Bokaro: पिछले दिनों सहायक श्रमायुक्त प्रवीण कुमार एवं उनकी टीम आदि के द्वारा शहर के विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया था, इसमें सभी प्रतिष्ठानों में अपने कामगारो-श्रमिकों को कम मजदूरी दी जा रही थी।
चार प्रतिष्ठानों पर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई में कुल 84 लाख रू० कामगारों का बकाया अन्तर राशि का भुगतान नहीं किया गया है। श्रम विभाग द्वारा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर की जा रही इस तरह की कार्रवाई का चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने कड़ा विरोध किया है।
सभी श्रमिकों का बयान लेकर सभी प्रतिष्ठानों को श्रमायुक्त द्वारा नाटिस जारी किया गया था। परंतु कई प्रतिष्ठानों द्वारा अपने कामगारों का बकाया अन्तर राशि का भुगतान नहीं किया। जिस कारण शनिवार को चार प्रतिष्ठानों – बिहान फ्युल स्टेशन (पेट्रोल पंप), मेसर्स शि हॉस्पीटल, मेसर्स कोज़ स्वीट्स और सुमंगल मोटर्स (टीवीएस शोरूम) – पर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के अन्तर्गत श्रम न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया है।
इस संदर्भ में सहायक श्रमायुक्त बोकारो प्रवीण कुमार ने कहा कि सभी श्रमिकों को झारखण्ड सरकार के द्वारा देय न्यूनतम मजदूरी पाने का अधिकार है, यदि किसी नियोजक के द्वारा उल्लंघन किया जाता है तो श्रम विभाग श्रमिकों के अधिकार के लिए मुकदमा दायर करने हेतु बाध्य है।
चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज – संजय बैदश्रम विभाग द्वारा कई व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर केस दर्ज का मामला चेंबर के संज्ञान में आया है। चेंबर इसका विरोध करता है और श्रम विभाग से मांग करता है की यदि किसी प्रतिष्ठान के खिलाफ उन्हें लिखित शिकायत मिलती है, तो मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई करनी चाहिए अन्यथा विभाग एवं व्यवसायों के बीच गतिरोध पैदा होगा। कोई भी नियम कानून जनता की सुविधा के लिए बनता है न कि उन्हें परेशान करने के लिए।