Bokaro: रविवार को जिले भर में दुर्गा पूजा का समापन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ हुआ। विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाओं को परंपरागत तरीके से जलाशयों में विसर्जित किया गया। इस दौरान पुलिसकर्मी प्रमुख पंडालों पर तैनात रहे और पूरे कार्यक्रम के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिला प्रशासन द्वारा किए गए कड़े सुरक्षा इंतजामों ने त्योहार के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित किया। पुलिस अधिकारियों की निगरानी में भक्तों ने पूरे उत्साह के साथ विसर्जन कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
सिंदूर खेला की परंपरा ने बढ़ाई उत्सव की चमक
दुर्गा पूजा के इस समापन के दौरान ‘सिंदूर खेला’ की परंपरा ने खासा ध्यान आकर्षित किया। बड़ी संख्या में महिलाएं पंडालों में जुटीं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर इस रस्म का आनंद लिया। इस परंपरा ने पूजा उत्सव में नए जोश का संचार किया। पूजा पंडाल में एक महिला भक्त रूबी कुमारी ने कहा, “हम हर साल इस दिन का इंतजार करते हैं। माँ की पूजा के बाद हम पूरे उत्साह से सिंदूर खेला मनाते हैं। यह हमारी श्रद्धा और खुशी का प्रतीक है।”
भोग प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़
जिले भर के पंडालों में भोग प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भक्तों को अपनी ओर खींचा। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर उम्र के लोगों ने इन आयोजनों में हिस्सा लिया। पूजा पंडालों में संगीत, नृत्य और मिठाइयों ने वातावरण को जीवंत बना दिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दुर्गा पूजा के इस महान उत्सव को और भी रंगीन बना दिया।
सुरक्षा व्यवस्था और जिला प्रशासन की तत्परता
बोकारो जिले में दुर्गा पूजा के दौरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। जिला उपायुक्त जाधव विजया नारायण राव के नेतृत्व में प्रशासन ने प्रमुख स्थानों और पूजा स्थलों पर सख्त सुरक्षा व्यवस्था लागू की थी। “हमने सभी पूजा स्थलों और प्रमुख मार्गों पर व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए थे ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो,” उपायुक्त ने कहा। पुलिसकर्मियों की सतर्कता से पूरे उत्सव का समापन शांतिपूर्ण रहा।
भव्य विसर्जन यात्रा के साथ विदा हुई माँ दुर्गा
जिले में इस वर्ष 330 से अधिक पंडाल स्थापित किए गए थे, जिनमें सेक्टर 9, सेक्टर 4, सेक्टर 2, सेक्टर 8, सेक्टर 12 और सिटी सेंटर के पंडाल प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहे। सेक्टर 2 और सेक्टर 9 में लगे मेलों ने भी लोगों को खूब आकर्षित किया। उत्सव का समापन एक भव्य ‘विसर्जन’ यात्रा के साथ हुआ, जिसमें भक्तजन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर ले गए और फिर जलाशयों में उनका विसर्जन किया।