Bokaro: केरल राज्य में मलयालम महीने मेष संक्रांति के दिन ‘‘विशु कानी‘‘ का पर्व मनाया जाता है। केरल में रहने वाले लोग इस त्योहार को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। यह पर्व वैशाखी, बिहू और पोहिला वैशाख की तरह ही मनाया जाता है।
इस अवसर पर पहली बार श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल में भी ‘‘विशु कानी” पर्व मनाया गया। विद्यालय के प्रांगण में विशु के एक दिन पहले ‘कनी’ दर्शन की सामग्री इकट्ठा करके सजा दी गई।
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उरली एक काँसे के बर्तन में चावल, तरह-तरह के नए अनाज, नया कपड़ा, ककड़ी, कच्चा आम, पान का पत्ता, सुपारी, कटहल, नई सब्जियां, आइना, अमलतास और विभिन्न प्रकार के फूल , नए वर्ष के प्रतीक के रूप में रखे गए और उनके बीच श्री कृष्ण की सुंदर प्रतिमा सजा कर रखी गई। विद्यालय में सुंदर और पारंपरिक रंगोली भी बनाई गई। प्रांगण की सुंदर साज सज्जा की गई साथ ही, दीपक भी जलाया गया।
प्रातः काल में सूर्योदय के साथ इस कनी दर्शन की परंपरा है । विद्यालय के कुछ बच्चों ने श्री कृष्ण की वेशभूषा में सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की। इस अवसर पर विद्यालय की शोभा अत्यंत ही आकर्षक थी। खिर वितरण किया गया।
ऐसा मानना है कि भगवान कृष्ण ने विशु के दिन दुष्ट राक्षस नरकासुर को हराया था। कुछ लोगों का मानना है कि विशु का त्योहार भगवान राम द्वारा राक्षस राजा रावण की हार का प्रतीक है, और वह दिन है जब सूर्य अंततः पूर्व से उग सका।
विशु पर्व के साथ-साथ आज विद्यालय प्रांगण में डॉ अंबेडकर जयंती भी मनाई गई इस अवसर पर संविधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की वेशभूषा में भी बच्चे मौजूद थे जो उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शा रहे थे।
इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ. एस. एस. माहापात्रा ने पूरे विद्यालय परिवार की ओर से इस पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी । उन्होंने कहा कि नए वर्ष के आगमन के साथ यह पर्व हम में नया जोश और उल्लास भरेगा। वही डॉ भीमराव अंबेडकर के बारे में उन्होंने कहा कि हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती पी. शैलजा जयकुमार विशु पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व हमें प्रकृति की ओर से मिलने वाली विभिन्न धन-धान्य एवं संपदाओं के महत्व के बारे में बताता है। यह पर्व बच्चों को प्रकृति के निकट लाने एवं उनसे मिलने वाले विभिन्न अनाजों, फलों एवं सब्जियों के महत्व के बारे में बताने का है।
यह पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत का भी प्रतीक है। अंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने डॉक्टर बी आर अंबेडकर के शब्दों से प्रेरित होकर कहा कि ‘‘सफलता कभी भी पक्की नहीं होती है,असफलता भी कभी अंतिम नहीं होती है। अपनी कोशिश को तब तक जारी रखो जब तक आपकी जीत इतिहास ना बन जाए।‘‘
इन कार्यक्रमों को सफल बनाने में विद्यालय के उप प्रधानाचार्यो शिक्षक- शिक्षिकाओं, छात्र-छात्राओं एवं कर्मचारियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।