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पर्यावरण दिवस: बोकारो में ‘Single Use Plastic’ का उपयोग न करने वाली वह बातें, वह जागरूकता, बीत गई-बात गई


Bokaro: बोकारो में अक्सर कोई भी कैंपेन की शुरुआत बहुत ही जोश और शोर-शराबे के साथ होती है। पर बाद में वह ढीली पड़ जाती है और कुछ सालो में लोग उसे इगनोर करने लगते है या भूल जाते है। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर लोगों ने पेड़-पौधे लगाए और पर्यावरण को बचाये रखने का संकल्प लिया। कुछ इसी तरह का कैंपेन या कहे पर्यावरण को बचाये रखने के लिए – ‘single use plastic’ का उपयोग न करने – का संकल्प कुछ साल पहले पुरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ आला अधिकारियों ने लिया था और लोगों को भी दिलवाया था। पर उसपर कितना अमल हुआ या किया जा रहा है नीचे तस्वीरों को देख समझ आ जायेगा:

September 2019 को केंद्रीय इस्पात मंत्री ने उद्योगों को देश को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक को हतोत्साहित करने का निर्देश दिया था। कंपनियों को भेजे गए पत्र में इस्पात मंत्री ने अपील की थी कि, ‘मैं आप सभी से सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का अनुरोध करता हूं। भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त बनाने के अभियान में शामिल होने की अपील करता हूं”। इस निर्देश के बाद, बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अपने कर्मचारियों, विक्रेताओं, आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं से एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग से बचने और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने की अपील किया था और बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था।

उस वक़्त बीएसएल के संचार प्रमुख, मणिकांत धान ने ब्यान जारी किया था कि, “सिंगल यूज प्लास्टिक चाहे वह प्लास्टिक पीने की बोतल हो या प्लास्टिक प्लेट और कप, पॉलीथिन या अन्य को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा”।

शनिवार को खींची गई यह तस्वीर में डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सहित बीएसएल के टॉप मोस्ट अधिकारियों के सामने रखी पानी कि बोतलें बता रही है की ‘बीत गई-बात गई ‘। वह शपथ और निर्देश भुला दिए गए।

जिला प्रसाशन के अधिकारी भी पिछली बातों को भूल सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग धड़ले से कर रहे है- Photo में देखें:

सिर्फ बीएसएल में ही नहीं – 2 अक्टूबर को बोकारो के पूर्व उपायुक्त मुकेश कुमार ने सरकारी कार्यालयों में प्लास्टिक की पानी की बोतल या पॉलीथिन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। उन्होंने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों को हतोत्साहित करने के लिए निवासियों के बीच जागरूकता अभियान चलाया था। उन्होंने लोगों को यह एहसास कराया कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक है। उन्होंने उस वक़्त कहा था कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रशासन लगातार निगरानी रखेगा। हम नागरिकों को प्लास्टिक के विकल्पों को अपनाने की सलाह देंगे और तलाशेंगे ताकि एक दिन ऐसा आएगा जब सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद गायब हो जाएंगे। प्रशासन सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग बंद करने के लिए लोगों जागरूक करेगा

बता दें, बोकारो में सॉलिड वैस्ट प्लांट नहीं है, इस कारण यह बोतलें सेक्टर 11 के डंपिंग ग्राउंड या चास नगर निगम द्वारा आम कचरो में फ़ेंक दी जाती है।

क्या कहते है पर्यावरण विशेषज्ञ –
पानी की बॉटलिंग प्रक्रिया सालाना 2.5 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ती है। डिस्पोजेबल पानी की बोतल का कचरा समुद्र में बह जाता है और हर साल 1.1 मिलियन समुद्री जीवों को मारता है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जागरूकता शुभंकर ‘प्रकृति’ और हरित पहल को लॉन्च किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे और सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में देश में प्रभावी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्लूएम) सुनिश्चित करने के लिए छोटे बदलावों के बारे में जनता के बीच अधिक जागरूकता पैदा करने, जिसे बेहतर पर्यावरण के लिए हमारी जीवन-शैली में स्थायी रूप से अपनाया जा सकता है, एक शुभंकर ‘प्रकृति’ के साथ-साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा की गई विभिन्न हरित पहलों का शुभारंभ किया।

प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) को समाप्त करने की भारत के संकल्प की घोषणा की। इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए और सक्रिय जन भागीदारी की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने सभा को ‘स्वच्छ भारत हरित भारत हरित संकल्प’ भी कराया। प्लास्टिक सबसे अधिक ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक बन गया है जिसका हम आज सामना कर रहे हैं। भारत सालाना लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है और प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन पिछले पांच वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। प्लास्टिक प्रदूषण हमारे इको-सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और वायु प्रदूषण से भी जुड़ा हुआ है।

श्री भूपेंद्र यादव ने सभी से प्लास्टिक प्रदूषण को मात देने के प्रयासों में शामिल होने और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने भारत के युवाओं की अपार प्रतिभा और क्षमता को उजागर करते हुए इंडिया प्लास्टिक चैलेंज-हैकाथॉन 2021 में स्टार्ट-अप उद्यमियों और छात्रों द्वारा विकसित किए गए अभिनव समाधानों की सराहना की। इसके अलावा, उन्होंने आईपीसीसी छठी आकलन रिपोर्ट (एआर 6) में हाल ही में जारी आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप III के योगदान के बारे में बताया, जो दुनिया को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए शमन संबंधी उपायों पर केंद्रित है और पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित मार्ग-निर्देश पर बने रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं। अंत में, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत आशा और आशावाद का संदेश भेजता है कि मानवता जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर सकती है और जलवायु परिवर्तन के समाधान का एक हिस्सा होगी। इससे पहले, नैरोबी में केंद्रीय मंत्री ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्ल्यूएम) से संबंधित समस्याओं में कमी लाने के उद्देश्य से ई-गवर्नेंस पोर्टल और ऐप लॉन्च करने में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयासों की सराहना की थी।

 

राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ई-गवर्नेंस पोर्टल जैसे ईपीआर पोर्टल और एसयूपी शिकायत निवारण के लिए मोबाइल ऐप आज लॉन्च किया गया, जो पूरे चरण को सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और एकल उपयोग प्लास्टिक और हमारे प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी पहल की सफलता सामूहिक कार्रवाई और जिम्मेदारी में निहित है। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ एकल उपयोग प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए जन आंदोलन समय की आवश्यकता है, जैसा कि प्रधानमंत्री ने चिन्हित किया है।

 

आयोजन के दौरानप्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए निम्नलिखित हरित पहल शुरू की गई:

§ एकल उपयोग प्लास्टिक के उन्मूलन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) पर राष्ट्रीय डैशबोर्ड के माध्यम से एकल उपयोग प्लास्टिक (एसयूपी) के उन्मूलन और प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन में प्रगति को ट्रैक करने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों सहित सभी हितधारकों को एक साथ लाना।

§ उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों द्वारा ईपीआर दायित्वों के अनुपालन में आसानी की रिपोर्ट करने की सुविधा को लेकर प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए जवाबदेही, पता लगाने योग्यता, पारदर्शिता में सुधार लाने के क्रम में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) पोर्टल (सीपीसीबी)

§ नागरिकों को अपने क्षेत्र में एसयूपी की बिक्री/उपयोग/विनिर्माण की जांच करने और प्लास्टिक के खतरे से निपटने के लिए सशक्त बनाने के लिए एकल उपयोग प्लास्टिक शिकायत निवारण (सीपीसीबी) के लिए मोबाइल ऐप।

§ जिला स्तर पर वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में एसयूपी उत्पादन/बिक्री और उपयोग के विवरण की सूची बनाने और एसयूपी पर प्रतिबंध को लागू करने को लेकर स्थानीय निकायों, एसपीसीबी/पीसीसी और सीपीसीबी के लिए एसयूपी (सीपीसीबी) के लिए निगरानी मॉड्यूल।

§ प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करने के उद्देश्य से आगे आने के लिए और भी अधिक उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु अपशिष्ट प्लास्टिक (जीबी पंत एनआईएचई और एनआरडीसी) से ग्राफीन का औद्योगिक उत्पादन।

इस आयोजन में इंडिया प्लास्टिक चैलेंज-हैकाथॉन 2021 के विजेताओं का भी अभिनंदन किया गया। प्लास्टिक अपशिष्ट शमन और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन के लिए उनके अभिनव विचारों और डिजिटल समाधानों के लिए तीन स्टार्ट-अप/उद्यमी श्रेणी और उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों की चार टीमों को क्रमशः 5 लाख रुपये और 1 लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बाद में, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के कर्मचारियों के बच्चों के लिए एक नए स्थापित फिटनेस सेंटर और डे-केयर सुविधा के साथ एसयूपी विकल्पों और प्रौद्योगिकी समाधानों को प्रदर्शित करते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। उन्होंने सीपीसीबी प्रयोगशालाओं का दौरा किया और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत भी की। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, उद्योग संघों, प्लास्टिक निर्माता संघों, सीमेंट निर्माता संघों, नागरिक समाज, युवा आविष्कारकों और उद्यमियों, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, सीपीसीबी के बोर्ड सदस्यों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों और आईआरओ के अध्यक्षों और सदस्य सचिवों सहित प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के क्षेत्र के लोगों की वर्चुअल भागीदारी हुई।


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