Bokaro: इस्पात क्षेत्र भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत पहले से ही विश्व में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक और उपभोक्ता है. 2030 तक भारत की शहरी आबादी में 120 मिलियन की वृद्धि होगी, इस तीव्र विकास को सपोर्ट करने के लिए महत्वपूर्ण नए बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता होगी, जिससे स्टील की मांग बढ़ेगी और ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन में भी वृद्धि होगी.
लौह एवं इस्पात उद्योग से ग्रीन हाउस गैस शमन को कम करने के लिए, सेल-बोकारो स्टील प्लांट (SAIL-BSL) ने मेसर्स एमएन दस्तूर (M/S M N Dastur) को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है. एमएन दस्तूर के विशेषज्ञों ने अधिशासी निदेशक(संकार्य) कॉन्फ्रेंस हॉल में इस विषय पर अपनी प्रस्तुति दी. सेल बोकारो स्टील प्लांट (SAIL-BSL) में सभी विभागों के प्रमुख सदस्यों के साथ एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है.
बैठक की अध्यक्षता अधिशासी निदेशक(संकार्य) बी के तिवारी ने की. बैठक के दौरान विभिन्न विभागों के सीजीएम सहित जीएम (पर्यावरण और स्थिरता) नवीन प्रकाश श्रीवास्तव उपस्थित थे.
क्या होती है ग्रीनहाउस गैसें?
ग्रीनहाउस गैसें जिन्हें जीएचजी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। यह गैसें तापमान में हो रही वृद्धि के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार होती हैं। यदि वातावरण में मौजूद 6 प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों को देखें तो उनमें कार्बनडाइऑक्साइड (सीओ 2), मीथेन (सीएच 4), नाइट्रस ऑक्साइड (एन 2ओ), हाइड्रोफ्लूरोकार्बन (एचएफसी), परफ्लूरोकार्बन (पीएफसी), सल्फर हेक्साफ्लोराइड (एसएफ 6) शामिल हैं। यह गैसें तापीय अवरक्त सीमा के भीतर के विकिरण को अवशोषित और करती हैं जो ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेवार होता है।
ग्रीनहाउस प्रभाव
पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित ग्रीनहाउस गैसों के कारण पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ताप के अवशोषण और वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि की घटना को ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं | वास्तव में ग्रीनहाउस प्रभाव की घटना के कारण ही पृथ्वी पर तापमान नियंत्रित रहता है और पौधों आदि को उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक ताप की प्राप्ति हो पाती है।
ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
औद्योगिकीकरण
नगरीकरण
उपभोक्तावादी संस्कृति
वाहनों में जीवाश्म ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुआँ
वनों का विनाश