Bokaro: अच्छे डॉक्टरों की कमी की त्रासदी झेल रहे बोकारो जनरल हॉस्पिटल (BGH) को फिर एक झटका लगा है। बीजीएच के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी और बोकारो के प्रसिद्ध किडनी रोग विशेषज्ञ, मुक्तेश्वर रजक ने बोकारो इस्पात प्लांट (BSL) प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। डॉ मुक्तेश्वर के स्तीफा देने की खबर से चर्चा का माहौल गर्म है।
बीजीएच में सुपर-सपेशलिस्ट डॉक्टर्स की घनघोर कमी है। बुलाने के बावजूद भी उस लेवल के डॉक्टर वॉक-इन-इंटरव्यू में नहीं आ रहे है। ऐसे वक़्त में डॉ मुक्तेश्वर का इस्तीफा देना प्रबंधन के घोर संवेदनहीनता को दर्शाता है। डॉ मुक्तेश्वर का इस्तीफा अगर मंजूर हो जाता है तो, बीजीएच का नेफ्रोलॉजी विभाग करीब-करीब बंद हो जायेगा। इसका सबसे ज्यादा असर किडनी रोग से ग्रसित बीएसएल कर्मी के साथ-साथ बोकारो के वासियों को भी होगा।
कहने वाले कह रहे है कि डॉ मुक्तेश्ववर का बीएसएल प्रबंधन को इस्तीफा देना कोई हलकी बात नहीं है। इसका असर लम्बे समय तक रहेगा। अच्छे डॉक्टरों को संभाल कर रख नहीं पाने के लिए लोग फिर बीएसएल प्रबंधन को कोसेंगे। बता दें, पिछले एक साल में डॉ मुक्तेश्वर दूसरे नामी डॉक्टर है, जिन्होंने बीजीएच को स्तीफा सौंप कर अलविदा कहा है। इसके पहले बीजीएच के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड, डॉ सतीश ने इसी तरह स्तीफा दें दिया था।
बता दें, बीजीएच ही नहीं, बल्कि इस पुरे जिले में डॉक्टर मुक्तेश्वर ही एक मात्र DM Nephrology है। बोकारो के आलावा झारखण्ड के अन्य ज़िलों और बिहार से भी मरीज डॉक्टर मुक्तेश्वर से दिखाने आते थे। बीजीएच में काम कर रहे चंद सुपर-स्पेशलिस्ट में से डॉ मुक्तेश्वर एक है। बताया जा रहा है कि डॉ मुक्तेश्वर के इस्तीफा देने से दूसरे कर्मठ डॉक्टर हतोत्साहित है। डर यह भी है की दूसरे अच्छे और नामी डॉक्टर भी इस माहौल में चले न जाएं।
डॉक्टर मुक्तेश्वर का रिटायरमेंट मार्च 2024 में होने वाला था, पर उन्होंने एक झटके में इतना बड़ा फैसला क्यों कर लिया, इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने इस्तीफा में नौकरी छोड़ने का कारण ‘पर्सनल रीज़न’ लिखा है। पर उनके करीबी बताते है कि हॉस्पिटल में ऐसा कुछ चल रहा है जिससे डॉ मुक्तेश्वर खुश नहीं थे। उनको घुटन महसूस हो रही थी। शायद उन्होंने पहले कई बार प्रबंधन को बताने की कोशिश की थी।
बीजीएच में ऐसा क्या चल रहा है, जिससे अच्छे और सीनियर डॉक्टर छोड़ कर जा रहे यह तो बीजीएच और उसका संचालन करने वाला बीएसएल प्रबंधन ही जाने ? पर इन घटनाओं से बीएसएल प्रबंधन की किरकरी हो रही है।
अच्छे डॉक्टरों का बीजीएच छोड़ कर जाने का सबसे बड़ा खामियाजा बीएसएल कर्मी, रिटायर्ड बीएसएल के अधिकारी और कर्मियों को उठाना पड़ेगा। बीजीएच में जिन बड़े डॉक्टरो से बीएसएल या रिटायर्ड कर्मी सिर्फ मेडिकल कार्ड दिखा कर इलाज करा लेते थे , उनके जाने के बाद बाहर में प्राइवेट क्लिनिक या निजी अस्पतालों में लाइन लग कर 800 -1000 रुपया फीस देकर दिखाना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि इंटरनल पोलिस्टिक्स, अच्छे डॉक्टर और सुपर-स्पेशलिस्ट के काम को तवज्जो नहीं दिया जाना, बीजीएच को लेकर सेल-बीएसएल के आला अधिकारियों की असवेंदनशीलता, स्ट्रांग लीडरशिप की कमी, डॉक्टर की कमी, रिटेंशन पालिसी आदि ऐसी कई समस्याएं है जो बीजीएच को बीमार किये जा रही है।
बताया जाता है कि विभिन्न कारणों को दिखाकर योग्य लोंगो की योग्यता को नज़रअंदाज़ कर के पदोन्नत न करना भी बीजीएच के कर्मठ डॉक्टरों को चुभता है। पर दुर्भाग्य है कि बीएसएल के हेडक्वार्टर कहे जाने वाले एडीएम बिल्डिंग के दीवारों तक इस बीमार बीजीएच की कहराने की आवाज़ नहीं पहुंच पा रही है।
अब देखना है की सेल की सबसे प्रॉफिटेबल इकाई कही जाने वाली BSL, अपने कर्मियों के स्वास्थ और जान की रक्षा करने वाले बीजीएच के इन बड़े डॉक्टरों के छोड़ कर जाने के बाद की भरपाई कैसे करेगा।