Bokaro: एक तरफ राज्य का सबसे बड़ा कैंसर एंव सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल शहर के बियाडा कॉलोनी में करोड़ो की लागत से खुल रहा है, वही दूसरी तरफ डॉक्टरों की कमी के चलते इस इलाके के सबसे बड़े और पुराने बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) का कैंसर विभाग सोमवार से लगभग बंद हो गया। बीजीएच के डॉक्टर पंकज शर्मा कैंसर मरीजों का इलाज करने वाले अंतिम रेडियो थेरेपिस्ट थे। वह रविवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए।BGH के हालात को लेकर यह सोचते है BSL के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश, Video नीचें है :
कैंसर वार्ड में रिटायर होते गए डॉक्टर, प्रबंधन ने ऐसी स्तिथि के बारे सोचा नहीं –
बताया जा रहा है कि बीजीएच में पिछले एक दशक में, चार रेडियो थेरेपिस्ट धीरे-धीरे सेवानिवृत्त हो गए। उनमे पंकज शर्मा अंतिम थे। कैंसर विभाग जैसे क्रिटिकल डिपार्टमेंट को लेकर बीजीएच या बीएसएल प्रबंधन का रवैया शुरू से ही उदासीन रहा। बीजीएच में कभी कोई ऑन्कोलॉजिस्ट (एमडी ऑन्कोलॉजी मेडिसिन) या सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट नहीं थे। मरीजों को रेडियो थेरेपिस्ट द्वारा कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी की ही सेवा सिर्फ मिल रही थी। सर्जरी या बेहतर इलाज के लिए बोकारो से बाहर जाना पड़ता था।
अब डॉक्टर पंकज शर्मा के सेवानिवृत्त होने के कारण मरीजों को कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की भी सेवा नहीं मिलेगी। बीएसएल प्रबंधन या उसका पर्सनल डिपार्टमेंट, बीजीएच के विभिन्न चिकित्सा विभागों के उत्तराधिकार योजना (succession plan) पर कभी ढंग से काम ही नहीं किया। सीनियर डॉक्टर रिटायर होते गए और जूनियर उनकी जगह लेते गए। और अब ऐसा समय आया की कोई जूनियर बचा ही नहीं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है खासतौर पर बीएसएल कर्मियों को। BGH के हालात को लेकर यह सोचते है BSL के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश, Video नीचें है :
BGH में वरिष्ठता ही योग्यता –
लोगो को लगता है कि बीएसएल प्रबंधन ने बीजीएच को ऐसे ही चलते रहने के लिए छोड़ दिया है। बीएसएल प्लांट के अंदर प्रबंधन जितना सेंसिटिव रहता है, उतना बीजीएच को लेकर नहीं दिखता है। इस कारण स्तिथि ख़राब होती जा रही है। बीजीएच के प्रसाशनिक पदों पर वरिष्ठता ही योग्यता हो गई है। चीफ मेडिकल ऑफिसर जैसे संवेदनशील पद पर भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। उक्त पद पर बैठे अधिकारी के रिटायर होने के बाद वरिष्ठता के हिसाब से जो आ जाये उसे पद सौंप दिया जाता है। और चीज़े जिस हिसाब से चल रही होती है, वैसे ही चलती रहती है।
क्या अच्छे डॉक्टर सिर्फ BGH की सैलरी आंक कर नहीं आते ?
प्रबंधन के आला अधिकारियों के सामने जब भी बीजीएच के मैनपावर क्राइसिस की चर्चा होती है तो उनमे से अधिकतर यह कह कर मामला टाल देते है कि – छोटे शहर में डॉक्टर आना नहीं चाहते, उनको बड़े अस्पतालों जितनी सैलरी चाहिए।
बीएसएल प्रबंधन को इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा की क्या अच्छे डॉक्टर या सुपर-स्पेशलिस्ट, सिर्फ, अच्छी सैलरी के चलते BGH ज्वाइन नहीं करते ? या फिर कुछ और कारण है जो उनको बीजीएच में आने से रोक रहा है ?
बताया जाता है कि सेल में हुए वेज रिविज़न के बाद डॉक्टरों की सैलरी पहले से काफी अच्छी हो गई है। जबकि शहर के अन्य प्राइवेट अस्पतालों में इतनी फैसिलिटी-सैलरी नहीं मिलने के बावजूद भी अच्छे डॉक्टर आ रहे है और काम कर रहे है। एहि नहीं झारखण्ड के पलामू मेडिकल कॉलेज, देवघर और अन्य जगहो पर भी अच्छे डॉक्टर और स्पेशलिस्ट बाहर से आकर ज्वाइन कर रहे है।
लोगो के अनुसार, बीएसएल प्रबंधन को – बीजीएच में सिर्फ वरिष्ठता में योग्यता वाली फिलॉसफी से ऊपर उठकर सोचना होगा। प्लांट की तरह, काम करने वाले सुशिक्षित डॉक्टर और स्टाफ को तरजी देनी होगी। शैक्षणिक योग्यता और मेरिट पर आकलन भी करना होगा। बीजीएच में उच्च पदों पर योग्य अधिकारी (डॉक्टर) आएंगे तो उनको देखकर-समझकर बाहर से भी अच्छे डॉक्टर आएंगे। अस्पताल में बेहतर माहौल, समन्वय, मोटिवेशन आदि पर काम होगा। इंटरनल पॉलिटिक्स को जड़ से खत्म करना होगा। BGH के हालात को लेकर यह सोचते है BSL के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश, Video :
BGH में डॉक्टरों की भारी कमी –
डॉक्टर की कमी ने बीजीएच के उपचार और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस राज्य के बड़े अस्पतालों में शुमार बीजीएच की हालत खस्ता है। बता दें कि, बीजीएच, सेल की इकाई बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) द्वारा चलाया जाता है। केवल कैंसर वार्ड ही नहीं, बल्कि बीजीएच के कई अन्य चिकित्सा विभाग भी मैनपावर क्राइसिस का सामना कर रहे हैं। इसका सीधा-सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। उनको बाहर के बड़े अस्पतालों में रेफेर कर दिया है जा रहा है।
BGH के इन विभागों में नहीं है स्पेशलिस्ट –
बीजीएच सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में संस्थान में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डीएम गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट आदि नहीं हैं। इनके अलावा अधिकतर विभागों में डॉक्टरों की भारी कमी है। रेडियोलॉजी विभाग चलाने के लिए केवल एक रेडियोलॉजिस्ट है, जिस कारण वहां मरीजों की लंबी कतार है। कुछ विभाग है, जैसे ईएनटी, डेंटल, न्यूरो, बर्न, नेफ्रो, ऑप्थैमोलॉजी आदि जो ठीक चल रहे है। पर इनको भी मैनपावर क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है।
बीजीएच में बड़ी संख्या में डॉक्टर सेवानिवृत्त या छोड़कर चले गए। जिससे मैनपावर की भारी कमी हो गई है। प्रबंधन को प्रतिभाशाली चिकित्सक नहीं मिल रहे है। जो बढ़िया डॉक्टर है उनके भी छोड़कर जानें का डर बना हुआ है। रह-रहकर प्राइवेट अस्पताल उन पर डोरे डालते रहते है। डर है की अगर यह चले गए तो फिर कई विभाग बंद हो जायेंगे।
ऐसी स्तिथि में लोगो की निगाह डायरेक्टर इंचार्ज, अमरेंदु प्रकाश और सेल प्रबंधन पर है। लोग वह देख रहे है कि बीजीएच को इस परिस्तिथि से निकालने के लिए कौन से ठोस कदम उठा जा रहे है या कोई नै स्ट्रेटेजी पर काम हो रहा है।
संचार प्रमुख, BSL, मणिकांत धान के अनुसार, “बीजीएच में डॉक्टरों के कमी को दूर करने के लिए प्रबंधन जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू करने वाला है। विभिन्न पदों पर रिक्रूटमेंट जल्द शुरू होगा”।
हालांकि पिछले दो सालो से कई बार बीजीएच में रिक्रूटमेंट ड्राइव चला पर सिर्फ मेडिकल ऑफिसर का ही चयन हो पाया, स्पेशलिस्ट या सुपर-स्पेशलिस्ट लेवल के डॉक्टर इंटरव्यू में नहीं आये।
BGH में आयोजित इंटरव्यू नहीं आया कोई सुपर-स्पेशलिस्ट-
ज्ञात हो कि बीजीएच प्रबंधन ने सितंबर 2020 में सुपर स्पेशलिस्ट के पांच पदों, विशेषज्ञ के चार और 10 चिकित्सा अधिकारियों सहित 21 पदों के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू भी आयोजित किया था। लेकिन कोई भी उम्मीदवार सुपर स्पेशलिस्ट या स्पेशलिस्ट के पद पर नहीं आया था। जबकि बीएसएल अच्छा वेतन पैकेज, आवास और अन्य लाभ दें रहा था। मेडिकल ऑफिसर पड़ के उम्मीदवार आये और उनको बहाल कर बीजीएच में काम चलाया जा रहा है। विभाग में रिटायर हुए स्पेशलिस्ट, डीएम, सुपर-स्पेशलिस्ट का पद अभी भी खाली पड़ा हुआ है।
BGH पर लाखों बीएसएल कर्मी और बोकारो वासी है निर्भर –
सेल की एक इकाई बीएसएल में जिले के निवासियों के अलावा लगभग 11,000 कर्मचारी और अधिकारी है जो बीजीएच पर निर्भर हैं। बीजीएच को 08 डिसिप्लिन्स में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा डीएनबी स्नातकोत्तर प्रशिक्षण के लिए मान्यता प्राप्त है। यह बोकारो जिले और उसके आसपास से आने वाले सभी रोगियों (गैर-कर्मचारी) के साथ-साथ डीवीसी, एस.ई. रेलवे, कोल इंडिया आदि प्रमुख इकाइयों के रोगियों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए एक रेफरल केंद्र है।
ऐसा क्यों ? नए प्राइवेट अस्पताल आ रहे है, पर बीजीएच का हाल बुरा है। अपनी राय नीचें कमेंट बॉक्स में बिलकुल दें।