बोकारो में बुधवार की सुबह स्कूलों में सायरन गूंजते ही हर कोई सतर्क हो गया। छात्र अपनी सीटों के नीचे बैठ गए और अपने स्कूल बैग को सिर पर ढाल की तरह रख लिया। मॉक ड्रिल के तहत बच्चों को आपदा के समय शांत रहने, अनुशासन बनाए रखने और सुरक्षा के उपायों का अभ्यास कराया गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) जगरन्नाथ लोहरा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 847 स्कूलों को ब्लैकआउट के नियम समझाए—लाइटें बुझाएं, पर्दे लगाएं, गाड़ियाँ रोकें, इनवर्टर न चलाएं। See Video…
भारत-पाक तनाव के बीच सुरक्षा अभ्यास तेज
Bokaro: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र बोकारो जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में बुधवार को मॉक ड्रिल कराई गई। यह ड्रिल जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की देखरेख में की गई। सुबह स्कूलों में सायरन बजाकर छात्रों और शिक्षकों को सतर्क किया गया। इसके बाद आकस्मिक स्थिति में कैसे शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से बाहर निकलना है, इसकी जानकारी दी गई।
छात्रों को बताया गया ब्लैक आउट के दौरान क्या करें
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) जगर्नाथ लोहरा ने सभी स्कूल प्रबंधन से कहा कि वे छात्रों को ब्लैक आउट अवधि में आवश्यक सावधानियों की जानकारी दें। उन्होंने अपील की कि घरों की बत्तियाँ, स्ट्रीट और गार्डन लाइटें बंद रखी जाएं, खिड़कियों-दरवाजों पर पर्दा डाला जाए, इनवर्टर व जनरेटर का उपयोग न किया जाए, और वाहनों की हेडलाइट्स बंद रखी जाएं।
847 स्कूलों के प्रिंसिपल्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दिए निर्देश
ड्रिल से पहले DEO ने DPS, GGPS, Sree Ayyappa Public School, Pentecostal, Chinmaya Vidyalaya, MGM Higher Secondary समेत 847 स्कूलों के प्रिंसिपल्स से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की और विस्तृत दिशा-निर्देश दिए।
GGPS प्रिंसिपल ने कहा – जागरूकता जरूरी
GGPS सेक्टर 5 के प्रिंसिपल सोमेन चक्रवर्ती ने कहा, “यह अभ्यास एहतियातन किया जा रहा है ताकि छात्रों में डर नहीं, जागरूकता फैले और वे किसी भी आपात स्थिति में सही निर्णय ले सकें।” छात्रों को ब्लैक आउट के दौरान क्या करना है – जैसे घरों की बत्तियां, स्ट्रीट लाइट्स बंद करना, पर्दे डालना, इनवर्टर-जनरेटर का प्रयोग न करना – इसके बारे में बताया गया।
क्या होता है ब्लैक आउट?
जब किसी देश पर युद्ध या हवाई हमले का खतरा होता है, तो दुश्मन आमतौर पर जमीन की रोशनी को निशाना बनाता है। घरों की जलती बत्तियाँ, सड़क की लाइटें और वाहनों की हेडलाइट्स हमले के लिए लक्ष्य बन सकती हैं। ऐसे में ब्लैक आउट यानी पूरी तरह अंधेरा करना एक जरूरी एहतियाती कदम होता है।
ब्लैक आउट क्यों जरूरी है?
ब्लैक आउट के दौरान जब पूरी जमीन अंधेरे में डूब जाती है, तो हवाई क्षेत्र से दुश्मन के लिए किसी भी जगह को निशाना बनाना मुश्किल हो जाता है। इससे जान-माल की हानि की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए ब्लैक आउट युद्धकालीन सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है।