Bokaro: बोकारो स्टील टाउनशिप में अतिक्रमण का खेल गजब का है. बोकारो इस्पात संयंत्र (Bokaro Steel Plant) के नगर प्रशासन विभाग ने अतिक्रमण रोकने के लिए कई अधिकारी और कर्मी लगाए हुए है. जो होमगार्ड की फौज लिए घूमते है. हर दिन रोस्टर बनता है, जिसमें अधिकारी शहर में घूम-घूम कर अतिक्रमण हटाने का दावा करते हैं.
यही नहीं, बाकायदा इविक्शन ऑर्डर भी पास होता है. अखबारों में अतिक्रमण हटाने को लेकर आमसूचना भी दी जाती हैं. कंपनी लाखो रुपया खर्च करती है. पर इन सबके बावजूद बोकारो (Bokaro) में – अतिक्रमण -चीन के उस वुहान की तरह हो गया है, जो नगर प्रशासन के किसी लैबोरेट्री से लिक होकर शहर में वायरस की तरह फैलता जा रहा है.
बीएसएल (BSL) प्रबंधन के पास अतिक्रमण रोकने की वैक्सीन है, पर ठीक से लगाई नहीं जा रही है. सबसे बड़ी बात यह भी है कि बीएसएल प्रबंधन के आला अधिकारियों को यह पता है, अतिक्रमण का वायरस कहां से लीक हो रहा है, पर जाने उनकी क्या मजबूरी है की वह छेद बंद नहीं कर रहे हैं.
कुल मिलाकर बोकारो इस्पात प्रबंधन (BSL) के नगर प्रशासन विभाग और उससे जुड़े आला अधिकारी की फजीहत जमकर हो रही है.
सिटी सेंटर में आमसूचना निकाल अतिक्रमण हटाने की थी घोषणा, उल्टे दुकान बढ़ती जा रही है-
पिछले साल दिसंबर 2021 में बीएसएल (BSL) प्रबंधन ने अखबार में पब्लिक नोटिस निकाल वहां पर अतिक्रमण कर लगाए गए दुकानों को हटाने की घोषणा की थी. पर इन पिछले 12 महीनों में अतिक्रमण तो हट नहीं पाया, बल्कि जमीन कब्जा कर लगे दुकानों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. नटखट के आगे रोड किनारे बीएसएल की खाली जमीन पर धड़ल्ले से गुमटी और दुकानें लगती जा रही है.
उधर मदर केयर नर्सिंग होम के सामने वाले रास्ते पर भी दुकानों का कब्जा बढ़ता जा रहा है. अक्सर देखा जाता है की अतिक्रमण कर गुमटी लगाने के समय बीएसएल की उजाड़ पार्टी आकर उसे पलट देती है, फिर बाद में न जाने कैसे उसी जगह वही गुमटी लग जाती है. खेल कमाल का है.
जिन्होंने गुमटी लगाकर पहले से बीएसएल (BSL) के जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है, उन्होंने मान लिया है कि बीएसएल समय-समय पर चमकाने के लिए ‘अतिक्रमण हटाएंगे’ टाइप घोषणा करता रहता है, फिर बाद में ठंडा पड़ जाता है.
संपदा न्यायालय ने निकाला था Eviction order-
बता दें, बीएसएल (BSL) के संपदा न्यायालय (Estate Court) द्वारा प्राप्त सिटी सेंटर में स्थित अवैध तरीके से लगे गुमटी-दुकानों को हटाने को लेकर के लिए Eviction orders के आलोक में जिला प्रसाशन द्वारा दिनांक 20.12.2021 से 24.12.2021 को विधि – व्यवस्था संधारणार्थ दण्डाधिकारी के साथ-साथ पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति कर दी थी।
प्रबंधन को सिटी सेंटर के भूमि पर अनधिकृत रूप से किये गए अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई करनी थी। पर बीएसएल प्रबंधन ने इस अभियान को आखरी समय में स्थगित कर दिया। उस वक्त बीएसएल (BSL) द्वारा अखबारों के माध्यम से आमसूचना जारी कर तिथि की घोषणा कर दी गई थी। ताकि अवैध कब्जाधारी समय रहते खुद उस जगह को छोड़ कर चले जाये। जिससे उन्हें नुक्सान न हो। पर न अभियान चला ना ही अतिक्रमण हटा।
इस बीच सिटी सेंटर के सब्जी मंडी को कही और शिफ्ट करने पर भी बीएसएल विचार कर रहा था पर उस पर भी निर्णय कुछ नहीं हुआ. बीएसएल (BSL)अधिकारियों से पूछने पर वह अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा अपेक्षित सहयोग ना मिलना बताते हैं. उनका कहना रहता है कि बिना फोर्स और मजिस्ट्रेट के अतिक्रमण हटाओ अभियान चला पाना संभव नहीं.
अतिक्रमण को लेकर BSL से ख़फ़ा है प्लाट होल्डर्स-
बीएसएल (BSL) प्रबंधन चाहे जो भी कहे लोगों का मानना है कि भले ही फोर्स और मजिस्ट्रेट के अभाव में अतिक्रमण हटाओ अभियान नहीं चल सका, पर बीएसएल प्रबंधन और उसका सिक्योरिटी डिपार्टमेंट नई गुमटी और दुकानों को लगने क्यों दे रहा है. अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे है वह अलग बात है , नया तो मत लगने दे प्रबंधन। बीतें दो वर्षो में बीएसएल में अतिक्रमण कि रफ़्तार सबसे तेज रही है.
बीएसएल (BSL) के जमीन पर अतिक्रमण कर चल रही दुकानों और गुमटी से सिटी सेंटर में लाखों रुपए लगाकर जिन लोगों ने प्लॉट में दुकाने ली है, उनके व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है. अतिक्रमण दुकानों को ना बिजली का बिल देना होता है ना किराया. इसलिए वह सामान सस्ते दर पर बेचते हैं. सामान सस्ता मिलने के कारण कस्टमर भी उन्हीं के पास जाते हैं. जिसका प्रभाव उनके व्यवसाय को पड़ रहा है.
सिटी सेंटर के पार्किंग समस्या, ड्रैनेज-नालियों का जाम, कूड़ा-करकट होना आदि के लिए लोग अतिक्रमण ही कारण बताते है। जिसके लिए सिटी सेंटर प्लाट होल्डर एसोसिएशन अक्सर आवाज़ उठाते रहा है। प्लाट फोल्डर्स ने इस बाबत बीएसएल प्रबंधन को कई बार कम्प्लेन भी किया है।
अतिक्रमण को ले राज्य भर में BSL बना था उदाहरण, मुख्यमंत्री ने कह दी थी इतनी बड़ी बात-
पिछले साल ज़मीन में बढ़ते अतिक्रमण से SAIL-BSL की काफी फजीहत हुई है। 2021 में डालमिया सीमेंट के दूसरी यूनिट के हुए शिलान्यास कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अतिक्रमण को लेकर बीएसएल का उदाहरण दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि “अगर उद्योग लगाने के लिए जमीन दिया गया है, तो सभी उद्योग घरानो से यही आग्रह होगा कि आप उद्योग लगाने का काम करे, न की ज़मीन एनक्रोच कराने का काम करें। नहीं तो इससे फिर उद्योग घराने के लिए दिक्कत होगी और सरकार के लिए भी नई चुनौती खड़ी होगी।”