Reporter। मिठू जैसवाल
Bokaro: सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिए गए खेदन घांसी को अब खुद को जीवित साबित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ‘साहब मैं जिंदा हूं…’, यह हर बार दोहराने पड़ रहे हैं. लेकिन, खेदन घांसी को अभी-तक निराशा ही हाथ लगी है. मृत घोषित कर बंद कर दी गई इनकी वृद्धावस्था पेंशन चालू नहीं हो पाई है.
मामला कसमार प्रखंड के बगदा गांव का है. 70 वर्षीय खेदन घांसी (पिता छुटु साव) को पिछले कई वर्षों तक नियमित रूप से वृद्धावस्था पेंशन मिली. उसके बाद सितंबर 2022 से इन्हें अचानक पेंशन मिलनी बंद हो गई. खेदन गांव के गोडाइत हैं. पेंशन इनके जीवनयापन का एक बड़ा सहारा है. अचानक पेंशन रुक जाने से वह परेशान हो गए. इसकी वजह जानने के लिए संबंधित कार्यालयों और कर्मियों के पास दौड़ लगानी शुरू कर दी. काफी पूछताछ और भागदौड़ के बाद इन्हें उस वक्त घोर आश्चर्य हुआ, जब पता चला कि सरकारी रिकार्ड में इन्हें घोषित कर दिया गया है. अब खुद को जीवित साबित करने के लिए खेदन को फिर से भागदौड़ शुरू करनी पड़ी.
बीडीओ के निर्देश के बाद भी चालू नहीं हुई है पेंश
मामले की जानकारी मिलने के बाद कसमार बीडीओ विजय कुमार ने इसे गंभीरता से लिया. अपने स्तर से छानबीन की. इस दौरान यह पता चला कि सरकारी रिकार्ड में खेदन को सचमुच में मृत घोषित कर दिया गया है. उसके बाद बीडीओ ने 20 अप्रैल 2023 को सामाजिक सुरक्षा, बोकारो के सहायक निदेशक को पत्र लिखा. उसमें बताया गया कि बगदा के पंचायत सचिव द्वारा भूलवश जीवित पेंशनधारी को भौतिक सत्यापन में मृत घोषित कर दिया गया था. जिसके चलते सितंबर 2022 से इनकी पेंशन रुक गई है.
बीडीओ ने पत्र में लिखा है कि वर्तमान भौतिक सत्यापन में खेदन घांसी को जीवित पाया गया है. इसलिए सितंबर 2022 से इनकी पेंशन का भुगतान किया जाए. लेकिन, बीडीओ के पत्र लिखने के एक महीना से अधिक बीत जाने के बाद भी इन्हें अभी-तक पेंशन नहीं मिल पाई है. खेदन ने बताया कि वह हर दूसरे-तीसरे दिन बैंक जाकर पता करते हैं. शुक्रवार को भी अपना बैंक खाता चेक कराया, पर अभी तक उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी है.
ब्यान मौ भट्टाचार्य, पंसस-बगदा : प्रखंड के कर्मियों की लापरवाही के चलते बगदा पंचायत में खेदन घांसी जैसे कई वृद्धावस्था पेंशनभोगियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खेदन घांसी जैसे एक बेबस वृद्ध को मृत घोषित कर उनकी पेंशन को रोक देने का यह मामला गंभीर है. इसके दोषी कर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही, खेदन की पेंशन जल्द चालू नहीं हुई तो मामला डीसी तक लेकर जाएंगे.