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झारखंड का पहला 22 फीट ऊंचा दीप स्तंभ श्री अयप्पा मंदिर बोकारो में हुआ प्रज्ज्वलित


Bokaro: झारखंड में पहली बार, 22 फीट ऊंचा विशालकाय दीप स्तंभ श्री अय्यप्पा मंदिर, बोकारो में शुक्रवार को मत्रोउच्चारण के साथ प्रतिष्ठित किया गया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर अय्यप्पा सेवा संघम के सदस्यों ने विशेष रूप से केरल से इस दीप स्तंभ को मंगवाया और स्थापित किया। यह दीप स्तंभ, जो देश के सबसे ऊंचे दीप स्तंभों में से एक माना जा रहा है, को भगवान अय्यप्पा के सामने प्रज्वलित किया गया। दीप स्तंभ में दिए जलाकर भगवान की आरती की गई, जिससे सम्पूर्ण मंदिर परिसर में एक दिव्य वातावरण बन गया।

प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भव्य बनाया

इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण सह ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज पाटिल ने अपनी पत्नी और बोकारो विधायक बिरंची नारायण के साथ समारोह में भाग लिया। उनकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया। इस अवसर पर बोलते हुए, अय्यप्पा सेवा संघम कार्यकारिणी समिति के ससींदरन करात ने कहा, “यह दीप स्तंभ अलौकिक है, और इसके जलने मात्र से ऊर्जा की एक अद्वितीय तरंग उत्पन्न होती है।” उन्होंने आगे बताया कि यह दीप स्तंभ विशेष रूप से केरल में बनवाया गया है और इसे यहाँ स्थापित करना बोकारो वासियों के लिए गर्व की बात है।

अद्वितीय दीप स्तंभ का निर्माण और महत्व

यह दीप स्तंभ, जो पीतल से बना है, 22 फीट ऊंचा है और इसे जलाने के लिए 50 लीटर तेल और 4 किलो रुई की आवश्यकता होती है। इसमें एक साथ 1008 दिए जलाए जा सकते हैं, जो इस दीप स्तंभ की विशालता और अद्वितीयता को दर्शाता है। इस दीप स्तंभ को प्रतिष्ठित करने के पीछे अय्यप्पा सेवा संघम की मंशा थी कि बोकारो में भगवान अय्यप्पा के भक्तों को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया जाए।

18 पावन सीढ़ियों का महत्व और दीप स्तंभ की स्थापना 

यह मंदिर बोकारो के सेक्टर 5 में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इन सीढ़ियों के सामने दीप स्तंभ स्थापित किया गया है।

धार्मिक अनुष्ठानों की श्रृंखला

मंदिर कमेटी के प्रमुख सदस्य जैसे पी. राजगोपाल, शशिधरन करात, मोहन नायर, ईएस सुशिलन, सुरेश कुमार केए, और श्री अय्यपा पब्लिक स्कूल-05 की प्रिंसिपल पी. शैलजा जयकुमार समेत स्कूल के दर्जनों शिक्षक भी इस समारोह में उपस्थित थे।

विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन

सुबह 05.30 बजे मंदिर खुलने के बाद महागणपति हवन, कलश पूजा, उषा पूजा के साथ कलश अभिषेक और मध्याह्न पूजा करके पट बंद हो जायेगा. 02 सितंबर 2024 शाम को 05.30 को पट खुलने के बाद 06.30 बजे दीप आराधना, अंकुर पूजा, अठारह सीढ़ियों की पूजा (पडिपूजा), रात्रि भोग पूजा, श्रीभूतबली के साथ हरिवरासनं और पट बंद हो जायेगा. 03 सितम्बर को सुबह 05.30 बजे मंदिर खुलने के बाद महागणपति हवन, कलश पूजा, उषा पूजा के साथ कलश अभिषेक और मध्याह्न पूजा करके पट बंद हो जायेगा. शाम को 05.30 बजे पट खुलने के बाद 06.30 बजे दीप आराधना, अंकुर पूजा, अठारह सीढ़ियों का पूजा (पडिपूजा), पल्लीवेटा (गर्भ गृह से निकलकर मंदिर प्रांगण में शोभयात्रा), शय्या पूजा के साथ हरिवरासनं और पट बंद हो जायेगा.

04 सितम्बर को सुबह श्रद्धा के साथ विधि-विधान के साथ मुख्य वार्षिक पूजा का समापन

04 सितम्बर को सुबह श्रद्धा के साथ विधि-विधान के साथ मुख्य वार्षिक पूजा का समापन होगा. महागणपति हवन, भागवत परायण, उषापूजा, कलश पूजा, भगवान का स्नान पूजा, शोभायात्रा के साथ गर्भ गृह में वापसी, “तायम्बका (केरल का मुख्य वाध्य उपकरण के साथ ) श्री पल्लसेना नंदकुमार और टीम ” , मध्याह्नपूजा, प्रीति भोग, पट बांध होने साथ 2024-2025 का वार्षिक पूजा का समापन होगा. इस दौरान मंदिर में पूजा का समय सुबह 05.30 से 11.00 बजे तक और शाम को 05.30 से 09.00 बजे तक होगा. सभी पूजा शबरीमला के मुख्या तान्त्रिवर्य ब्रह्मश्री महेश मोहनरू कंडरु के नेतृत्व में होगा.

 

 

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