Bokaro: लंबे इंतज़ार और कठिनाइयों से जूझने के बाद सोमवार को आखिरकार झारखंड के 17 प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हुई। अफ्रीकी देश कैमरून में महीनों तक फंसे रहने के बाद जब ये मजदूर स्वदेश लौटे, तो न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव-समाज ने राहत की सांस ली।
हजारीबाग और बोकारो के मजदूर
इनमें से 10 मजदूर हजारीबाग और 7 मजदूर बोकारो जिले के रहने वाले हैं। रोज़गार की तलाश में अफ्रीका गए इन मजदूरों का सपना था कि वहां कमाकर परिवार को बेहतर जीवन देंगे। लेकिन ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कंपनी में काम करने के दौरान उनकी उम्मीदें टूट गईं।
तनख्वाह रुकी, बढ़ी मुश्किलें
मजदूर सोमर बेसरा ने बताया, “हमें महीनों तक वेतन नहीं मिला। 11 मजदूरों को चार महीने और 8 मजदूरों को दो महीने से तनख्वाह नहीं दी गई। हालात इतने बिगड़ गए कि खाना और ज़रूरी चीज़ें जुटाना भी मुश्किल हो गया।”
सोशल मीडिया पर लगाई मदद की गुहार
उन्होंने आगे कहा, “हमने मजबूरी में सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर मदद की गुहार लगाई। आज हम दिल से झारखंड सरकार और भारत सरकार के आभारी हैं, जिन्होंने हमारी आवाज़ सुनी और हमें सुरक्षित वतन वापसी दिलाई।”
परिवारों ने जताई राहत
इन मजदूरों के परिजन भी अपने प्रियजनों की सकुशल वापसी पर भावुक नज़र आए। उन्होंने बताया कि बीते महीनों में चिंता और बेचैनी के कारण उनकी रातों की नींद उड़ गई थी।
समाजसेवी सिकंदर अली की भूमिका
इस पूरी प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले समाजसेवी सिकंदर अली ने कहा, “लाखों लोग रोज़ी-रोटी की तलाश में अपने घर-परिवार को छोड़कर विदेश जाते हैं। वहां उन्हें किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, यह बहुत दर्दनाक होता है। मजबूरी इंसान को अपनी जड़ों से दूर कर देती है। सरकार को ऐसे मामलों में और ठोस पहल करनी चाहिए।”
वापस लौटने वाले मजदूरों की सूची
वतन लौटने वालों में हजारीबाग के आघनू सोरेन, अशोक सोरेन, चेतलाल सोरेन, महेश मरांडी, रामजी मरांडी, लालचंद मुर्मू, बुधन मुर्मू, जिबलाल मांझी, छोटन बासके और राजेंद्र किस्कू शामिल हैं। वहीं बोकारो से प्रेम टुडू, सिबोन टुडू, सोमर बेसरा, पुराण टुडू, रामजी हांसदा, विरवा हांसदा और महेन्द्र हांसदा घर लौटे हैं।
26 अगस्त को लौटेंगे दो और मजदूर
हालांकि अभी दो मजदूरों की वापसी बाकी है। हजारीबाग के विष्णुगढ़ (नरकी गांव) के फूलचंद मुर्मू और बोकारो जिले के नावाडीह प्रखंड (पोखरिया गांव) के बब्लू सोरेन 26 अगस्त को वतन लौटेंगे।

