Bokaro: लोगो का मानना है कि बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) प्रबंधन अतिक्रमण हटाओ अभियान में ‘पिक एंड चूज’ वाला फार्मूला अपना रहा है। बीएसएल द्वारा फरवरी-मार्च में चलाये गए अतिक्रमण हटाओ अभियान में ठेले-खोमचे तोड़े गए, पर अवैध गुमटी-दुकानों को छोड़ दिया गया। सिटी सेंटर में प्लॉट के सामने दुकानों के लगे बोर्ड को अतिक्रमण बता JCB से तोड़ा गया।
पिछले हफ्ते सेक्टर 4 लक्ष्मी मार्किट में भी यही हुआ, चुनकर कुछ दुकानों को हटाया गया, बाकि अवैध दुकानों को छोड़ दिया गया। और अब, बीएसएल की टीम लक्ष्मी मार्केट में अतिक्रमण को अनदेखा कर, वहां स्तिथ प्लॉट के तरफ रुख कर ली है। सोमवार को बीएसएल की टीम फिर लक्ष्मी मार्केट पहुंची। वहां प्लॉट के गलियारों के सामने लगाए गए शेड हटाने का अल्टीमेटम प्लॉट होल्डर्स को दिया गया है।
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प्लाट के बाहर छाँव के लिए शीट लगाना अतिक्रमण ?
प्लाट होल्डर्स बेहद परेशान है। उनका कहना है कि बीएसएल को बिजली से लेकर कचरा फेंकने तक का बिल वह देते है। वह वैधानिक तरीके से रह रहे है। इसके बावजूद अपने प्लॉट के बरामदे में छाँव के लिए शीट लगाना या बाहर सड़क पर दूकान का बोर्ड लगाना बीएसएल को अतिक्रमण दिखता है। बाहर बिना खर्च के सैकड़ो अवैध दूकान चल रहा है। वह नहीं दिखता। इसबार हमलोग शांत बैठने वाले नहीं है। हर बार बली का बकरा हमलोग नहीं बनेंगे।
जान-पहचान वालो के अवैध दुकानों-गुमटियों को अधिकारी देते है छोड़
लोगो का कहना है कि एक स्ट्रेटेजी के तहत बीएसएल नगर प्रसाशन का संबंधित विभाग, पहले अवैध दुकानों को हटाने की घोषणा करता है, फिर चुन-चुन कर चंद खोमचे-ठेले या दुकानों को हटा कर अतिक्रमण हटाने का श्रेय ले लेता है। इस तरह बीएसएल के टॉप अधिकारी अतिक्रमण हटाओ अभियान को सफल समझते है, पर जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और होती है।
सड़क से 20 से 35 फ़ीट अवैध दुकानों को पीछे हटने का ‘मुखेर कानून’ ने अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है। लोगो के बीच में चर्चा है कि बीएसएल के अधिकारी अपने जान-पहचान वालो के अवैध दुकानों-गुमटियों को छोड़ देते है, बाकी पर कार्रवाई करते है।
बीएसएल के एक अधिकारी का कहना है कि आज वह लोग लक्ष्मी मार्केट का इंस्पेक्शन किये। कई प्लाट होल्डर्स अपने प्लॉट के बरामदे को कब्ज़ा किए हुए पाए गए। उनलोगो ने टेम्परोरी स्ट्रक्चर बना रखा था। उन्हें दो दिन का समय दिया गया है। वह हटा ले, नहीं तो अभियान के तहत बीएसएल उसे हटा देगी।