Gomia (Bokaro): भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बोकारो जिले के चितरंजन साव को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन्हें गोमिया विधानसभा से एनडीए (NDA) के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने के कारण यह सजा दी गई है, जो पार्टी की नीतियों का उल्लंघन है।
चितरंजन साव भाजपा जिला ओबीसी मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी पत्नी सुनीता देवी वर्तमान जिला परिषद् अध्यक्ष हैं, जिन्होंने भी नामांकन पत्र तो भरा था, लेकिन अंतिम दिन उसे वापस ले लिया। चितरंजन साव इस समय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। एनडीए गठबंधन में गोमिया सीट आजसू के हिस्से में गई है, जहां से डॉ. लम्बोदर महतो चुनाव लड़ रहे हैं। ज्वाइन करने के लिए क्लिक करें– https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
BJP: 30 नेताओं को किया पार्टी से निष्कासित
झारखंड में विधानसभा चुनाव के पहले ही भाजपा ने अपने बागी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। पार्टी ने मंगलवार को उन 30 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है जिन्होंने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन कर नामांकन भरा है। यह फैसला राज्य BJP अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर महामंत्री और सांसद डॉ. प्रदीप वर्मा ने लिया, जिसमें बगावत करने वाले नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
पार्टी की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि जिन नेताओं को पार्टी से बाहर किया गया है, उन्होंने आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, जो पार्टी की नीति के खिलाफ है। चुनाव के मौके पर इस तरह का कदम उठाना BJP की ओर से पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है।
निष्कासित नेताओं में शामिल प्रमुख नाम
पार्टी के प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, निष्कासित किए गए नेताओं में विभिन्न जिलों के वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं। इनमें पलामू से चंद्रमा कुमारी, हजारीबाग से कुमकुम देवी और बटेश्वर महतो, गुमला से मिसिर कुजूर, दुमका से जूली यादव, बोकारो से चितरंजन साव, जमशेदपुर से विकास सिंह, गढ़वा से उपेंद्र यादव और खूंटी से शिवशंकर बड़ा सहित कई नामचीन नेता शामिल हैं। इन नेताओं पर आरोप है कि वे पार्टी की विचारधारा के खिलाफ जाकर अपने निजी हितों के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं, जो पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ है।
पार्टी में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश
झारखंड में इस बार चुनावी मुकाबला पहले से अधिक रोचक होने की संभावना है, जहां BJP के लिए पार्टी एकता बनाए रखना चुनौती बन गया है। पार्टी के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता अपनी जगह बनाने के लिए बगावत पर उतर आए हैं। इस तरह के कड़े फैसले को BJP ने अनुशासन के तौर पर प्रस्तुत किया है, जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी में आंतरिक असंतोष को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।