Bokaro: सिख विरोधी दंगे के दोषियों को सजा दिलाने के लिए दिल्ली के कई सिख नेता संघर्ष कर रहे हैं। उनमे से कुछ नेता आज बोकारो पहुंचे और यहां के गुरुद्वारा समिति से मुलाकात कर पीड़ितों के हालात के बारे में जानने की कोशिश की। अब सिख नेता एक बार फिर नए सिरे से झारखंड के बोकारो में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का फैसला किया है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलो ने कहा कि वर्ष 1984 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बोकारो में सिखों का कत्लेआम हुआ। सिखों को काफी नुकसान हुआ। बोकारो में तकरीबन 100 से ज्यादा सिखों को मार दिया गया था, जो एफआईआर हुई, उनमें बहुत कम लोगों की गिरफ्तारी की गई। एफआइआर क्लोज भी कर दिए गए थे। कई पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि हम अब यहां पीड़ितों से मिलकर सभी दस्तावेज व सूचना एकत्र की जाएगी। इसके बाद कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी। बोकारो इस्पात नगर के सेक्टर दो स्थित गुरुद्वारा परिसर में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि बोकारो में सिख दंगे में जिन पर एफआइआर हुई, उन पर क्या कार्रवाई हुई। अभी तक कितने दोषी पकड़े गए, कितने दोषियों को सजा मिली। कितने लोगों का पुनर्वास किया गया। कितने केस क्लोज किए गए, इससे संबंधित जानकारी हासिल की जाएगी।
बोकारो सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी प्रबंधन तरसेम सिंह, सुरेंद्र पाल सिंह, हरपाल सिंह से मामले की जानकारी हासिल की गई है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से कुछ दिल्ली में भी हुआ था, लेकिन दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने दिल्ली में कार्रवाई शुरू की। उस समय सज्जन कुमार व जगदीश टाइटलर ने भीड़ का नेतृत्व किया था। सज्जन कुमार को सजा हुई।
कानपुर में भी बड़े पैमाने पर सिखों का कत्लेआम किया गया था। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए। इसकी एसआइटी जांच की गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से जब गुजारिश की। एसआइटी ने कार्रवाई की तो दोषियों पर चार्जशीट दायर हुई। कई लोग गिरफ्तार किए गए। कहा कि जब से केंद्र में भाजपा की सरकार है, तब से सिख दंगा पीड़ित को न्याय दिलाने की मुहिम ने जोर पकड़ा है।
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मौके पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सर्वजीत सिंह विर्क, राजिंदर सिंह खयाला, सरदार गुरबख्त सिंह, जीजीईएस के अध्यक्ष तरसेम सिंह, सचिव सुरेंद्र पाल सिंह, हरपाल सिंह, गुरमीत सिंह, गुरमेल सिंह आदि उपस्थित थे।