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राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में अद्वितीय विज्ञान विषयों पर छात्रों की प्रदर्शनी


Bokaro: साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड की ओर से डीपीएस बोकारो (DPS Bokaro) में आयोजित तीन-दिवसीय राज्यस्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस शनिवार को उल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हो गया।

राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में लगातार तीन दिनों तक विद्यालय परिसर विज्ञान और नवाचार के अनूठे प्रयोगों और संग्रह से लबरेज रहा। इसके जरिए विद्यार्थियों ने अपनी वैज्ञानिक व शोधपरक प्रतिभा का खुलकर प्रदर्शन किया और सभी की सराहना बटोरी।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि जिले के उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों की वैज्ञानिक रचनाधर्मिता को सराहा तथा और बेहतरी के साथ देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने की दिशा में इस तरह के आयोजन और इसमें डीपीएस बोकारो की भूमिका को सराहनीय बताया।

इसके पूर्व, प्रकृति बंधन के साथ बच्चों ने डीसी का स्वागत किया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मनीषा शर्मा ने स्वागत भाषण दिया और छात्राओं ने स्वागत गीत व नृत्य प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौके पर साइंस फॉर सोसाइटी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अली इमाम खान ने विज्ञान और सृजन के संबंधों पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों के शोध-आधारित प्रोजेक्ट की सराहना की।

इस क्रम में निर्णायक मंडल व आयोजन समिति के सभी पदाधिकारियों व सदस्यों को सम्मानित भी किया गया। वहीं, प्रातःकालीन सत्र में मुख्य अतिथि बोकारो स्टील प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक (यातायात) अनिमेष कुमार झा ने प्रोजेक्ट की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने विज्ञान को मानवता के लिए एक उपहार बताते हुए पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित बनाए रखने का संदेश दिया।

उन्होंने डीपीएस बोकारो को जहां उत्कृष्टता का पर्याय बताया, वहीं इस तरह के आयोजन के लिए साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड के कार्यों की सराहना भी की। इस अवसर पर विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों के बीच प्रमाण-पत्र वितरित किया गया। उद्घाटन समारोह में स्वागत भाषण उपप्राचार्य अंजनी भूषण तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन सोसाइटी के स्टेट एकेडमिक को-आर्डिनेटर राजेंद्र कुमार ने किया।

इस अवसर पर सोसाइटी प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एमपी नायक व जिला समन्वयक अरुण कुमार सहित आरके कर्ण, पीके झा, एसपी सिंह आदि, विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागी, बच्चे उनके शिक्षक तथा निर्णायक मंडल के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद उपस्थित थे।

राष्ट्र स्तर के लिए चयनित 18 में से 10 विद्यार्थी बोकारो के-


इस अवसर पर राष्ट्रस्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस को लेकर 18 प्रतिभागियों को चयनित किया गया। वे आगामी 14-15 फरवरी को डीपीएस बोकारो में होनेवाली कार्यशाला में शामिल होंगे और उनमें से 12 अंतिम रूप से राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए चुने जाएंगे। ग्रामीण जूनियर ग्रुप में बोकारो से शताक्षी व पायल महथा, पश्चिम सिंहभूम की मलिन सिंकू, दुमका की जूही प्रिया मुर्मू, ग्रामीण सीनियर में बोकारो से डॉली कुमारी व तरन्नुम गुलनाज, रांची की सूरी रानी, धनबाद के ओंकार वर्मा, जामताड़ा की अरिप्ता साहा, शहरी जूनियर ग्रुप में बोकारो से रिद्धि शर्मा व सक्षम झा, पश्चिम सिंहभूम के सौरभ लोहरा, देवघर से अभिज्ञान तथा सीनियर शहरी ग्रुप में बोकारो से अभिनीत शरण, अर्पण कुमार, रंजन भारती और मुकुंद कुमार तथा गिरिडीह से रौशन राज चयनित किए गए।

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सामाजिक समस्याओं के निदान पर बच्चों ने बनाए प्रोजेक्ट
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अभिनीत शरण, कक्षा- 10 डीपीएस बोकारो
शोध- गूंगे-बहरों के लिए गेस्चर टू स्पीच तकनीक
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डीपीएस बोकारो के छात्र अभिनीत शरण ने गूंगे बहरों के लिए एक खास सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप विकसित किया है। इसकी मदद से उनके द्वारा इशारों में बताए जाने वाली बातचीत को विभिन्न भाषाओं में आवाज के तौर पर सुना जा सकता है। कंप्यूटर कोडिंग की मदद से सॉफ्टवेयर इशारों का ग्राफिकल एनालिसिस कर उसे स्पीच में कन्वर्ट करता है।
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प्रिंस कुमार, कक्षा- 9 (धनबाद)
शोध – खजूर पेड़ से बायोडीजल
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धनबाद से आए कक्षा नौवीं के छात्र प्रिंस कुमार ने खजूर के पेड़ से बायोडीजल के साथ-साथ नेचुरल क्रूड ऑयल, वाइन और ग्लिसरीन तैयार करने पर शोध किया है। उसने बताया कि खजूर के सूखे पेड़ से सिल्क जैसा धागा भी तैयार किया जा सकता है। वहीं, खजूर के खाद्य व पेय उत्पाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर हैं। खजूर के पेड़ से तैयार बायोडीजल जहां मामूली पेट्रोल मिश्रित करने से वाहन में ईंधन के रूप में प्रयुक्त हो सकता है, वहीं नेचुरल क्रूड ऑयल का प्रयोग खाना बनाने में भी किया जा सकता है।
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गुनगुन, कक्षा- 11, बोकारो
शोध- मछली के कचरे से बायोगैस
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इस छात्रा ने मछली के उपभोग के बाद निकलने वाले कचरे और जलीय पौधे के आनुपातिक मिश्रण से बायोगैस निर्मित करने की तकनीक का इजाद किया है। उसने बताया कि इस बायोगैस का इस्तेमाल खाना पकाने में किया जा सकता है और जितने में एक एलपीजी सिलेंडर आता है उसकी आधी से भी कम लागत में उतनी ही बायोगैस तैयार की जा सकती है।
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सक्षम झा, कक्षा- 8, बोकारो
शोध – ग्रामीणों के लिए एक सॉफ्टवेयर में अनेक सुविधाएं
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इस विद्यार्थी ने ग्रामीण परिवेश में तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को विभिन्न प्रकार की सरकारी सुविधाएं एवं आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिए एक खास सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप विकसित किया है। इसमें पशुपालन, एंबुलेंस, पुलिस सहायता, खाद-बीज, आधार-बैंकिंग एवं अन्य सुविधाओं के लिए अलग-अलग सेक्शन बनाए गए हैं। इन पर क्लिक करते ही संबंधित पदाधिकारी अथवा कर्मचारी से उनका संपर्क स्थापित हो सकता है।


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