Bokaro: इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के दौरे के दौरान कर्मचारियों और अधिकारियों से जो कहा, उससे साफ़ संकेत मिलता है कि बीएसएल की करोड़ो की प्रस्तावित विस्तार योजना को धरातल में आने में देरी हो रही है। बीएसएल में बड़ी परियोजनाओं के आने और पुरे होने में देरी एक संस्कृति बन गई है, जिससे कंपनी को काफ़ी नुकसान हो रहा है। बातचीत के दौरान, इस्पात सचिव के शब्द नरम ज़रूर थे, लेकिन संदेश साफ़ और कड़ा था। उन्होंने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से आत्मचिंतन करने और अपने काम की गुणवत्ता सुधारने का आग्रह किया।
क्रियान्वयन में सुस्ती पर गंभीर चेतावनी
इस्पात सचिव ने BSL कर्मियों से सीधे सवाल किए कि “परियोजनाएँ समय पर क्यों पूरी नहीं होतीं ?” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बीएसएल में दो साल की परियोजनाओं में चार साल लग जाते हैं और चार साल की परियोजनाओं में आठ साल भी नहीं लगते। उन्होंने निजी क्षेत्र की कंपनियों के समयबद्ध कार्यान्वयन की तुलना करते हुए बताया कि जिंदल और टाटा स्टील जैसी कंपनियाँ अपने ब्लास्ट फर्नेस जैसी बड़ी परियोजनाओं को साढ़े तीन से चार साल में पूरा कर लेती हैं।

बीएसएल की पुरानी परियोजनाएँ और देरी
इस्पात सचिव ने बीएसएल की सबसे पुरानी परियोजना, “सिंटर प्लांट-2,” का उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया कि इसकी परिकल्पना 2010 में की गई थी, कार्य 2015 में सौंपा गया और इसे 2017 में पूरा होना चाहिए था, लेकिन यह अब 2025 में भी अधूरा है। बीएसएल की आधे दर्जन से अधिक बड़ी परियोजनाएँ हैं, जो वर्षों की देरी के बावजूद पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब सुधार और तेज़ निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाना अनिवार्य है।
सेल की मौजूदा स्थिति और उत्पादन क्षमता
इस्पात सचिव पौंड्रिक ने स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की वर्तमान स्थिति पर भी गंभीर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि जबकि सेल एक मजबूत ब्रांड है, इसकी कार्य गति धीमी है। पिछले 2012 में 12 मिलियन टन से सेल आज केवल 20 मिलियन टन तक पहुंच पाया है। यदि समय पर मंजूरी और सही रणनीति अपनाई जाए, तो मौजूदा संसाधनों के आधार पर 80 से 100 मिलियन टन उत्पादन संभव है।
प्रतिभाओं और दक्षता में सुधार
इस्पात सचिव पौंड्रिक ने यह स्पष्ट किया कि सेल (SAIL) में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जेएसएल (JSL) और टाटा (TATA) जैसे समूहों के कई शीर्ष प्रबंधक अब भी सेल के पूर्व कर्मचारी हैं। अब आवश्यकता है निर्णय लेने की क्षमता, कार्य प्रणालियों और दक्षता में सुधार की, ताकि कंपनी उद्योग में अग्रणी बन सके।
हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं
सत्र के अंत में इस्पात सचिव ने कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि “फिलहाल हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन यदि हम सामूहिक प्रयास करें, तो बाजार में मजबूती से वापसी कर सकते हैं।” उन्होंने यह भी जोर दिया कि हर कर्मचारी और अधिकारी की सक्रिय भागीदारी ही बीएसएल के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है।
