Bokaro: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे अपने परिसर में ‘शुगर बोर्ड’ स्थापित करें। इसका उद्देश्य छात्रों को अधिक चीनी सेवन के स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति जागरूक करना है। यह कदम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग NCPCR की सिफारिश के बाद उठाया गया है, जिसने बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा और दांतों की समस्याओं की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताई है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताएं
CBSE की अधिसूचना में कहा गया है कि अत्यधिक चीनी का सेवन न सिर्फ डायबिटीज़ का खतरा बढ़ाता है, बल्कि यह मोटापा, दांतों की सड़न और अन्य चयापचय विकारों का कारण भी बनता है। इससे बच्चों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अध्ययनों के अनुसार, 4 से 10 वर्ष के बच्चों के दैनिक कैलोरी सेवन में 13% और 11 से 18 वर्ष के बच्चों में 15% हिस्सा चीनी से आता है, जबकि अनुशंसित सीमा 5% है।
स्कूलों में मिल रहे हैं मीठे जहर के स्रोत
यह कदम उस चिंताजनक प्रवृत्ति के जवाब में उठाया गया है, जिसमें बच्चों में तेजी से टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा और अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या स्कूलों और आसपास की दुकानों में मिलने वाले मीठे स्नैक्स, शीतल पेय और प्रोसेस्ड फूड्स से जुड़ी हुई है। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
CBSE ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे परिसर में सूचना वाले शुगर बोर्ड लगाएं, जिनमें यह जानकारी दी जाएगी:
- Recommended daily sugar intake
- Sugar content in commonly consumed foods and beverages
- Health risks of excessive sugar consumption
- Healthier alternatives to sugary products
- Conduct awareness seminars and workshops to educate students about mindful eating habits and the long-term benefits of reduced sugar intake