Bokaro: चास निवासी मोनिका विश्वकर्मा लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रही थीं। गाड़ी की किस्तें समय पर न भर पाने के कारण उनकी रोज़ी-रोटी का साधन छिन गया। बैंक ने वाहन जब्त कर लिया और उनके परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। मंगलवार को मोनिका अपने सास-ससुर के साथ बोकारो समाहरणालय सभागार पहुँचीं, जहाँ जनता दरबार में उपायुक्त अजय नाथ झा जनता की समस्याएँ सुन रहे थे।
उपायुक्त बने संबल
आँखों में आँसू और भारी आवाज़ में जब मोनिका ने अपनी पीड़ा सुनाई तो वहाँ मौजूद हर व्यक्ति भावुक हो उठा। उपायुक्त अजय नाथ झा ने उनकी व्यथा को सिर्फ सुना नहीं, बल्कि तुरंत कदम उठाया। उन्होंने जन शिकायत कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी एलडीएम आबिद हुसैन को निर्देश दिए और बैंक प्रतिनिधियों से तत्काल संवाद कराया।

इंसानियत की जीत
घंटों की कोशिशों और संवेदनशील पहल के बाद इंडसइंड बैंक ने मानवीय आधार पर मोनिका की गाड़ी (जेएच 09 बीसी 7736) वापस करने का फैसला किया। समाहरणालय कार्यालय कक्ष में बैंक प्रतिनिधि पवन श्रीवास्तव ने वाहन की चाभी सौंपते ही मोनिका और उनका परिवार खुशी से रो पड़ा। उस पल वहाँ मौजूद हर किसी ने महसूस किया कि प्रशासन जब इंसानियत को प्राथमिकता देता है तो जिंदगी बदल सकती है।
मोनिका का आभार
भावुक मोनिका ने उपायुक्त अजय नाथ झा को धन्यवाद देते हुए कहा – “आज मेरा विश्वास और मजबूत हुआ है कि प्रशासन जनता के लिए परिवार जैसा खड़ा है। मैं वादा करती हूँ कि आगे से हर किस्त समय पर चुकाऊँगी।” उनकी यह बात वहाँ मौजूद लोगों के लिए प्रेरणा बन गई।
जनता दरबार बना उम्मीद की किरण
इस घटना ने साबित कर दिया कि जनता दरबार केवल शिकायत सुनने का मंच नहीं, बल्कि उम्मीद जगाने का जरिया भी है। मंगलवार को कुल 63 मामलों की सुनवाई हुई, जिनमें कई समस्याओं का तत्काल समाधान किया गया। लेकिन मोनिका की गाड़ी लौटने की घटना सबके लिए एक मिसाल बन गई।
