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मेलों में खिलौना बेचकर मैट्रिक में 96.2 % लाने वाले अंकित की गरीबी में छूट रही पढ़ाई, CM से मिली मदद


Bokaro: झारखण्ड बोर्ड से 96.2 प्रतिशत अंक प्राप्त कर मैट्रिक पास करने वाले अंकित कुमार (18 वर्षीय) की कहानी आम लड़को से कुछ अलग है। अंकित के पास मेहनत है, लगन है, पढ़ने की असीम इच्छा है पर शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसके पास नहीं है तो पैसा। माँ-बाप है पर लाचार है, उसको पढ़ा नहीं सकते।

दसवीं तक की पढ़ाई अंकित ने किसी तरह परिवार की मदद और ग्रामीण इलाको में लगने वाले मेलों में खिलौना बेचकर कर ली। पर अब आगे की पढ़ाई पूरी करने में उसकी गरीबी उसके सामने सबसे बड़ी दीवार बनकर खड़ी हो गई है। जो उसे विचलित कर रही है।

मैट्रिक में जिले में तीसरा स्थान – मेधावी छात्र अंकित के पढ़ाई और गरीबी के बीच चल रहे जद्दोजहत पर शुक्रवार को चीफ मिनिस्टर हेमंत सोरेन का ध्यान गया। जिसके बाद पूरा प्रसाशनिक महकमा उसके मदद को आगे आया है। संक्षिप्त परिचय- झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा आयोजित कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में अंकित स्कूल का टॉपर रहा, जिले में तीसरे स्थान लाया और राज्य में नौवां स्थान प्राप्त किया है।

अंकित ने CM को किया ट्वीट, मिला यह जवाब-
गरीबी के थपेड़ो से हर दरवाजा बंद देख, अंकित ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ट्विटर के माध्यम से मदद मांगी, जिसपर उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. ट्विटर पर पोस्ट के बाद मुख्यमंत्री का जवाब अंकित के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है। सीएम ने शुक्रवार को डीसी बोकारो कुलदीप चौधरी को ट्वीट कर उसे हर संभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया है।

सीएम ने ट्विटर हैंडल से अंकित के पोस्ट को टैग करते हुए यह लिखा गया है – “@BokaroDc कृपया उपरोक्त मामले की जांच करें और अंकित बेटे को उसकी पढ़ाई के लिए हर संभव सरकारी सहायता प्रदान करके सूचित करें। साथ ही अंकित के परिवार को सभी आवश्यक योजनाओं से जोड़कर सूचित करें”।

बीडीओ पहुंचे घर –सीएम के ट्वीट में इस बात का भी जिक्र है कि ‘गरीबी को पढ़ाई में बाधा बनने से रोकने के लिए सरकार हर स्तर पर कई योजनाएं लेकर आई है.’ सीएम के ट्वीट के तुरंत बाद, जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित बरकीपुन्नु गांव में अंकित के स्थिति का आकलन करने के लिए प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) उसके घर पहुंचे।

ऐसी है परिवार की हालत-
बता दें कि अशोक प्रजापति और बिराजो देवी की चार संतानों में अंकित तीसरे नंबर पर हैं। अंकित की दो बड़ी और एक छोटी बहन है। प्रजापति ठेका मजदूर और देवी ग्रामीण इलाकों में सिर पर टोकरी रखकर चूड़ियां बेचती थी। पर अब दोनों की कमाई बंद हो चुकीं है।

प्रजापति ने पांच साल पहले काम करना छोड़ दिया था क्योंकि वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गए थे। उन्हें दृष्टि की समस्या थी और अब पित्ताशय की सर्जरी हुई है। वही 05 सितंबर, 2022 को एक सड़क दुर्घटना में बिराजो देवी के हाथ और पैर में फ्रैक्चर हो गया था। उन्हें अभी भी कष्ट है। ऐसी घड़ी में आजीविका की पूरी जिम्मेदारी अंकित के कंधो पर है और वह पढ़ना भी चाहता है।

मेलों में खिलौना बेचता था अंकित-फिलहाल अंकित गोमिया प्रखंड के महुआटांड़ स्थित रिजूनाथ इंटर कॉलेज के 11वीं कक्षा का छात्र है। पर उसका सपना यूपीएससी करने का है। अंकित ने कहा कि मेरे कॉलेज में विज्ञान का कोई शिक्षक नहीं है। इसलिए अन्य छात्र ट्यूशन कर अपनी पढ़ाई पूरी करते है। मैं गरीबी के कारण ट्यूशन नहीं कर सकता। मैं तनाव में हूं कि मैं अपनी पढ़ाई कैसे पूरी करूं। मैं गाँव के मेलों में खिलौने बेचकर 600-900 रुपये कमा लेता हूँ, जो अभी के लिए पर्याप्त नहीं है।

अंकित की जगी आस-
अंकित ने कहा, मुख्यमंत्री के आश्वासन से बड़ी राहत मिली है। मुझे यकीन है कि मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अब कुछ सहायता मिलेगी। मेरी बड़ी बहन जो इस वर्ष स्नातक पास कर चुकी है, वह भी पढ़ाई में बहुत अच्छी है। जबकि मेरी छोटी बहन उसी उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बड़कीपुन्नु में पढ़ती है, जहाँ मैंने पढ़ाई की थी। मेरे परिवार को पीडीएस दुकान से कोटे में राशन मिलता है जिससे जैसे तैसे गुजारा हो जा रहा है।

उसकी माँ बिरजो देवी ने कहा कि, मैं केवल 7वीं पास हूं और मेरे पति मुश्किल से 9वीं पास हैं। लेकिन हम चाहते हैं कि मेरे बच्चे शिक्षा प्राप्त करें। खासकर अंकित की पढ़ाई से समझौता नहीं हो। अब हम सपने शरीर से लाचार हैं। क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा।

डीसी बोकारो कुलदीप चौधरी ने कहा कि वह अंकित और उसके परिवार से मिलेंगे और उनकी समस्याओं को जानेंगे। अंकित के लिए कुछ छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने की कोशिश रहेगी।


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