Bokaro: ‘ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता।’’ श्रीकृष्ण के इसी उपदेश को आधार बनाकर श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल वर्षों से बच्चों के सर्वांगीण विकास में प्रयत्नरत है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम को श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ऑनलाइन मोड में मनाया गया।
एक सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हर वर्ग के बच्चों ने अपनी कलाओं से सबका मन मोह लिया। कक्षी नर्सरी के बच्चों के लिए कृष्ण- यशोदा के प्रेम के प्रतीक मटके बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें खाने योग्य (इडेवल मटकी) बनाया गया। इसमें बच्चों ने अपने माता पिता की सहायता से चॉकलेट, बिस्कुट, दूध, मावा तथा अन्य खाद्य पदार्थों की सहायता से सुंदर-सुंदर छोटी मटकियाँ बनाई।
कक्षा प्रेप के बच्चों ने भी कृष्ण और राधा के प्रेम के प्रतीक ‘झूले‘ का निर्माण किया, जिसे बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट के तर्ज पर बच्चों ने घर में मौजूद विभिन्न रद्दी वस्तुओं का प्रयोग करके बनाया जैसे- कागज, समाचार-पत्र, कपड़े, पत्तियाँ, डालियाँ और सजावटी सामान आदि। कक्षा प्रथम के छात्र-छात्राओं ने कृष्ण के विभिन्न रूपों के साथ-साथ यशोदा, राधा, बलराम, नन्द, सुदामा तथा गोपियों का अभिनय किया।
वहीं वर्ग 2-5वीं तक के छात्र-छात्राओं ने भी विभिन्न प्रस्तुति पेश की। कक्षा दूसरी के छात्रों ने माखनचोर कृष्ण की बाल लीलाओं को प्रस्तुत किया और सबका मन मोह लिया। कक्षा तीसरी के विद्यार्थियों ने कृष्ण की चमत्कारिक बाँसुरी की धुन जो सबका मन सहज ही मोह लेती है, पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किया। यशोदा की भूमिका प्रखर राज की मां विजेता बरनवाल ने निभाई थी।
कक्षा चौथी एवं पाँचवीं के छात्र-छात्राओं ने कृष्ण के जीवन की कुछ ऐसी घटनाओं का नाट्य मंचन किया जो हमें हमारे जीवन में कोई ना कोई शिक्षा अवश्य देते हैं। बच्चों ने कृष्ण और सुदामा की मित्रता को दर्शाया जो स्वयं में बेमिसाल है। इसके अलावा कालिया मर्दन एवं गोवर्धन पर्वत विजय की कहानी को भी छात्रों ने बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
वहीं कक्षा छह से आठ तक के छात्रों ने गीता के श्लोकों से अपने कार्यक्रम की शुरुआत की और उसके बाद श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित विभिन्न रूपों एवं घटनाओं को चित्रकला, नृत्य, गायन माध्यम से प्रस्तुत किया।
विद्यालय की चेयरमैन सतीश नायर इस अवसर पर स्कूल प्रबंधन की ओर से सभी छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं तथा अभिभावकों को बधाई दी। विद्यालय की निदेशक डॉ. एस. एस. महापात्रा ने बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुए एक श्लोक कहा, जो सभी छात्र छात्राओं को आज कोरोना के समय में प्रेरणा देने का काम करता है -.‘‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्म फलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।’’ अर्थात् कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों पर नहीं। इसलिए कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती पी. शैलजा जयकुमार ने बच्चों को सच्ची मित्रता के लिए कृष्ण और सुदामा से भी प्रेरणा लेने को कहा और बताया कि मित्र चाहे अमीर हो या गरीब, मित्र ही होता है। विद्यालय की उप-प्राचार्या, विद्यालय के सभी शिक्षकों एवं छात्रो ने इस उत्सव में भाग लेकर सफल बनाया।
Sending good vibes to take with you to your treatment.”
Mam mera tu hai hi nahi.
very beautiful
Very beautiful i am proud of my school and teachers and principal mam and sir