड़ा विरोध हो रहा है। इसी क्रम में सोमवार को झारखण्ड प्रदेश गुरुद्वारा कमिटी के सदस्यों ने डीसी कुलदीप चौधरी से मिलकर पूरी घटना की जानकारी दी और दुग्धा स्तिथ सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के खिलाफ सख्त करवाई करने की मांग की।
हालांकि सरस्वती विद्या मंदिर, दुग्धा के प्राचार्य रामेश्वर पाठक ने इस मामले में अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्होंने छात्र के साथ कोई जोर-जबरदस्ती या बदसलूकी नहीं की, सिर्फ CBSE के नियमो का पालन किया है। उन्हें भी इस बात से तकलीफ है। इसलिए उन्होंने सोमवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखकर सिख छात्र को होने वाले अन्य दो परीक्षाओं में कृपाण के साथ अनुमति देने की मांग की है।
प्राचार्य ने दावा किया कि उन्हें क्षेत्रीय अधिकारी, पटना, सीबीएसई ने ‘कृपाण’ के साथ छात्र को परीक्षा हाल में प्रवेश देने की मौखिक अनुमति दे दी है। इसकी जानकारी उन्होंने लड़के के पिता तरसेम सिंह को देते हुए उस दिन की असुविधा के लिए खेद भी व्यक्त किया है।
बताया जा रहा है कि डीएवी स्कूल ढोरी के छात्र करणदीप सिंह का 10वीं का फाइनल परीक्षा केंद्र सरस्वती विद्या मंदिर में 13 मई को था। चेकिंग के दौरान उसकी जेब में एक कृपाण पाया गया। जिसके बाद उन्हें परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से रोक दिया गया और शिक्षकों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि कृपाण रखने के बाद ही उन्हें अनुमति दी जाएगी। अंत में, अमृतधारी करणदीप सिंह को कृपाण रखना पड़ा और फिर उन्हें अंदर जाने दिया गया।
इस घटना के बाद, झारखंड के सिख वेलफेयर सोसाइटी में उबाल है। सिख समुदाय ने भारत के प्रधान मंत्री (पीएमओ) को पत्र लिखकर स्कूल और उसके प्रिंसिपल के खिलाफ एचआरडी और सीबीएसई के माध्यम से कार्रवाई की मांग भी की है। पत्र में लिखा है कि इस घटना से सिख समुदाय की भावनाओं को को इस घटना से ठेस पहुंची है।
प्राचार्य ने यह भी कहा कि “हम उक्त घटना के लिए क्षमा चाहते हैं। हमने जानबूझकर छात्र को कृपाण के साथ प्रवेश देने से इनकार नहीं किया। हमने बस सीबीएसई के दिशानिर्देशों का पालन किया है, जिसमें परीक्षा हॉल के अंदर कृपाण ले जाने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया गया था”।
प्राचार्य ने कहा कि, “सिख मान्यताओं और प्रथाओं पर मेरा पूरा विश्वास है। हमने यह भी महसूस किया कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। उस वक़्त, हमने छात्र की ओर से सीबीएसई अधिकारियों से अनुमति लेने की भी कोशिश की, लेकिन कोई निर्देश नहीं मिला। इसलिए, हमने विनम्रतापूर्वक छात्र से अनुरोध किया और वह मान गया’।
प्राचार्य ने यह भी कहा, ‘हमने आज पत्र भेजने के साथ-साथ सीबीएसई पटना के क्षेत्रीय अधिकारी जगदीश बर्मन को फोन किया और सिख छात्र को कृपाण के साथ परीक्षा हॉल में प्रवेश की अनुमति मांगी। अभी भी दो परीक्षाएं शेष हैं। मैंने उन्हें समझाया कि कृपाण सिख लोगों को अपनी मान्यताओं के अनुसार रखना अनिवार्य है। जिसके जवाब में उन्होंने मौखिक सहमति दी।”
इधर झारखंड वेलफेयर सोसाइटी ने कहा कि सिख धर्म की मान्यताओं और प्रथाओं के अनुसार, एक सिख शरीर से पांच ‘काकर’ को अलग नहीं रख सकता है। यह न केवल धर्म का प्रतीक है बल्कि एक सिख के लिए अनिवार्य भी है। यह देश में हर कोई जानता है। सिख वेलफेयर सोसाइटी ने कहा, “लेकिन ऐसा लगता है कि प्रिंसिपल और स्कूल प्रशासन ने जानबूझकर सिख छात्र की भावना को आहत किया है जो न केवल सिख पंथ का अपमान है बल्कि संविधान के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।”
बोकारो के गुरुद्वारा कमिटी से जुड़े एसपी सिंह ने कहा कि हजारों सिख छात्र सिविल प्रशासनिक परीक्षाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं और स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में शामिल होते हैं, लेकिन कृपाण ले जाने पर कभी आपत्ति नहीं की। यह एक गंभीर मामला है। सिख वेलफेयर सोसाइटी पीएमओ के जवाब का इंतजार करेगी और सिख पंथों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी।