Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) में काम करने वाले हज़ारो कर्मचारी पहले ही वेज रिविज़न अमल न होने को लेकर रोष में है, और अब प्लांट में कार्यरत जूनियर ऑफिसर भी आंदोलन के मूड में आ गए है. नए एग्जीक्यूटिव डायरेक्टरो (ED) के जॉइन करने के कुछ दिन बाद ही प्लांट के अंदर की फ़िज़ा बदल गई है. मामला धीरे-धीरे गर्म हो रहा है.
दो दिन पहले वेज रिविज़न को लेकर क्रन्तिकारी मजदुर संघ (HMS) और NJCS सदस्य, राजेंद्र सिंह सैकड़ो कर्मियों के साथ गांधी चौक पर प्रदर्शन कर सेल-बीएसएल प्रबंधन को चेतावनी दिए थे. आज जूनियर इंजीनियरो ने पे रिविज़न की मांग को लेकर गांधी चौक पर सत्याग्रह करने की घोषणा कर दी. इसमें बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन (BSOA) ने खुल कर अपना समर्थन दिया है.
कोयले के दाम का बढ़ना, मार्केट में लोहे के मूल्य में गिरावट और इधर स्टील बनाने वाले मजदूरों में बढ़ता रोष कुल मिलकर बीएसएल प्रबंधन के लिए यह समय चुनौतीयो से भरा है. सबसे बड़ी बात यह भी है कि अधिकारियों का यूनियन – BSOA – भी जूनियर ऑफिसरो की लड़ाई में कूद पड़ा है. BSOA प्रेजिडेंट ने रविवार शाम को मीटिंग कर इसकी घोषणा कर दी.
बता दें, बीएसएल प्लांट में करीब 250 जूनियर ऑफिसर है. BSOA की आज हुई बैठक में उपस्थित जूनियर इंजीनियरो ने इस बात पर क्षोभ और निराशा जताया कि सेल प्रबंधन ने उनके 01.01.2007 के पे रिवीजन पर कई बार मौखिक और लिखित आश्वासन देने के बाद बिल्कुल मौन साध लिया है.
उन्होंने www.currentbokaro.com के सवांददाता को अपने मुद्दे को विस्तार से बताते हुए कहा कि:
01.01.2007 में SAIL में दो तरह का Pay/Wage Revision हुआ
1. Executive का 10 वर्ष का
2. Non executive का 5-5 वर्ष का दो रिवीजन।
31.12.2006 या उससे पहले जो भी कंपनी के रोल पर थे और उसके बाद भी रहे सभी को 01.01.2007 से या तो 10 वर्ष का रिवीजन मिला या पांच 5 वर्ष का दो रिवीजन मिला। JO 2008-10 बैच के अधिकारी भी इस लाभ के हकदार थे किन्तु उन्हें दोनो में से कोई लाभ नहीं मिला. हमलोगो को दोनो मे से कोई एक लाभ हमे भी दिया जाय.
जूनियर इंजीनियरो ने बताया कि-
लगातार 10 वर्षों तक शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने वाले JO प्रबंधन के ढुलमुल रवैये से आहत और हताश हैं। उनका मानना है कि SAIL के इतिहास का यह सबसे बड़ा अन्याय है। अगर यह स्थिति किसी कर्मचारी के साथ हुआ होता तो उग्र आंदोलन हो गया होता और समाधान भी। किन्तु हमारे शांतिपूर्ण भाषा को समझने को मैनेजमेंट तैयार नहीं है.
बैठक में निर्णय लिया गया हम शांति का पथ नहीं छोड़ेंगे। मैनेजमेंट को एक माह का समय दिया जायगा। अगर 28 जुलाई तक हमारे पे रिवीजन के मामले का निपटारा नहीं हुआ तो 29 जुलाई से हम गाँधी चौक पर गाँधी जी के ही शस्त्र सत्याग्रह पर बैठ जायेंगे। एक माह की अवधि में मैनेजमेंट को भी समय मिल जाएगा हमें आंदोलन न करने का कोई कारण बताने का (अगर कोई कारण हो)।
BSOA प्रेजिडेंट ए के ने कहा कि-
हम BSOA के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से गांधी चौक पर सत्याग्रह पर बैठेंगे। सत्याग्रह 24 घंटे के हिसाब से मामले के समाधान तक या हमारे मौत तक चलेगा क्योंकि यह मुद्दा हमारे लिए आर्थिक कम और हमारे मान सम्मान का ज्यादा बन गया है। अभी भी हम एक माह का नोटिस देना चाहते हैं ताकि आंदोलन में गए बगैर समाधान की कोई संभावना नजर आए तो हम अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर पाए।
आन्दोलन में सेवानिवृत्त JOs भी बराबरी का हिस्सा लेंगे-
अनुनय विनय और संवाद यही दो रास्ते हैं समाधान के। अनुनय विनय का तो हमने पराकाष्ठा कर दिया पिछले 10 वर्षों मे। रही बात संवाद की तो यह पहल प्रबंधन को करनी थी जिसकी शुरुआत भी उसने अभी तक नहीं किया।
बैठक में ए के सिंह, मनोज कुमार, ए के चौबे के अलावा सैकड़ो की संख्या में कार्यरत एवं सेवानिवृत जूनियर इंजीनियर शामिल थे।
Thanks for raising the most genuine concern of the JOS
This is genuinely a fight for justice. I’m also one of the sufferers and got too less as my retirement benefits. The case should be taken into under immediate consideration. The management should be prompt in taking justified decision in favour of 2008-10 JOs.
People who are alive can fight for themselves and hope that someday some decision would come up in their favour, who will fight for those who lost their precious life for SAIL during COVID..have we forgotten that..Can all alive workers guarantee that any such situation will never arise again and if next will be you, who will fight for your family and give you justice, if you are not interested in justice now.