Bokaro: बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (BPSCL) का फ्लाई ऐश पोंड अब बोकारो स्टील प्लांट (BSL) और आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है। यह फ्लाई ऐश पोंड पहले ही पूरी तरह भर चुका है, और अब उसका छाई युक्त काला पानी प्लांट से निकलकर कूलिंग पोंड तक पहुंच रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि बीएसएल प्लांट के संचालन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1xजल प्रदूषण और पर्यावरण को खतरा –
बताया जा रहा है कि फ्लाई ऐश का कूलिंग पोंड में गिरना जल प्रदूषण का कारण बन रहा है। बीएसएल (BSL) प्लांट के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि कूलिंग पोंड का पानी स्टील मेकिंग प्रोसेस में इस्तेमाल किया जाता है। यदि इस पानी में छाई मिलती रही तो उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और स्टील की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। इसके बावजूद, BPSCL प्रबंधन इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1xफ्लाई ऐश के प्रबंधन में विफल BPSCL
बोकारो पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड (BPSCL), जो सेल और डीवीसी की जॉइंट वेंचर कंपनी है, अपने फ्लाई ऐश को प्लांट के बाहर स्थित ऐश पोंड में डालता है, जो छह अलग-अलग कम्पार्टमेंट में विभाजित है। इन कम्पार्टमेंट्स से छाई उठाव कर बगल के माउंड में डालने की प्रक्रिया पिछले कई महीनों से ठप पड़ी है, जिससे वे पूरी तरह भर चुके हैं और अब उन पर बड़े-बड़े घास और झाड़ियां उग आई हैं। वार्षिक फ्लाई ऐश उत्पादन और उसके दुष्प्रभाव
BPSCL हर साल लगभग 5.5 से 6 लाख टन फ्लाई ऐश और बॉटम ऐश उत्पन्न करता है। इतनी भारी मात्रा में फ्लाई ऐश का सही तरीके से निपटान न करने की वजह से इसका दुष्प्रभाव आसपास के इलाकों पर पड़ रहा है। इस फ्लाई ऐश की धूल महुआर, चैताटाड़, चिताही, कंचनपुर, महेशपुर, पिपराटाड़, राउतडीह सहित सात गांवों तक फैल रही है, जिससे यहां के लोगों को सांस संबंधी व अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
फ्लाई ऐश पोंड के तटबंध टूटने की घटनाएं
राउतडीह गांव के एक निवासी ने बताया कि 2022 में दो बार फ्लाई ऐश पोंड का तटबंध टूटने से बगल में स्तिथ राउतडीह गांव में बाढ़ आ गई थी, जिससे लोगों को अपना घर छोड़ कर भागना पड़ा था। यह गांव BPSCL के ऐश पोंड से सटा हुआ है, इसलिए यह हमेशा खतरे में रहता है। हालांकि इस समय इन गांवों को उतनी परेशानी नहीं हो रही है जितनी बीएसएल प्लांट को, क्योंकि अब फ्लाई ऐश पोंड का प्रदूषित पानी बीएसएल का स्लज कम्पार्टमेंट होते हुए कूलिंग पोंड में गिर रहा है।
बीएसएल पर पड़ा असर
पहली बार ऐसा हुआ है कि छाई युक्त पानी जानबूझकर बीएसएल प्लांट की ओर मोड़ दिया गया है। कुछ लोगों का मानना है कि BPSCL ने अपनी समस्या बीएसएल के सिर पर डाल दी है ताकि बीएसएल भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले और इसे हल करने में BPSCL की मदद करे। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई
बता दें, इसके पूर्व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (JSPCB) ने BPSCL के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। अप्रैल और अक्टूबर 2022 में छह महीने के भीतर दो बार फ्लाई ऐश पोंड के तटबंध टूटने की घटनाओं के लिए कंपनी पर 71 लाख रुपये का पर्यावरण मुआवजा (Environmental Compensation) लगाया गया है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन
JSPCB के पूर्व सदस्य सचिव यतींद्र कुमार दास ने 2022 में बाढ़ की घटना के बाद प्रभावित राउतडीह गांव का निरीक्षण किया था। उन्होंने BPSCL को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25 और 26 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसमे बताया गया था कि BPSCL ने संचालन की सहमति (CTO) शर्तों का उल्लंघन किया है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x