Bokaro: राज्य सरकार द्वारा बोकारो और धनबाद में भोजपुरी-मगही भाषा को स्थानीय भाषा के सूचि से हटा दिया गया है। मूलवासी और स्थानीय लोग इससे काफी खुश है, अपनी जीत महसूस कर रहे है और जोरदार तरीके से इस निर्णय का स्वागत कर रहे है। वही दूसरी तरफ उर्दू के जोड़े जाने से आम लोगो के बीच कई सवाल भी उठ रहे है।
इसी क्रम में विरोधी दल भाजपा के मुख्य सचेतक-सह-बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने चुप्पी तोड़ते हुए सरकार से यह मांग की है कि उर्दू को तत्काल सूचि से हटाया जाये क्युकी यह क्षेत्रीय भाषा नहीं है।
विधायक ने कहा की पूरे भाषा विवाद की पटकथा झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लिखी थी। क्युकी राज्य के अधिकतर मुसलमान कांग्रेस को वोट देते हैं, मुसलमानों का वोट झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिले इसके लिए वर्तमान सरकार ने पूरा भाषा विवाद कराया। झामुमो ने ही स्वयं नोटिफिकेशन निकाला और स्वयं आंदोलन करवा विरोध कराया। जिस कैबिनेट में निर्णय के बाद लागु हुआ था उसी कैबिनेट के मंत्री विरोध कर रहे थे।
विधायक ने यह भी कहा कि यह साफ जाहिर हो रहा है कि यह पूरा विवाद सरकार का प्री प्लान गेम था। ताकि 24 जिला में उर्दू को लागू किया जा सके और मुसलमानों को खुश किया जा सके। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कंपटीशन चल रहा है। इस रेस में कांग्रेस को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पीछे छोड़ दिया है। यह पूरा 2 महीने का ड्रामा हिंदी को अपमानित करने और उर्दू को सम्मानित करने की पहल मात्र थी।