Bokaro: छठ महापर्व के दूसरे दिन संध्या में खरना से व्रतियों ने निर्जला व्रत आरंभ किया। अब सोमवार को सुबह सूर्य को प्रातः काल का अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जायेगा।
19 नवंबर को पहला अर्घ्य है, जब छठव्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पण करेंगे। 20 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिनों के इस महापर्व का समापन होगा।
शनिवार सुबह से ही खरना के लिए व्रतियों ने तैयारी शुरू कर दी थी। बर्तनों को मांज धोकर तथा घर आंगन की जमीन को गाय के गोबर से पवित्र किया। फिर शाम को आम की लकड़ी में प्रसाद बनाया। संध्या के सूर्य देव को भोग लगा कर उस प्रसाद को ग्रहण (खरना) किया।
क्या होता है खरना ?छठ पूजा में दूसरे दिन को “खरना” के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। खरना का मतलब होता है, शुद्धिकरण। खरना के दिन शाम होने पर गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर व्रती महिलाएं पूजा करने के बाद अपने दिन भर का उपवास खोलती हैं। फिर इस प्रसाद को सभी में बाँट दिया जाता है।
इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। इसके अगले दिन यानी शाम के समय डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। उसके बाद अगले दिन अंतिम अर्घ्य देने के बाद ही पानी पीना होता है।