Bokaro: झारखण्ड के बोकारो जिला स्थित कसमार प्रखंड की सेवाती घाटी पर बंगाल फारेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा बोर्ड लगाने जाने से उपजे विवाद को बोकारो वन विभाग ने रविवार को ख़त्म कर दिया। बोकारो डीएफओ रजनीश कुमार ने कहा कि, उनलोगो की बंगाल फारेस्ट डिपार्टमेंट से बात हुई है। सब नार्मल है। बोकारो वन विभाग कल उक्त स्थान पर अपना बोर्ड लगा देगा। साथ ही वह लोग पौधारोपण भी उसी स्थल पर करेंगे। Video नीचे:
डीएफओ ने कहा कि झारखंड और बंगाल सरकार के बीच अंतरराज्यीय सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है। बंगाल फारेस्ट डिपार्टमेंट ने यह देखते हुए कि उक्त वन भूमि में कुछ लोग गैर-वानिकी कार्य कर रहे थे। अपने बंगाल फारेस्ट डिपार्टमेंट का बोर्ड लगाया था। बंगाल वन विभाग फारेस्ट लैंड में गैर-वानिकी कार्य रोकने के लिए यह कदम उठाया था। बंगाल वन विभाग के डीएफओ ने आश्वस्त करते हुए बताया कि वह लोग अपना बोर्ड हटा लेंगे।
बताया जा रहा है कि पुरुलिया वन प्रमंडल अंतर्गत झालदा रेंज के द्वारा लगाए गए इस बोर्ड में झारखंड वाले हिस्से को बंगाल का हिस्सा बताते हुए लिखा गया है कि यह भूमि वन विभाग, बंगाल का है और इसमें किसी भी प्रकार का अतिक्रमण गैर कानूनी है का बोर्ड लगाया था। इसका उल्लंघन करने पर इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 के तहत जेल या सजा अथवा दोनों हो सकती है। बोर्ड में नीचे निर्देशानुसार झालदा रेंज, पुरुलिया डिवीजन, बंगाल सरकार लिखा हुआ है। Video:
करीब तीन-चार दिनों पहले यह बोर्ड लगते ही कसमार प्रखंड क्षेत्र से जुड़े ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों तथा जनप्रतिनिधियों के बीच उबाल आ गया है। इन सभी का मानना है कि बंगाल फॉरेस्ट ने जिस स्थल को बंगाल का हिस्सा बताते हुए बोर्ड लगाया है, वह विशुद्ध रूप से झारखंड का हिस्सा है और सदियों से वहां कसमार प्रखंड के ग्रामीणों के द्वारा टुसू मेला का आयोजन होता आ रहा है। ग्रामीणों ने यह भी बताया है कि जिस जगह पर बोर्ड लगाया गया है, उसके करीब 50 फुट आगे तक झारखंड सरकार के द्वारा पीसीसी पथ और एक पुलिया का निर्माण भी हुआ है।
सेवाती के झरना को माना जाता है झारखंड व बंगाल की सीमा रेखा-
उल्लेखनीय के सेवाती घाटी कसमार प्रखंड की मुरहुलसूदी पंचायत में जुमरा गांव के निकट अवस्थित है. यह क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में एक है. साथ ही, यह घाटी कसमार प्रखंड को बंगाल के झालदा से जोड़ती है. घाटी पर एक झरना अवस्थित है. उसी झरना को झारखंड और बंगाल की सीमा रेखा माना जाता है. झरना के इस पार जहां बंगाल फर्स्ट ने बोर्ड लगाया है, ठीक उसके बगल में एक शिवलिंग भी है, जो कसमार प्रखंड के ग्रामीणों के द्वारा स्थापित किया गया है.
सीमा विवाद तब शुरू हुआ, जब इस शिवलिंग पर ग्रामीणों ने मंदिर बनाने का निर्णय लिया और इसके लिए बकायदा शिवलिंग समेत अन्य प्रतिमाएं मंगाई गई है. स्थानीय विधायक डॉ लंबोदर महतो के हाथों इसका शिलान्यास होना है. उससे पहले बंगाल फॉरेस्ट ने शिवलिंग के बगल में बोर्ड लगाकर उसे अपना हिस्सा घोषित कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. इसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों में काफी रोष व्याप्त है.
गोमिया विधायक ने जताई कड़ी आपत्ति –
गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो ने झारखंड के हिस्से में बंगाल फारेस्ट के द्वारा बोर्ड लगाकर उसे बंगाल का हिस्सा बताए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। शनिवार को मामले की जानकारी मिलते ही विधायक सेवाती घाटी पहुंचे। स्थिति का जायजा लेने के बाद उन्होंने बातचीत में कहा कि बंगाल फॉरेस्ट ने विशुद्ध रूप से झारखंड की सीमा पर अतिक्रमण कर अंतर्राज्यीय सीमा विवाद उत्पन्न किया है.
झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर भी है सेवाती घाटी : महेंद्र
आजसू की कसमार प्रखंड अध्यक्ष महेंद्रनाथ नाथ ने कहा कि सेवाती घाटी कसमार प्रखंड समेत झारखंड राज्य की सांस्कृतिक धरोहर भी है. 1980 के दशक से यहां विशाल टुसू मेला का आयोजन हो रहा है. कहा कि आस्था व संस्कृति के साथ जुड़े इस क्षेत्र में बंगाल सरकार के