Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर पिछले बुधवार से गढ़वा से मजदुर आकर धरना दे रहे है। प्रदर्शन के दौरान मजदूरों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ, लाठीचार्ज किया गया, कई मजदुर घायल हुए, थाने में केस हुआ, बारिश झेल रहे है फिर भी अपनी मांग को लेकर डटे हुए है। इन सब घटनाओ के बावजूद इतने दिनों बाद आज मंगलवार को बीएसएल ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से अपनी बात रखी है।
लोग बोल रहे है कि बीएसएल का सम्बंधित विभाग अगर पहले चीज़ो को समझता-समझाता तो शायद मजदूरों को कष्ट झेलना नहीं पड़ता। हो सकता है धरना समाप्त हो जाता है। रोड खाली हो जाता। पर बीएसएल प्रबंधन का किसी भी मुद्दे को पहले नजरअंदाज करना और बाद में जब बात बढ़ जाये तो हैंडल करना पुरानी आदत है। इस मामले में भी इंडस्ट्रियल रिलेशन और पर्सनल विभाग शुरू से गंभीर नहीं था। मजदूरों ने बताया कि शुरआती दो-तीन दिनों तक बीएसएल से कोई भी वार्ता करने नहीं आया। लाठीचार्ज के बाद वार्ता का दौर शुरू हुआ।
BSL ने प्रेस रिलीज़ में यह है लिखा-
प्रशासनिक भवन-बोकारो इस्पात संयंत्र के मुख्य द्वार के समीप धरने के सन्दर्भ में यह बताना उचित है कि जिला खनन पदाधिकारी (खान एवं भूतत्व विभाग, झारखण्ड सरकार) के आदेश से भवनाथपुर अयस्क खदान दिनांक 16.02.2020 से बंद है. इसके बाद खदान में कार्यरत मज़दूरों को उचित मुआवज़े के भुगतान के लिए दिनांक 28.01.2022 को क्षेत्रीय श्रमायुक्त (पटना) के समक्ष मज़दूर संगठन के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ. उक्त समझौते के शर्तों के अनुरूप निर्धारित मुआवज़े का भुगतान बोकारो इस्पात संयंत्र के द्वारा किया जा चुका है.
इसके बाद मज़दूरों के मुवावजे से संबंधित एक नया औद्योगिक विवाद उठाया गया. इस औद्योगिक विवाद के सुलह के लिए भी अभी तक तीन बार क्षेत्रीय श्रमायुक्त (पटना) के समक्ष वार्ता हो चुकी है। इनके मांगों के विषय पर दिनांक 30.06.2023 को सहायक श्रमायुक्त (पटना) के यहां पुनः वार्ता निर्धारित की गयी है. दिनांक 24.06.2023 को इन लोगो के नेता और अन्य लोगों के साथ बोकारो इस्पात प्रबंधन की भी वार्ता हुई जिसमे इन सभी बिंदुओं की जानकारी दी गयी.