यीषु के जन्म पर्व पूरे संसार मे आनंद से मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन जगत के उद्धारकत्र्ता प्रभु यीषु मसीह ने जन्म लिया था। परमेष्वर मनुष्यो को उनके पाप से बचाने के लिए स्वर्ग छोड़ पृथ्वी पर आया। आज से करीब दो हजार वर्ष पहले जब प्रभु यीषु का जन्म दाऊद के नगर बैतलहम मे हुआ तब स्वर्गदूतों का दल परमेष्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिये कि स्वर्ग मे परमेष्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यो में जिनसे वह प्रसन्न है शान्ति हो। उक्त बातें क्रिसमस पर्व के मौके पर बोकारो के पेंटेकोस्टल असेंबली स्कूल के डायरेक्टर, रेवरेण्ड (डॉ) डी. एन. प्रसाद ने कहीं।
प्रभु यीषु के जन्म से करीब आठ सौ वर्ष पहले यषायाह भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी किया था (यषायाह 9ः२ और 9ः6) अंधकार और पाप में भटकने वाले लोगों ने एक बड़ा उजियाला देखा और उन पर ज्योति चमकी। उस समय संसार अत्याचार, जुल्म, कष्ट से पीड़ित था एवं पाप अपने चरम सीमा पर पहुँच चुका था। समाज टूटता जा रहा था। मनुष्यों के जीवन में अंधेरा छाया था। ऐसे समय मे उन्हें एक बड़ा उजियाला दिखाई पड़ा। यह महान एवं अद्भुत प्रकाष बैतलहम की चरनी से दिखाई दिया। जिस चरनी मे परमेष्वर का एकमात्र पुत्र यीषु मसीह का जन्म हुआ ताकि सारी मानव जाति को प्रभु यीषु मसीह उद्धार का मार्ग बता सकें। प्रभुओं का प्रभु एवं राजाओं का राजा अपने आप को दीन कर के चरनी मे जन्म लिए कि गरीब से गरीब लोग उसके पास जा सके जैसा कि चरवाहे एवं धनी से धनी लोग भी वहाँ पहुँच सके जैसा कि राजा।

डॉ डी. एन. प्रसाद ने बताया, परमेष्वर ने अपना एकमात्र पुत्र मनुष्यो के उद्धार के लिए संसार में भेजा। यूहन्ना 3ः16 मे लिखा है, क्योंकि परमेष्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विष्वास करे, वह नाष न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। यीषु का जन्म पर्व परमेष्वर का मानव जाति के प्रति प्रेम को प्रगट करता है। यह पर्व प्रेम दिखाने का पर्व है। यीषु मसीह संसार के लिए एक उपहार है, इस उपहार को परमेष्वर ने मनुष्यो को दे दिया। इसीलिए यीषु के जन्म पर्व पर हम एक दूसरे को उपहार देते हैं, भेट देते हैं। यह पर्व बाँटने का पर्व है। यीषु मसीह शांति के राजकुमार हैं जैसा कि यषायाह भविष्यवक्ता ने 9ः6 में भविष्यवाणी की थी। प्रभु यीषु ने सदा प्रेम एवं शांति का प्रचार किया। हमेषा प्यार एवं त्याग का संदेष दिया। वे चाहते हैं कि मनुष्य एक दूसरे के प्रति प्यार एवं अपनापन रखे।
इस संसार की सृष्टि करनेवाला प्रभु इस संसार में जन्म लेनेवाला था। परन्तु बैतलहम शहर में यीषु को जन्म लेने के लिए उपयुक्त जगह नहीं मिला था। वह चरनी में जन्म लिये। आज भी प्रभु यीषु को सही एवं उपयुक्त जगह नहीं मिल रहा है। हमे यीषु मसीह का स्वागत करने के आवष्यकता है। आइये हम यीषु को अपने दिल में जगह दें कि हम उनके बताए मार्ग पर चलकर इस संसार में प्रेम, भाईचारा, अपनेपन के मार्ग पर चल कर इस संसार को स्वर्ग बनायें।
