Bokaro: सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने किया। इस कार्यशाला में सभी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम संचालकों व पैथोलॉजी संचालकों को एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। साथ ही एक्ट के अनुरूप औपचारिकताएं पूरी करने को कहा गया।
यह भी कहा गया कि सभी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी संचालक सभी औपचारिकताएं पूरी कर लें। ऐसा नहीं करने वालों पर विभागीय कार्रवाई होगी। एक्ट 2010 के तहत सभी को निबंधन व नवीकरण कराना आवश्यक है। इसके साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट, प्रदूषण, अग्निशमन आदि विभागों का सभी प्रमाणपत्र अनिवार्य तौर पर होने चाहिए।
■ अब नर्सिंग होम और निजी अस्पताल मनमानी नहीं कर पाएंगे-
प्रशिक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने कहा कि जिले में अब नर्सिंग होम और निजी अस्पताल मनमानी नहीं कर पाएंगे। उनको सेवा का प्रकार, चिकित्सक, नर्स और अन्य कर्मियों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करना होगा। साथ ही कहा नर्सिंग होम और निजी अस्पताल का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधन कराना अनिवार्य होगा। निबंधन के बाद सभी इकाइयां सरकार के नियंत्रण में रहेंगी और नियमों की अनदेखी करने वालों पर पचास हजार से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। जुर्माना नहीं देने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
■ प्रत्येक अस्पताल अपनी सेवाओं की कीमत सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही ले सकेंगे-
एसीएमओ डॉ एच के मिश्रा ने बताया कि बताया गया कि नियमों का उल्लंघन करने एवं बिना पंजीकरण अस्पताल के संचालन पर पहले अपराध के लिए 50 हजार, दूसरे अपराध के लिए दो लाख और इसके बाद पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। गैर पंजीकृत संस्थानों पर 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। जुर्माना नहीं देने पर भू-राजस्व बकाया के रूप में यह धनराशि वसूली जाएगी। साथ ही बताया कि प्रत्येक अस्पताल अपनी सेवाओं की कीमत सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही ले सकेंगे। इसके अलावा अस्पतालों को स्वास्थ्य सुविधाओं के एवज में ली जा रही कीमत को अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में छपवाकर करना होगा। इस एक्ट से जुड़े प्रावधानों का उल्लंघन करने पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से लेकर, उन पर जुर्माने लगाने तक का प्रावधान है।
■ अधिनियम (एक्ट) क्या कहता है –
एक्ट के अनुसार अस्पताल आने वाले हर मरीज का इलेक्ट्रॉनिक और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित होना चाहिए। इस एक्ट के मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी क्लिनिक्स, नर्सिंग होम्स, एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर समान रूप से लागू होता है। हर अस्पताल, क्लिनिक का खुद का रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वो लोगों को न्यूनतम सुविधाएं और सेवाएं दे रहे हैं। इस एक्ट के तहत प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा देनेवाले संस्थानों का यह कर्तव्य है कि किसी रोगी के इमरजेंसी में पहुंचने पर उसको तुरंत स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाएं, जिससे रोगी को स्थिर किया जा सके।
मौके पर डॉ एन पी सिंह, डॉ सेलिना टुडू, नोडल श्रीमती कंचन कुमारी, डीपीएम, श्री प्रदीप श्रीवास्तव समेत अन्य कर्मी उपस्थित थे।