Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

विस्थापित युवाओं ने BSL सीजीएम पर्सनल के आवास का किया घेराव, गेट पर खड़े हो लगाने लगे नारा


Bokaro: बेरोजगारी से त्रस्त सैकड़ो विस्थापित युवाओ ने बुधवार सवेरे बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के चीफ जेनेरल मैनेजर पर्सनल, हरी मोहन झा के सेक्टर 5 स्तिथ आवास का घेराव कर दिया। वे विस्थापित अपरेंटिस संघ (VPS) के बैनर तले अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। विस्थापितों का यह आंदोलन पूर्व घोषित था फिर भी बीएसएल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया।

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विस्थापितों का विरोध प्रदर्शन उस समय हुआ, जिस वक़्त सेल (SAIL) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश बोकारो में थे। मंगलवार रात बोकारो पहुंचे सेल चेयरमैन के दौरे को लेकर अधिकारी तैयारियों में जुटे हुए थे। सड़क से लेकर बोकारो निवास तक सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतज़ाम था। चक्रवात मिचोंग के असर से वर्षा हो रही थी। इसी बीच विस्थापित सुबह तड़के लाइब्रेरी मैदान के सामने स्तिथ हरी मोहन झा के आवास के गेट पर विस्थापित प्रदर्शन करने लगे।

बताया जा रहा है कि जीएम हरी मोहन झा की नींद भी विस्थापितों के सेल-बीएसएल विरोधी नारो से खुली। उसके बाद बीएसएल अधिकारियों के फ़ोन खड़खड़ाने लगे। बीएसएल की सिक्योरिटी सहित पुलिस पहुंची और वार्ता की तारीख घोषित कर मामले को शांत कराया। जिसके बाद विस्थापित करीब 8 बजे चले गए।

विस्थापितों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे युवाओ में अरविन्द और दुर्गाचरण महतो ने बताया कि बेरोजगारी से विस्थापित युवाओ की हालात ख़राब है। बीएसएल से अपरेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद भी उनकी प्रबंधन नहीं सुन रहा है। अपनी आवाज़ को पहुंचाने के लिए उन्होंने जीएम के आवास का घेराव किया।

उन्होंने कहा कि वर्तमान स्तिथि को देखते हुए उन्हें पता है कि बीएसएल प्रबंधन के लिए इतने अपरेंटिस ट्रेनिंग प्राप्त विस्थापितों को नौकरी एक साथ देना परेशानी भरा है। इसलिए जब तक बीएसएल प्रबंधन उन्हें नौकरी नहीं देता, तब तक उन्हें प्लांट के अंदर हाई स्किल्ड वर्कर (HSW) में काम दिलवाये। इसके अलावा, विस्थापितों के लिखित परीक्षा का परिणाम भी बीएसएल ने घोषित नहीं किया है।

राज्य सरकार भी 75 % स्थानीय लोगो को रोजगार देने का नियम निकाल चुकी है। बीएसएल के अंदर 500 से ऊपर प्राइवेट कंपनी ऑउटसोर्सिंग और अन्य काम कर रही है। विस्तारीकरण को लेकर बड़ी-बड़ी प्राइवेट ठेका कंपनिया आना शुरू कर दी है। ऐसे विकास के माहौल में भी विस्थापित युवा काम से वंचित है। अगर बीएसएल प्रबंधन हमारी मांगो पर ध्यान नहीं देता है तो अब उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।


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