Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) में कार्यरत डिप्लोमा इंजिनियर्स के द्वारा कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर बोकारो इस्पात डिप्लोमाधारी कामगार यूनियन के बैनर तले गांधी चौक पर एक दिवसीय धरना दिया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में यूनियन के अध्यक्ष संदीप कुमार ने कहा कि बोकारो में इस समय सभी नागरिक सुविधाओं जैसे सड़क, स्ट्रीट लाइट, रोड लाइट, नालियों की मरम्मत आदि सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। इन सभी कार्यों के लिए यूनियन ने BSL के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश को धन्यवाद देती है। लेकिन इन कार्यों के साथ साथ कर्मचारियों से जुड़े हुए बहुत से मुद्दे कई वर्षों से लंबित पड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि SAIL के कर्मचारी एक तरफ जहां अपने-अपने कार्यस्थल पर लगातार मेहनत से कंपनी को ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सम्मानजनक पदनाम, प्रोमोशन पालिसी, बकाया एरियर, नाईट अलाउंस, इंसेंटिव रिवॉर्ड जैसे मामले वर्षों से लंबित हैं। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है। इस परिस्थिति में तमाम लंबित मुद्दों का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंत्री एम तिवारी ने कहा कि 1 मई 2017 को तत्कालीन इस्पात सचिव अरुणा शर्मा के कार्यकाल में इस्पात मंत्रालय द्वारा सेल प्रबंधन को जारी पत्र में सेल के डिप्लोमा इंजीनियर को जूनियर इंजीनियर पदनाम देने के साथ बीएसएनएल और भेल की तरह प्रमोशन पालिसी बनाने की अनुशंसा की गई थी। जो 6 वर्षों की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी केवल अनुशंसा बनकर रह गई है।
गौरतलब है कि ई-1 का बेसिक 20600 रु से 24900 रु करने को कहा गया था। जिसे प्रबंधन ने तुरंत लागू कर दिया पर पदनाम केवल पेपर में ही रह गया। इन 6 वर्षों के दौरान चार इस्पात मंत्री और चार सेल अध्यक्ष का कार्यकाल रहा फिर भी पदनाम किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाया। जब-जब इस्पात मंत्री या सेल अध्यक्ष बदले तब-तब डिप्लोमा इंजीनियर में उम्मीद जगती रही कि शायद इनके कार्यकाल में जूनियर इंजीनियर पदनाम मिल जाए और हर बार केवल निराशा ही हाथ लगी।
डिप्लोमा इंजीनियर आज तक समझ नहीं पाए कि पदनाम का समाधान नहीं होने का कारण क्या है? सेल प्रबंधन की उदासीनता या एनजेसीएस यूनियन का डिप्लोमा इंजी को सम्मानजनक पदनाम दिलाने में इच्छाशक्ति की कमी। अप्रैल महीने में भिलाई प्रवास के दौरान निर्वतमान सेल अध्यक्षा सोमा मंडल ने कर्मचारियों के सवाल के जवाब में कहा था कि मेरी इच्छा थी कि मैं अपने कार्यकाल में पदनाम लागू करूँ पर ऐसा नहीं हो सका, जिसका मुझे अफसोस है, ऐसे में सवाल उठता है कि कौन ऐसा तत्व है जो नहीं चाहते कि डिप्लोमाधारियों को जूनियर इंजीनियर पदनाम मिले।
संयुक्त महामंत्री रत्नेश मिश्रा और रितेश ने कहा कि प्रशिक्षु कर्मचारियों के लिए 2 साल का प्रशिक्षण अवधि और इस अवधि में मिलने वाली राशि उचित नहीं हैं,आन द जॉब ट्रेनिग के लिए जहाँ प्रशिक्षुओं से नियमित कर्मचारियों की तरह कार्य लिया जाता है वहाँ एक साल की अवधि पर्याप्त है। इसलिए डिप्लोमाधारियों के लिए प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष किया जाना चाहिए और स्टाइपेंड बढ़ाकर बेसिक के बराबर करना चाहिए।
धरना प्रदर्शन में उपाध्यक्ष रवि शंकर, सोनूशाह,आनंद रजक, प्रेमनाथ,नितेश , सिद्धार्थ, शिवनाथ, निखिल, चंदन, बलदेव सहित सैकड़ो डिप्लोमा इंजीनियर शामिल रहे।