राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस – विशेष रिपोर्ट
Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अब अपने कैंटीनों से निकलने वाले सब्जियों, चायपत्ती आदि के कचरे का इस्तेमाल कुकिंग गैस बनाने के लिए कर रहा है। एक महीने पहले तक, बीएसएल प्लांट के कैंटीनो में बचे हुए खाद्य पदार्थो के कचरे बदबूदार ढेर के अलावा कुछ भी नहीं थे जिसे बड़े कूड़ेदानों में डाल फेंक दिया जाता था। पर अब इन बचे हुए पदार्थों का उपयोग बायोगैस के उत्पादन के लिए किया जा रहा है।
बीएसएल ने 32 लाख खर्च कर बायोगैस का प्लांट ईडी वर्कस बिल्डिंग के निकट लगाया है। यहाँ से उत्पादित बायोगैस को पाइप के माध्यम से ईडी वर्क्स बिल्डिंग में अवस्थित कैंटीन में ले जाया गया है जहाँ इसी बायोगैस का इस्तेमाल कर खाना बन रहा है। इसके लिए बीएसएल के पर्यावरण नियंत्रण विभाग (ईसीडी) ने पुणे की एक अपशिष्ट प्रबंधन कंपनी के साथ भागीदारी की है। इस प्राइवेट कंपनी ने एक डाइजेस्टर लगाया है जो जैविक कचरे को बायोगैस में बदल देती है।
इस परियोजना को धरातल पर उतारने में निदेशक प्रभारी, अमरेंदु प्रकाश, ईडी (वर्क्स) अतनु भौमिक, ईसीडी के प्रमुख, नवीन प्रकाश श्रीवास्तव और एजीएम, नितेश रंजन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। बीएसएल के संचार प्रमुख मणिकांत धान ने कहा कि कैंटीन कचरे के सदुपयोग और ऊर्जा संरक्षण की दिशा में यह बीएसएल का एक अनूठा प्रयास है । इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्लांट के अंदर बायोगैस जनरेटर स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि बीएसएल में 14 दिसम्बर से 20 दिसम्बर तक ऊर्जा संरक्षण सप्ताह भी मनाया जा रहा है।
धान ने बताया कि बीएसएल ने पुणे स्थित कंपनी Xeon Waste Managers (XWM) Private Limited से करीब 32 लाख रुपये में बायोगैस परियोजना के संचालन और स्थापना के लिए दो साल का अनुबंध किया है। बीएसएल प्लांट की कैंटीन से रोजाना करीब 700 से 1000 किलोग्राम कचरा निकलता है।
कंपनी के अध्यक्ष जलज कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि बीएसएल के बायोगैस प्लांट की क्षमता 500 किलोग्राम प्रति दिन है। रोजाना 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस का उत्पादन करती है, जो एलपीजी के दो सिलेंडर के बराबर है। उनकी कंपनी ने प्लांट के अंदर चार बड़ी कैंटीन और 12 छोटी कैंटीन से जैविक कचरा इकट्ठा करने के लिए दो लोगों को तैनात किया है।
चतुर्वेदी के अनुसार, बेहतर बायोगैस उत्पादन के लिए गुणवत्तापूर्ण खाद्य अपशिष्ट की आवश्यकता होती है। संयत्र के अंदर जागरूकता का प्रयास किया गया है ताकि कैंटीन संचालक और कर्मचारी जैविक कचरे को अलग कूड़ेदान में फेंके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम कैंटीन से लगभग 400 किलो जैविक कचरा एकत्र कर रहे हैं, जिससे हमें डेढ़ एलपीजी सिलेंडर क्षमता बराबर बायोगैस का उत्पादन हो रहा है। बायोगैस से ऐसे बनता है बीएसएल कैंटीन में खाना:
BSL Plant के अंदर ऐसे काम करता है बायोगैस प्लांट: