Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

और भी नाजुक होती जा रही BGH की हालत, दो दिग्गज डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, अंदर हलचल कुछ और भी


Bokaro: बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) में कुछ तो है जो अंदर ही अंदर उसकी हालत नाजुक किये जा रहा है। बीजीएच इस इलाके का सबसे बड़ा अस्पताल है जो सेल-बोकारो इस्पात संयंत्र (SAIL-BSL) द्वारा संचालित है। पिछले एक दशक से बीजीएच की स्तिथि खासतौर पर डॉक्टरों की कमी के चलते बदतर होती जा रही है। स्तिथि ऐसी है कि बीजीएच के अधिकतर विभाग गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफेर कर दें रहे है।

कुछ विभाग जो सबल है, या कहे कि बीजीएच की शान है, अब वह भी अपनी रौनक खोने की कगार पर है। डॉक्टरों की किल्लत झेल रहे बीजीएच के लिए, बीएसएल प्रबंधन के पास न तो कोई तगड़ा सक्सेशन प्लान है, न ही बड़े डॉक्टरों-सर्जन को एपॉइंट करने के लिए बढ़िया ऑफर और न ही छोड़ कर जाने वाले अच्छे डॉक्टरों को रोकने और समझाने की संजीदगी। पिछले कुछ सालों में डॉक्टरों बहाली के लिए निकालें गए कई इश्तिहारों के बावजूद, एक भी सुपर-स्पेशलिस्ट बीजीएच में अपनी सेवा देने नहीं आया। जो हैं, वह भी छोड़ कर जा रहे है। स्तिथि गंभीर है।

फिलहाल बीजीएच के यह दो नामी डॉक्टर – डॉ सतीश कुमार (कार्डियोलॉजिस्ट) और डॉ रूपम सिंह (गायनेकोलॉजिस्ट) – ने अपना इस्तीफा प्रबंधन को दे दिया है। यह दोनों डॉक्टर काफी पुराने और बीजीएच के मजबूत खम्बे रहे है। दोनों अपने रिटायरमेंट के दो साल पहले बीजीएच छोड़ रहे है। इतने पुराने और अनुभवी डॉक्टरों की भरपाई बीजीएच फिलहाल कर पाने की स्तिथि में नहीं है।डॉक्टर सतीश के जाने से बीजीएच के कार्डियोलॉजी डेपार्टमेंट को झटका लगेगा।

बताया जा रहा है कि दोनों डॉक्टरों द्वारा दिए गए इस्तीफे के अनुसार – डॉ सतीश 14 दिसंबर तक ही सेवा देंगे और डॉ रूपम 25 जनवरी तक। इनके जाने से सबसे ज्यादा नुक्सान बीएसएल के 10800 कर्मचारियों-अधिकारियों के साथ-साथ रिटायर्ड लोगो को होगा। फिलहाल चर्चा यह भी है कि बीजीएच के कुछ और दिग्गज डॉक्टर छोड़कर जाने की तैयारी में लगे हुए है। वह दूसरे बड़े शहरों के प्राइवेट अस्पतालों के कांटेक्ट में है।

अगर ऐसा हुआ तो, इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीनतम चिकित्सा उपकरणों के रहते हुए भी बीजीएच अच्छे डॉक्टरों की कमी के चलते डिस्पेंसरी जैसा बन कर रह जायेगा। डूबते बीजीएच को बचाने के लिए अगर सेल-बीएसएल प्रबंधन उचित कदम नहीं उठाया, तो इसका सबसे अधिक नुक्सान यहां की जनता और कर्मचारियों को होगा। बताया जा रहा है कि इंटरनल पॉलिटिक्स, पेमेंट, प्रमोशन आदि कई ऐसी वजह है जो बीजीएच में मेहनत से काम करने वाले डॉक्टरों का दम घोट रही है।

पिछले कुछ सालों में एक दर्ज़न से ऊपर बढ़िया डॉक्टर्स और सर्जन ने बीजीएच की नौकरी छोड़ी है – जिनमें रेडियोलाजिस्ट, डॉ विपिन पाठक (अभी Apollo Mumbai के हेड है), मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉक्टर राजेश कुमार (अभी AIIMS में कार्यरत है), न्यूरो सर्जन डॉ एन के दास और उनकी पत्नी मातुली दास आदि और कई डॉक्टर है। कई अच्छे डॉक्टर रिटायर हो गए है। यह सिलसिला जारी है। इनकी भरपाई आज तक बीएसएल प्रबंधन नहीं कर पाया।

छोड़कर जाने वालों डॉक्टर्स आज दूसरे शहरों के बड़े अस्पतालों में झंडे गाड़े हुए है। उन्हें अगर बीएसएल प्रबंधन संभाल कर रख पाती तो आज बीजीएच का जलवा ही कुछ अलग होता। लेकिन न बीएसएल-बीजीएच प्रबंधन उस समय संजीदा थी न आज है। बीजीएच के सीएमओ, डॉ पंकज शर्मा जून 2022 में रिटायर होने वाले है। उनके बाद उस कुर्सी पर कौन बैठेगा इस पर रस्सा-कस्सी जारी है। खासतौर पर लोगो की निगाह बीएसएल प्रबंधन और डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश पर है। क्युकी उनका निर्णय महत्वपूर्ण होगा।

सीएमओ की तरह, आने वाले दो-तीन सालों में बीजीएच में काफी सीनियर पोजीशन के डॉक्टर रिटायर हो रहे है। जिनमे अधिकतर ACMO रैंक के है। जैसे डॉ विभोर शर्मा, डॉ मुक्तेश्वर रजक (HOD Nephrology), डॉ सतीश कुमार (HOD कार्डियोलॉजी ने रिजाइन कर दिया), डॉ प्रकाश पांडेय (HOD ब्लड बैंक), डॉ गौतम साहा (HOD Anesthesia), डॉ कुसुम दास (गायनेकोलोजी), डॉ रूपम सिंह (HOD गायनेकोलोजी ने रिजाइन कर दिया), आदि।

इनके बाद वरीयता के हिसाब से डॉ विभूति करुणानामई (कार्डियोलॉजी), डॉ आनंद कुमार (HOD न्यूरोसर्जरी), डॉ अनिन्दा मंडल (HOD बर्न एंड प्लास्टिक) आदि को उभर कर आना है। अगले महीने डॉ सतीश कुमार के जाने के बाद डॉ विभूति करुणानामई ही कार्डियोलॉजी के हेड हो जायेंगे। बता दें, बोकारो में हृदय रोगीयो की संख्या लाखो में है। बीजीएच में आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट में सबसे अधिक रोगी कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में आते है। अकेले होने के कारण डॉ विभूति करुणानामई की जिम्मेवारी काफी बढ़ जाएगी।

इसी प्रकार बीजीएच के न्यूरोसर्जरी विभाग की जिम्मेवारी डॉ आनंद कुमार के कंधो पर है। बीजीएच का न्यूरो सर्जरी विभाग इस इलाके के लिए वरदान है। यहां के अलावा बिहार, बंगाल से भी काफी मरीज अपना इलाज कराने यहां आतें है। इस विभाग से रेफेर होने वाले मरीजों की संख्या सबसे कम है। बीजीएच का बर्न विभाग भी इसी प्रकार विख्यात है। बीएसएल के अलावा पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट और आसपास के ज़िलों के कंपनियों के बर्न पेशेंट बीजीएच ही आते है। इस विभाग के एचओडी डॉ अनिन्दा मंडल इन मरीजों को देखने वाले अकेले बर्न सर्जन है। पुरे झारखण्ड में रांची और जमशेदपुर सहित कुल चार बर्न सर्जन है, जिसमे डॉ मंडल एक है। बोकारो शहर इंडस्ट्रियल टाउन होने के चलते बर्न और न्यूरो पेशेंट यहां अधिक है।

इन सब के अलावा रेडियोलोजी डिपार्टमेंट का हाल बुरा है। डॉ प्रियनका जैन अकेली महिला डॉक्टर इस पुरे विभाग को संभाले हुए है। अगर वह छुट्टी पर चली जाती है तो विभाग ठप हो जाता है। सर्जरी विभाग में तीन यूनिट है। इनमे से एक यूनिट रिटायर डॉक्टर कॉन्ट्रैक्ट में चलाते है। गैस्ट्रोलॉजी यूनिट में अब सिर्फ डॉ ए बन्धोपाद्यये हेड है। चेस्ट यूनिट डॉ अनिल अग्रवाल के हवाले है। न्यूरोलॉजी डॉ ए के रोहतगी संभाल रहे है। इसी प्रकार ईएनटी ब्रजेश पटेल और ओफ्थल्मोलॉजी को हेड डॉ सोफ़िया अहमद कर रही है। ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट डॉ मदन मोहन कुमार और वीरेंद्र कुमार देख रहे है। पीडिएट्रिक के हेड डॉ इंद्रनील चौधरी है। स्त्री रोग में डॉ जया अग्रवाल और डेंटल डॉ तृप्ति चंद्रा हेड कर रही है।

इन सब दिग्गजों के बीच, सेल-बीएसएल प्रबंधन को CMO की कुर्सी पर बैठाने के लिए सही उम्मीदवार खोजना आसान नहीं होगा। किसी के बनने से अगर किसी को तकलीफ हुई, तो पूरा डिपार्टमेंट प्रभावित हो जायेगा और इसका सीधा असर यहां की जनता और कर्मचारियों पर पड़ेगा। जैसे आज तक बीएसएल प्रबंधन छोड़ कर गए हुए डॉक्टरों की भरपाई नहीं कर पाया है, वैसे आगे कर पायेगा की नहीं? ऐसे कितने प्रश्न लोगो के जहन में उभर रहे है।


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2 thoughts on “और भी नाजुक होती जा रही BGH की हालत, दो दिग्गज डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, अंदर हलचल कुछ और भी
  1. BGH due to lack of competent doctors has become a hospital just for name sake. Any casualty/emergency case is so miss managed that BGH can be called a sure shot stopover to funeral. The people of Bokaro are at great risk to life. There are no hospital/nursing home here which can manage a emergency patient.

    1. Definitely, bokaro people are at very much on risk to there life in emergency, we have seen so many accident in plant also in recent…. People should think and raise there worry.

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