Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

BSL के ईडी और सीजीएम के खिलाफ Bokaro कोर्ट में मामला दर्ज़


Bokaro: दो महीने पूर्व कोक ओवन में हुई ठेका श्रमिक की मौत के मामले में बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) वर्क्स और चीफ जनरल मैनेजर (CGM) के खिलाफ बोकारो कोर्ट में मामला दर्ज़ कराया गया है। उक्त मामले में बीएसएल (BSL) प्रबंधन ने ठेका श्रमिक के मौत का कारण हार्ट अटैक बताकर नियोजन नहीं दिया था, पर जाँच के दौरान राज्य सरकार के कारखाना निरीक्षक ने पाया की उसकी मौत सामान्य नहीं थी।

बताया जा रहा है कि बोकारो इस्पात संयत्र (BSL) के कोक ओवन बैटरी संख्या 2 में बीते साल 15 अक्टूबर को हुए ठेका मजदुर नन्द कुमार (47) की मौत दुर्घटना में हो गई थी। दुर्घटना के बाद मृत्यु के कारणों के जाँच उपरांत बोकारो अंचल के कारखाना निरीक्षक, धीरेन्द्र सिंह मुंडा के द्वारा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में बोकारो इस्पात संयत्र (BSL) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) वर्क्स और चीफ जनरल मैनेजर (CGM) कोक ओवन & बाई प्रोडक्ट प्लांट) के खिलाफ आवेदन दायर किया गया है।

मौत का कारण कारखाना निरीक्षक ने यह पाया-
घटना को लेकर किये गए अनुसन्धान के क्रम में कारखाना निरीक्षक (Factory Inspector) ने काफी कुछ पाया है। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट में आवेदन दिया। बताया जा रहा है कि कारखाना निरीक्षक ने पाया कि मृतक का नियमाकुल स्वास्थ जाँच जो हर एक साल में करवाना अनिवार्य था वह नहीं हुआ था। बीएसएल प्रबंधन ने नन्द कुमार कि मृत्यु को एक्सीडेंट न मानते हुए हार्ट अटैक कारण मान रहा था। पर बिना नियमित स्वास्थ जाँच के और मेडिकल हिस्ट्री के यह स्थापित कर पाना की वह हृदय रोगी था और हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई यह संभव नहीं था।

बताया जा रहा है कि कारखाना निरीक्षक ने अनुसन्धान के क्रम में यह पाया कि मृतक नन्द कुमार जिस जगह काम कर रहा था वहां तापमान अधिक था जिस कारण वह बेहाश होकर गिर गया। जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। कारखाना निरीक्षक ने Section 41 C of The Factories Act, 1948 और Jharkhand Factory Rules 1950 के 62 NH में कोर्ट में मामला दर्ज़ करवाया है।

ऐसे हुई थी नन्द कुमार की मौत –

मृतक नन्द कुमार मैसर्स फास्बेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ठेका श्रमिक थे। घटना के दिन कोक ओवन बैट्री नंबर 2 में बी शिफ्ट में कार्य के दौरान रात्रि लगभग 9:45 में अस्वस्थता के कारण अचानक अचेत हो गए थे। वे ओवन टाॅप पर ही गिर पड़े। गिरने के बाद सहकर्मी साथियो के द्वारा प्लांट मेडिकल ले जाया गया, वहाँ चिकित्सको ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हे बोकारो जेनरल अस्पताल रेफर कर दिया। वहां ईलाज के क्रम मे उनका देहांत हो गया। प्रबंधन दुर्घटना को हार्ट अटैक बताकर नियोजन देने पर आना कानी कर रही है।

एचएमएस ने इस मामले में किया था प्रदर्शन- 

इस मामले को क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (एच.एम.एस) के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने जबरदस्त ढंग से उठाया है। राजेंद्र सिंह घटनास्थल पर भी पहुंचे थे। 16 अक्टूबर को कोक ओवन में जमकर हंगामा हुआ था। नन्द कुमार की मौत के बाद गुस्साए कर्मचारी लगभग दो घंटे तक काम से दूर रहे। स्तिथि को नियंत्रण में रखने के लिए भारी तादाद में सीआईएसएफ जवान मौके पर तैनात किये गए थे। बीएसएल संयंत्र को प्रोडक्शन लॉस भी हुआ था। उनकी मांग मृतक के आश्रित को ऑफर देना है।

बाद में राजेंद्र सिंह ने डीसी सहित लेबर डिपार्टमेंट, SAIL कोर्पोट ऑफिस आदि कई जगह इस मामले को बताते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। राजेंद्र सिंह ने कहा कि नन्द कुमार कि मौत हार्ट अटैक से हुई ही नहीं थी। बीएसएल प्रबंधन ने गलत बताया है। वह ठेका कर्मी के हक़ कि लड़ाई लड़ते रहेंगे। राजेंद्र सिंह ने कहा कि इन्ही ठेका मजदूरो की बदौलत आज बोकारो इस्पात संयंत्र रिकॉर्ड उत्पादन कर रहा है। मगर जब उनकी कार्य करते हुए मृत्यु हो जाती है तो सन् 47 का नियम लेकर प्रबंधन खड़ी हो जाती है, जो सरासर अन्याय है। हम ऐसे नियमो को नही मानते है।

इस मामले में BSL ने दिया था मेडिकल रिपोर्ट का हवाला- 

BGH

बीएसएल प्रबंधन ने मेडिकल रिपोर्ट में मौत का कारण ‘cardiac respiratory failure’ पाते हुए नियोजन देने को रजामंद नहीं है। नियमों का हवाला देते हुए बीएसएल प्रबंधन कह रहा है कि नन्द कुमार की मौत “death due to accident while on duty” नहीं है, इसलिए नियोजन नहीं दिया जा सकता।

प्रबंधन के अनुसार मृतक को घटना के बाद तुरंत पहले प्लांट मेडिकल सेंटर ले जाया गया जहां से उसे बीजीएच रेफर कर दिया गया। जहा अगले दिन सुबह लगभग 1:15 बजे उनका अस्पताल में निधन हो गया। उस वक़्त नंद कुमार का ब्लड शुगर लेवल काफी हाई पाया गया था। बीएसएल प्रबंधन नंद कुमार के असामयिक निधन पर उनके परिवार जनों के प्रति संवेदना प्रकट करती है।

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