Bokaro Steel Plant (SAIL)

2030 तक 300 टन स्टील भी बनाना है और ग्रीन हाउस गैस भी घटाना है, स्टील मेकर्स के सामने है दोहरी चुनौती


Bokaro: भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास में इस्पात क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान हैभारत पहले से ही स्टील का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है. 2030 तक भारत की शहरी आबादी में 120 मिलियन की वृद्धि होगीइस तीव्र विकास को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण नए बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता होगीजिससे स्टील की मांग बढ़ेगी और ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन भी बढ़ेगा.

लौह और इस्पात उद्योग से ग्रीन हाउस गैस शमन से निपटने के इस प्रासंगिक मुद्दे को को लेकर इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की बोकारो शाखा द्वारा “लौह और इस्पात क्षेत्र में जीएचजी शमन” पर वर्चुअल मोड में एक वेबिनार का आयोजन किया गया.

वेबिनार में तीन प्रख्यात वक्ताओं गोकुल पांडियन निदेशक (ई एंड वाई), सौरव चटर्जीबिजनेस यूनिट लीडर – एम एन दस्तूर और अविनाव प्रसादनिदेशक (डेलॉयट) ने स्टील क्षेत्र को अधिक कुशलचुस्त और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के तरीके और साधनों पर अपने विचार व्यक्त किये.

आईईआई बोकारो शाखा  के अध्यक्ष एनपी श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण दिया. वेबिनार में देश के प्रमुख उद्योगोंशिक्षाविदों और आईईआई सदस्यों सहित 100 से अधिक प्रतिभागी भाग लिए.


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