Bokaro: बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (BPSCL) का ऐश पौंड पूरी तरह भर चुका है, जिससे प्लांट से निकलने वाला फ्लाई ऐश युक्त पानी कूलिंग पौंड में जा रहा है। यह गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन गई है। बुधवार को जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के कूलिंग पौंड और बीपीएससीएल के ऐश पौंड का निरीक्षण किया। उन्होंने फ्लाई ऐश के अनुचित प्रबंधन पर नाराजगी जताई और इसे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बताया। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x स्थानीय ग्रामीणों पर दोष मढ़ रहा बीपीएससीएल
सरयू राय ने कहा कि बीपीएससीएल प्रबंधन अपनी नाकामी का ठीकरा स्थानीय ग्रामीणों पर फोड़ रहा है। कंपनी का दावा है कि स्थानीय लोग नौकरी की मांग को लेकर ऐश उठाव का काम बाधित कर रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ बहाना प्रतीत होता है। कंपनी के अधिकारियों ने इस गंभीर समस्या की अनदेखी की, जिसके कारण ऐश पौंड पूरी तरह भर गया है और अशुद्ध जल कूलिंग पौंड में मिल रहा है। यह पानी बीएसएल के स्लज कम्पार्टमेंट से होकर कूलिंग पौंड में गिरता है, जिससे प्रदूषण और अधिक बढ़ रहा है।बीएसएल प्रबंधन की उदासीनता
सरयू राय ने बीएसएल प्रबंधन पर भी सवाल उठाए और कहा कि कूलिंग पौंड का पानी प्रदूषित हो चुका है। हजारों स्थानीय लोग इस पानी का उपयोग अपनी दैनिक जरूरतों के लिए करते हैं। यह समस्या इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कूलिंग पौंड का पानी नाले के जरिए गरगा नदी और फिर दामोदर नदी में गिरता है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में शिकायत दर्ज कराएंगे। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
अधिकारियों से मुलाकात और संतोषजनक जवाब का अभाव
बोकारो में पत्रकारों से चर्चा के दौरान सरयू राय ने कहा कि बीपीएससीएल के अधिकारी उनसे मिले थे, लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि फ्लाई ऐश मिश्रित पानी कूलिंग पोंड में जा रहा है। बीपीएससीएल की टीम ने सीजीएम के नेतृत्व में बैठक के दौरान माना कि यह एक गंभीर समस्या है और स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार के दिशा-निर्देश और मिशन फ्लाई ऐश
सरयू राय, जो दामोदर बचाओ समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर फ्लाई ऐश निपटान को लेकर दिशा-निर्देश जारी करते हैं। मार्च 2024 के निर्देशों में पावर प्लांट मालिकों को फ्लाई ऐश के उचित निपटान की जिम्मेदारी दी गई थी। प्लांट को सार्वजनिक रूप से बताना होता है कि फ्लाई ऐश का उपयोग ईंट निर्माण, सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योग में किया जा रहा है या नहीं। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पावर प्लांट को अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी देनी होगी कि वे फ्लाई ऐश का उपयोग कैसे कर रहे हैं। 20% ऐश का उपयोग ईंट निर्माण में किया जाना चाहिए, जबकि सड़क निर्माण और अन्य निर्माण कार्यों में भी फ्लाई ऐश का इस्तेमाल अनिवार्य है। सीमेंट कंपनियां भी फ्लाई ऐश का उपयोग कर सकती हैं।
फ्लाई ऐश निपटान की निगरानी के लिए सरकार ने मिशन फ्लाई ऐश कमेटी बनाई है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्यक्ष करते हैं। इसमें विभिन्न विभागों के प्रमुख सदस्य होते हैं। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x