Report by S P Ranjan
Bokaro: भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के महपरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas 2022) के अवसर पर सेल एससी – एसटी इम्प्लाईज फेडरेशन, बोकारो यूनिट ने बाबा साहब के प्रतिमाओ पर प्रभात फेरी एवं माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात फेडरेशन के अध्यक्ष शम्भु कुमार की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 4/डी में किया गया।
अतिथियों ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला । वक्ताओ ने कहा कि अंबेडकरजी महापुरुष थें एवं उन्होने देश और समाज के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे । शम्भू कुमार ने कहा कि बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ था जिसे देशवासी महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं ।
बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार थें और उन्होने देश को एक भविष्योन्मुखी व सर्वसमावेशी संविधान देकर देश मे प्रगति, समृद्धि और समानता का मार्ग प्रशस्त किया ।
उन्होने कहा कि समाज में अपेक्षित, शोषित, पिछड़े, गरीब एवं महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए बाबा साहब ने आजीवन संघर्ष किया। महिलाओं को पिता की संपत्ति में अधिकार दिलाने से लेकर सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था बाबा साहब कि देन है।
इस कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमार उपकोषाध्यक्ष द्वारा किया गया तथा बीएसएल के महाप्रबंधक प्रभारी (कार्मिक) पवन कुमार बतौर मुख्य अतिथि थें। विशीष्ठ अतिथि के रूप में शिप्रा हेम्ब्रम लाइजन पदाधिकारी एवं बीजीएच के सीएमओ डॉo आर के गौतम, मंजीत रानी सहायक प्रबन्धक एवं हजारो की संख्या में फेडरेशन के पदाधिकारीगण एवं सदस्यगण मौजूद थे।
आइए आज हम इस परिनिर्वाण के बारे में कुछ जानते हैं…
परिनिर्वाण क्या है?
परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका वस्तुत: मतलब ‘मौत के बाद निर्वाण’ है। बौद्ध धर्म के अनुसार, जो निर्वाण प्राप्त करता है वह संसारिक इच्छाओं और जीवन की पीड़ा से मुक्त होगा और वह जीवन चक्र से मुक्त होगा यानी वह बार-बार जन्म नहीं लेगा।
कैसे हासिल होता है निर्वाण?
निर्वाण हासिल करना बहुत मुश्किल है। कहा जाता है कि इसके लिए किसी को बहुत ही सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन जीना होता है। 80 साल की आयु में भगवान बुद्ध के निधन को असल महापरिनिर्वाण कहा गया।
डॉ. आंबेडकर ने कब अपनाया था बौद्ध धर्म?
संविधान निर्माता डॉ.भीमराव आंबेडकर ने बरसों तक बौद्ध धर्म का अध्ययन किया था। उसके बाद 14 अक्टूबर, 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया था। उनके साथ उनके करीब 5 लाख समर्थक भी बौद्ध धर्म में शामिल हो गए थे।
उनका अंतिम संस्कार कहां हुआ?
उनके पार्थिव अवशेष का अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म के नियमों के मुताबिक मुंबई की दादर चौपाटी पर हुआ। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया, उसक जगह को अब चैत्य भूमि के तौर पर जाना जाता है।
उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर क्यों मनाई जाती है?
दलितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्होंने काफी काम किया और छूआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। इसलिए उनको बौद्ध गुरु माना जाता है। उनके अनुयायियों का मानना है कि उनके गुरु भगवान बुद्ध की तरह ही काफी प्रभावी और सदाचारी थे। उनका मानना है कि डॉ. आंबेडकर अपने कार्यों की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं। यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस या महापरिनिर्वाण दिन के तौर पर मानाया जाता है।
कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस?
आंबेडकर के अनुयायी और अन्य भारतीय नेता इस मौके पर चैत्य भूमि जाते हैं और भारतीय संविधान के निर्माता को श्रद्धांजलि देते हैं।
सौजन्य : नवभारत टाइम्स/www.navbharattimes.indiatimes.com