Bokaro: शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर रोशन करने वाले यहां के विद्यार्थियों ने एक बार फिर इस शहर को गौरवान्वित किया है। डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के छात्र रूपेश कुमार और होली क्रॉस स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा श्रेयसी नागपुर में आयोजित 108वें ‘सेशन ऑफ इंडियन साइंस कांग्रेस’ में शामिल होंगे।
इस कांग्रेस के तहत आरटीएम नागपुर यूनिवर्सिटी में 4 जनवरी से शुरू हो रहे तीन-दिवसीय राष्ट्रीय किशोर वैज्ञानिक सम्मेलन में ये दोनों विद्यार्थी पूरे झारखंड का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करेंगे। शोध और विज्ञान के सामंजस्य से तैयार अपने प्रोजेक्ट के जरिए वे अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा की चमक देश-विदेश के 500 से अधिक वैज्ञानिकों के बीच बिखेरेंगे।
साइंस फॉर सोसाइटी (एसएफएस), झारखंड की ओर से भेजी जा रहीं दोनों ही टीमें अपने गाइड टीचर के साथ सोमवार को नागपुर के लिए रवाना हो गईं। रवानगी से पूर्व डीपीएस बोकारो में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के प्राचार्य सह राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजनाध्यक्ष ए. एस. गंगवार ने रूपेश और श्रेयसी को अपनी शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में बोकारो से दोनों ही बच्चों की भागीदारी अपने-आप में गर्व की बात है। उन्होंने इसे प्रतिभागी बच्चों के लिए अपने हुनर दिखाने तथा नए अनुभव व ज्ञानार्जन की दिशा में एक सुनहरा अवसर बताया। इस अवसर पर उपस्थित साइंस फॉर सोसाइटी के स्टेट एकेडमिक को-आर्डिनेटर राजेन्द्र कुमार ने कहा कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस 100 वर्षों से भी अधिक की यात्रा पार कर चुकी है। इसकी 108वीं कड़ी में बोकारो से दो-दो बच्चों का चयन काफी मायने रखता है।
कुमार के अलावा एसएफएस की ओर से झारखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अली इमाम खान एवं राज्य समन्वयक डीएनएस आनंद ने भी नागपुर जा रही टीमों को अपनी शुभकामनाएं दीं। मौके पर रूपेश के गाइड टीचर ओबैदुल्लाह अंसारी, श्रेयसी की गाइड टीचर पी. ज्योतिर्मय एवं एसएफएस से रिसोर्स पर्सन एसके राय भी मौजूद रहे। दोनों टीमें 8 जनवरी की सुबह वापस बोकारो लौटेंगी।
रूपेश ने की है नहीं सुन-बोल पाने वालों के लिए इशारों की भाषा को आवाज देने की कंप्यूटर कोडिंग
डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के मेधावी छात्र रूपेश कुमार ने नहीं सुन-बोल पाने वाले लोगों की मदद के लिए खास तकनीक पर काम किया है। गूंगे-बहरों के इशारों को आवाज में तब्दील करने का खास सॉफ्टवेयर उसने कंप्यूटर कोडिंग की मदद से तैयार किया है। इस काम में उसे लगभग तीन महीने का समय लग गया।
बोकारो के आशालता दिव्यांग विकास केंद्र में रह रहे दिव्यांगों की परेशानी देख उसे यह आइडिया सूझा था। उसका यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए भी चयनित किया जा चुका है। बीएसएलकर्मी रविशंकर कुमार एवं बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी के होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि रही है। वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है।
श्रेयसी ने प्राकृतिक चीजों से ढूंढ निकाला मवेशियों में लंपी बीमारी का अचूक इलाज
होलीक्रॉस स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा श्रेयसी ने दुधारू मवेशियों में वायरल इंफेक्शन की वजह से होने वाली ‘लंपी’ बीमारी के इलाज का प्राकृतिक तरीका खोज निकाला है। लगभग 20 दिनों के अपने शोध के उपरांत उसने पान पत्ता, काली मिर्च, गुड़, नमक व अन्य प्राकृतिक चीजों के मिश्रण से इस बीमारी का अचूक इलाज ढूंढा है।
श्रेयसी ने बताया कि उसने इसका सफल परीक्षण भी किया और 15 दिनों के भीतर बीमारी से ग्रसित मवेशी को इससे निजात मिल गई। उसने बताया कि इस बीमारी की चपेट में आने से मवेशियों की परेशानी ने उसे उन्हें कष्ट से मुक्ति दिलाने की प्रेरणा दी। रेलकर्मी रतन कुमार सिंह एवं गृहिणी स्वर्णलता कुमारी की सुपुत्री श्रेयसी आगे चलकर मवेशियों के लिए ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के तहत फार्मेसी का अपना स्टार्टअप विकसित करना चाहती है।