Bokaro: अमृतसर में हाल ही में आयोजित नेशनल ऑर्थोपेडिक कॉन्फ्रेंस में बोकारो जेनेरल अस्पताल (BGH) के अस्थि रोग विभाग के चीफ़ कंसल्टेंट डॉ बीरेन्द्र कुमार को गोल्ड मेडल से नवाजा गया है. उनको यह सम्मान बच्चों में एल्बो (कॉम्प्लेक्स सूप्राकोंडिलर ह्यूमरस) फ्रेक्चर के इलाज हेतु एक सरल विधि विकसित करने के लिए दिया गया है जिसमें बिना चीर-फाड़ के मात्र 15- 20 मिनट में ही बच्चों का इलाज किया जा सकता है.
इस नयी विधि को ‘जॉय स्टिक तकनीक’ के नाम से जाना जाता है. डॉ बीरेन्द्र कुमार द्वारा विकसित इस नयी विधि से पूर्व इस तरह के फ्रेक्चर के ऑपरेशन में लगभग डेढ़ घंटे का समय और मरीज को एक लम्बा चीरा लगाना पड़ता था, साथ ही ऑपरेशन के बाद भी चीरे का दाग आजीवन बना रहता था.
डॉ बीरेन्द्र कुमार ने गत वर्ष भी राज्य के अस्थि रोग विशेषज्ञों को एस बी मेडिकल कॉलेज, हज़ारीबाघ में जॉय स्टिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया था, साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी चिकित्सकों के समक्ष इस नयी तकनीक को प्रस्तुत किया था. डॉ बीरेन्द्र कुमार एवं बीजीएच की उनकी टीम द्वारा जॉय स्टिक तकनीक पर लिखा आलेख इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन ऑर्थोपेडिक्स में भी प्रकाशित हो चुका है.
अमृतसर में आयोजित नेशनल ऑर्थोपेडिक कॉन्फ्रेंस में डॉ बीरेन्द्र कुमार की इस नयी तकनीक को काफी सराहा गया. यह विधि न सिर्फ सरल है, बल्कि सुरक्षित, कम खर्चीला और कई अन्य कारणों से भी मरीजों के लिए लाभदायक है. इन कारणों से अस्थि रोग विशेषज्ञों द्वारा अब जॉय स्टिक टेक्नीक का अधिकाधिक इस्तेमाल किया जा रहा है.
बीजीएच में इस विधि से बच्चों में एल्बो फ्रेक्चर का इलाज पहले से ही किया जा रहा है जिससे सैंकड़ों बच्चे लाभान्वित हुए हैं. डॉ बीरेन्द्र कुमार और उनकी टीम बीजीएच (BGH) के डीएनबी प्रशिक्षुकों को भी इस विधि में ट्रेनिंग दे रही है.