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लौह और इस्पात उद्योग में रिफ्रैक्टरी का भविष्य क्या होगा ? इसपर 350 विशेषज्ञो-उद्यमियों ने किया मंथन


Bokaro: दो दिनों तक चले “लौह और इस्पात उद्योग में रिफ्रैक्टरी का भविष्य” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आरईएफआईएस-4.0 का समापन समारोह 24 सितंबर को बीएसएल के मानव संसाधन विकास केंद्र में आयोजित किया गया. दो दिनों तक चला यह सम्मेलन बहुत ही ज्ञानवर्धक रहा.

उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में सेल के सभी संयंत्रों के अलावा टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू, रिफ्रैक्टरी निर्माताओं सहित 350 से अधिक डेलिगेट भाग लिए तथा 40 तकनीकी पेपर प्रस्तुत किये. रिफ्रैक्टरी के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रिफ्रैक्टरी निर्माताओं और इस्पात उद्योग के विशेषज्ञों ने इस सेक्टर में इंडस्ट्री-4.0 से जुड़े नवीनतम प्रोद्योगिकी यथा आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इत्यादि विषयों पर भी गहन चर्चा की.

बोकारो स्टील प्लांट (BSL) द्वारा आयोजित बीएसएल के मानव संसाधन विकास केंद्र में “लौह और इस्पात उद्योग में रिफ्रैक्ट्रीज का भविष्य” REFIS-4.0 पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। IIT-ISM धनबाद के निदेशक प्रोफेसर राजीव शेखर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स, बोकारो चैप्टर और इंडियन सेरामिक्स सोसाइटी के सहयोग से आयोजित सम्मेलन में टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और रिफ्रैक्टरी निर्माताओं के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सम्मेलन में विशेषज्ञों द्वारा 40 तकनीकी पेपर प्रस्तुत किए गए।

डालमिया ओसीएल के महाप्रबंधक, शिशिर कुमार नायक ने कहा, “इस्पात बनाने में रिफ्रैक्टरी बेहद आवश्यक है। देश में उत्पादित रिफ्रैक्टरी में से 70 प्रतिशत स्टील बनाने में, 10 प्रतिशत सीमेंट उद्योगों में और शेष एल्यूमीनियम, तांबा, आदि और बिजली संयंत्र के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। स्टील की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए रिफ्रैक्टरी का उत्पादन भी बढ़ाना होगा।

प्रति टन कच्चे इस्पात के उत्पादन के लिए देश में लगभग 12 किलोग्राम रिफ्रैक्टरी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में जब देश लगभग 120 एमटीपीए स्टील का उत्पादन कर रहा है, देश में रिफ्रैक्टरी का बाजार 7000 करोड़ रुपये है। भारत में इस्पात उद्योग में प्रति वर्ष 1300 मिलियन मीट्रिक टन रिफ्रैक्टरी की खपत होती है।

विशेषज्ञ चिंतित हैं कि जब 2030 तक देश का इस्पात उत्पादन बढ़कर 300 एमटीपीए हो जाएगा, तो वे मांग को कैसे पूरा करेंगे। तब तक रिफ्रैक्ट्री बाजार बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। इसके लिए उन्हें अभी से उद्योग 4.0 को अपनाते हुए आधुनिकीकरण और विस्तार पर काम शुरू करना होगा। सुचारू उत्पादन के लिए कच्चे माल की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने होगी जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है.

इस अवसर पर अधिशासी निदेशक (संकार्य) बी के तिवारी, अधिशासी निदेशक (एसआरयू) सह चेयरमैन आरईएफआईएस-4.0 पी के रथ, प्रेसिडेंट (इंडियन सेरामिक्स सोसाइटी) डॉ एल के शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक (रिफ्रैक्टरी) सह वाईस चेयरमैन वी पी उपाध्याय, मुख्य महाप्रबंधक सहित अन्य वरीय अधिकारी एवं सम्मेलन के प्रतिभागी उपस्थित थे.

अधिशासी निदेशक (संकार्य) बी के तिवारी, अधिशासी निदेशक (एसआरयू) सह चेयरमैन आरईएफआईएस-4.0 पी के रथ, प्रेसिडेंट (इंडियन सेरामिक्स सोसाइटी) डॉ एल के शर्मा ने सम्मेलन के सफल आयोजन पर आयोजकों को बधाई दी तथा उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से सभी प्रतिभागी अवश्य रूप से लाभान्वित हुए होंगे.


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